राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास अरावली की पहाड़ियों पर बसा नाहरगढ़ किला, जितना अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, उतना ही यह रहस्यमयी घटनाओं के लिए भी बदनाम रहा है। इतिहास में दर्ज घटनाओं और मौखिक परंपराओं के अनुसार, नाहरगढ़ किले से जुड़ा एक ऐसा रहस्य है जो आज तक किसी के लिए पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया। खासकर यहां काम करने वाले मजदूरों के अचानक गायब हो जाने या मौत की स्थिति में पाए जाने की घटनाएं स्थानीय लोगों और इतिहासकारों को दशकों से सोचने पर मजबूर करती रही हैं।
रहस्यमयी मौतें और गायब हुए लोग
नाहरगढ़ किले के निर्माण के समय से ही कई ऐसे किस्से सामने आए हैं जहां मजदूरों ने काम करने के दौरान अजीब-अजीब घटनाओं का अनुभव किया। कभी किसी को किले की दीवारों से किसी अनदेखी शक्ति द्वारा धक्का दिए जाने का अनुभव हुआ, तो किसी ने आधी रात को किसी के चीखने की आवाजें सुनीं। 18वीं सदी के बाद से ही इस किले को लेकर रहस्यों की एक श्रृंखला बनती चली गई।सबसे चौंकाने वाली घटनाएं वे हैं, जब मजदूर या सुरक्षाकर्मी यहां काम करते समय अचानक गायब हो जाते थे। उनके शव कुछ दिनों बाद किले के अलग-अलग हिस्सों में बिना किसी चोट के पाए जाते थे, या फिर वे दोबारा कभी नहीं मिले। जांच एजेंसियों ने इन मामलों की पड़ताल की, लेकिन कभी कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पाया, जिससे यह साफ हो सके कि यह महज दुर्घटना थी या किसी अलौकिक शक्ति का प्रभाव।
क्यों डर जाते थे मजदूर?
स्थानीय कहानियों और बुजुर्गों के अनुसार, नाहरगढ़ किला एक 'शापित स्थान' है। कहा जाता है कि राजा सवाई जय सिंह ने जब इस किले का निर्माण करवाया, तब एक संत या तांत्रिक की समाधि को हटाकर निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था। इसके बाद से ही किले में अजीब घटनाएं घटने लगीं। कई लोगों का मानना है कि यही श्राप आज भी इस किले पर प्रभावी है।मजदूरों का कहना था कि रात होते ही उन्हें किसी की मौजूदगी का एहसास होता था। कुछ ने दावा किया कि वे अपने औजार रखकर जैसे ही थोड़ा आराम करने जाते, उनके औजार गायब हो जाते या दूसरी जगह पाए जाते। कई बार उन्हें किसी के कदमों की आहट सुनाई देती, जबकि आसपास कोई नहीं होता। ऐसे डरावने अनुभवों के कारण कई मजदूरों ने यहां काम करने से मना कर दिया और भाग गए।
प्रशासन भी रहा असहाय
इन घटनाओं के बावजूद राजस्थान सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारा कई बार मरम्मत और संरक्षण का कार्य करवाया गया, लेकिन मज़दूरों और ठेकेदारों के मन में बसे डर को कभी मिटाया नहीं जा सका। इसीलिए आज भी जब यहां कोई मरम्मत या संरक्षण कार्य शुरू होता है, तो मजदूरों को विशेष सुरक्षा और मनोवैज्ञानिक सहायता दी जाती है।
क्या है सच?
आज तक कोई भी वैज्ञानिक या प्रशासनिक जांच यह स्पष्ट नहीं कर सकी कि इन घटनाओं के पीछे सच में कोई अलौकिक ताकत है या यह सिर्फ मन का भ्रम और ऐतिहासिक डर है। हालांकि, यह भी सच है कि जितना अधिक इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश की गई, उतना ही यह उलझता गया।
पर्यटन स्थल, परंतु रहस्य अब भी कायम
आज नाहरगढ़ किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। हजारों लोग यहां हर साल घूमने आते हैं, लेकिन शाम ढलने के बाद यहां का वातावरण एकदम बदल जाता है। गाइड तक सूर्यास्त के बाद यहां से लौट जाने की सलाह देते हैं। किले की दीवारों पर उभरी नमी, पत्थरों पर पड़ी परछाइयाँ और सन्नाटा, सब मिलकर एक रहस्यपूर्ण माहौल बना देते हैं।नाहरगढ़ आज भी उतना ही रहस्यमयी है जितना सौ साल पहले था। जो लोग इसके इतिहास को जानते हैं, उनके मन में यही सवाल कौंधता है—आखिर क्यों भाग जाते थे यहां काम करने वाले मजदूर, और क्या कभी इस रहस्य से पर्दा उठ पाएगा?
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