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Rajasthan News: एसआई भर्ती पर नया पेंच, री-एग्जाम कराने में आएगा करोड़ों का खर्च, जिम्मेदारी किसकी?

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राजस्थान में पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती-2021 की परीक्षा दोबारा आयोजित करने पर 30 से 35 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है, लेकिन इस खर्च को कौन वहन करेगा, इस पर सवाल उठ रहे हैं। परीक्षा आयोजित करते समय कानून में इस बारे में कोई प्रावधान नहीं है कि दोषियों से इसकी वसूली की जाएगी या नहीं, न ही अदालती आदेश में इस बारे में कुछ कहा गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस खर्च का भार सरकार उठाए या पेपर लीक के दोषियों से इसकी वसूली की जाएगी।

जांच में पता चला कि एक परीक्षार्थी पर औसतन 500 रुपए खर्च होते हैं, ऐसे में अनुमान है कि अगर सभी 7 लाख आवेदकों को दोबारा मौका दिया जाए तो परीक्षा पर 30 से 35 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वर्ष 2022 में तत्कालीन सरकार ने पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कसने के लिए दोषियों से 10 लाख से 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना वसूलने और संपत्ति जब्त करने का प्रावधान किया था, लेकिन चूंकि परीक्षा 2021 में होनी है, इसलिए यह कानून एसआई भर्ती 2021 के दोषियों पर लागू नहीं होगा। हाईकोर्ट के हालिया आदेश में भी परीक्षा आयोजित करने में हुए खर्च के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

किसे मिलेगा मौका, सरकार की सिफारिश से होगा साफ
पुनः आयोजित परीक्षा में सभी आवेदकों को मौका मिलेगा या केवल परीक्षा में शामिल होने वालों को ही मौका मिलेगा, यह राज्य सरकार द्वारा राजस्थान लोक सेवा आयोग को भेजी जाने वाली सिफारिश के बाद ही साफ होगा।

अपराधियों के लिए सख्त संदेश जरूरी
ऐसे में दोषियों से वसूली होनी ही चाहिए। यह अपराधियों के लिए सख्त संदेश होगा। सरकार को नियमित भर्ती करनी चाहिए।

हमें गरीबों का दर्द समझना होगा
जब मैं आयोग का अध्यक्ष था, तब मैंने बार-बार परीक्षाएँ रद्द होने का संज्ञान लिया था और भर्तियों के रद्द होने को व्यवस्था की विफलता माना था। हमें गरीबों का दर्द समझना होगा। प्रकाश टाटिया (झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश), पूर्व अध्यक्ष, राज्य मानवाधिकार आयोग

सरकार सबका भला चाहती है: विधि मंत्री
रविवार को विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने एसआई भर्ती के संबंध में कोई सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में उन्होंने यह ज़रूर कहा कि सरकार सबका भला चाहती है।

दोषियों से वसूली हो
अगर इस संबंध में कानून में कोई प्रावधान है, तो दोषियों से वसूली हो और अगर कानून में कोई प्रावधान नहीं है, तो की जाए। उनसे वसूली हो जिनकी वजह से राजकोष और राज्य की जनता पर आर्थिक बोझ पड़ने वाला है।

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