जयपुर जितना अपने मंदिरों और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, उतना ही अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक मंदिर जयपुर में स्थित है, जिसे मोती डूंगरी गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में कोई भी नया कार्य अपने प्रथम पूज्य भगवान गणेश के नाम पर ही आरंभ करता है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में गणेशजी की दाहिनी सूंड वाली विशाल प्रतिमा है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। भगवान गणेश की प्रतिमा पर भव्य सोने का मुकुट और चांदी का छत्र है। वैसे तो इस मंदिर की कई मान्यताएँ हैं, लेकिन कुछ मान्यताएँ सबसे प्रसिद्ध हैं।
मंदिर की सबसे प्राचीन मान्यता
मोती डूंगरी गणेश मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग लोकल18 को बताते हैं कि राजस्थान में जहाँ भी कोई शादी होती है, लोग दूर-दूर से यहाँ पहला निमंत्रण भगवान गणेश को देने आते हैं। इस निमंत्रण के बारे में मान्यता है कि निमंत्रण पर गणेशजी उनके घर आते हैं और विवाह के सभी कार्यों को शुभतापूर्वक संपन्न करते हैं। किसी भी नए कार्य को आरंभ करने से पहले भी पहला निमंत्रण भगवान गणेश को ही दिया जाता है। साथ ही, यहाँ एक विशेष परंपरा भी है, जो उन लोगों के लिए है जिनके विवाह में देरी हो रही है या नहीं हो रहा है। मान्यता है कि यहाँ एक विशेष विवाह सूत्र बाँधा जाता है जिसके बाद लोगों का विवाह शीघ्र हो जाता है। इस मंदिर में वाहन पूजन की भी एक अनोखी परंपरा है, जो वर्षों से चली आ रही है।
गणेश चतुर्थी पर होता है विशेष आयोजन
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और लंबी-लंबी कतारें लगती हैं। इस मंदिर के प्रति लोगों की विशेष आस्था है कि बुधवार के दिन भी यहाँ हज़ारों श्रद्धालु आते हैं। साथ ही, त्योहारों पर मंदिर में विशेष झांकियों और भजन संध्या के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से शामिल होते हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए विशेष पूजा-अर्चना की भी सुविधा है। मंदिर की सुरक्षा का जिम्मा हर समय पुलिस के पास रहता है और कैमरों से हर समय निगरानी रखी जाती है।
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