Next Story
Newszop

राजस्थान का रहस्यमयी कुलधरा गांव! वीडियो में जाने कैसे एक लड़की की अस्मिता के लिए खली हो गए 84 गाँव, जानिए खौफनाक इतिहास

Send Push

राजस्थान के जैसलमेर जिले से लगभग 17 किलोमीटर दूर बसा एक गांव—कुलधरा—आज वीरान है। खंडहरों, टूटी दीवारों और खाली गलियों में गूंजती है एक अधूरी कहानी। यह गांव कभी पालीवाल ब्राह्मणों का एक समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से संपन्न इलाका हुआ करता था, लेकिन करीब 200 साल पहले एक ही रात में पूरा गांव खाली हो गया। इसकी वजह बताई जाती है—एक लड़की।तो क्या वाकई सिर्फ एक लड़की के लिए पूरा गांव उजड़ गया? क्या है वह रहस्य जो आज भी लोगों को डराता है और आकर्षित भी करता है? आइए जानते हैं इस रहस्यमयी गांव की कहानी, जो इतिहास, लोककथाओं और डर के धुंधले पर्दों में लिपटी हुई है।


पालीवाल ब्राह्मणों का समृद्ध गांव
कुलधरा गांव 13वीं शताब्दी के आस-पास पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा बसाया गया था। यह ब्राह्मण समुदाय अपने उच्च शिक्षित और व्यापारी वर्ग के लिए जाना जाता था। कुलधरा सिर्फ एक गांव नहीं था, बल्कि इसके जैसे 84 गांवों का एक समूह था, जो जैसलमेर के आसपास फैले हुए थे। पालीवाल ब्राह्मण जल प्रबंधन, खेती और व्यापार में इतने निपुण थे कि थार के रेगिस्तान में भी समृद्धि लहराती थी।

डर की असली वजह: एक लड़की की कहानी
लोककथाओं के अनुसार, कुलधरा के उजड़ने के पीछे वजह बनी गांव के मुखिया की सुंदर बेटी। उस समय जैसलमेर का मंत्री या दीवान—सलिम सिंह, जिसकी नजर उस लड़की पर पड़ी। सलिम सिंह न सिर्फ अत्याचारी था, बल्कि वह अपने मन की बात मनवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था।उसने लड़की से विवाह करने की इच्छा जताई, लेकिन मुखिया ने इसे ठुकरा दिया। जवाब में सलिम सिंह ने धमकी दी कि अगर लड़की से उसकी शादी नहीं हुई, तो वह जबरदस्ती उसे उठा ले जाएगा और गांव को नुकसान पहुंचाएगा।

एक रात में 84 गांव हुए खाली
पालीवाल ब्राह्मणों के लिए यह न सिर्फ एक लड़की की अस्मिता का सवाल था, बल्कि पूरे समुदाय की इज्जत दांव पर थी। पूरे 84 गांवों के मुखिया एकत्रित हुए और एक साहसी लेकिन असामान्य निर्णय लिया—गांव छोड़ने का। कहते हैं, एक ही रात में सारे गांव खाली हो गए और कोई भी नहीं जान पाया कि वे लोग कहां गए।सिर्फ कुलधरा ही नहीं, इसके साथ आसपास के सभी पालीवाल गांव भी वीरान हो गए। जाते-जाते उन्होंने अपने पीछे एक श्राप छोड़ दिया—"यह गांव कभी दोबारा नहीं बस पाएगा"।

क्या यह सिर्फ कहानी है?
इतिहासकारों की राय इस घटना पर बंटी हुई है। कुछ लोग इसे कहानी और लोककथा मानते हैं, जबकि कुछ इसे सामाजिक विरोध और सामूहिक विद्रोह का प्रतीक मानते हैं। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि पानी की कमी और राजनीतिक दबाव ने लोगों को पलायन के लिए मजबूर किया।

हालांकि, गांव की स्थिति देखकर यह साफ होता है कि वहां कभी समृद्धि थी, और फिर एकाएक सब खत्म हो गया। घरों की बनावट, गलियों की योजना और मंदिरों की स्थिति यह दर्शाते हैं कि यह जगह एक योजनाबद्ध और विकसित गांव था।

आज भी बसाने की कोशिश नाकाम
सरकार और निजी स्तर पर कई बार कुलधरा को दोबारा बसाने की कोशिशें की गईं, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। स्थानीय लोग और पर्यटक मानते हैं कि वहां कोई अदृश्य शक्ति है, जो लोगों को टिकने नहीं देती।कई लोगों ने यह भी दावा किया है कि रात के समय वहां से अजीब आवाजें आती हैं, जैसे कोई चल रहा हो, कोई रो रहा हो या फिर दीवारों से किसी का झांकना महसूस होता है।

पर्यटन स्थल के रूप में पहचान
आज कुलधरा एक लोकप्रिय हॉरर टूरिज़्म डेस्टिनेशन बन चुका है। दिन में हजारों सैलानी यहां आते हैं, लेकिन रात में यहां रुकने की मनाही है। राजस्थान सरकार ने इसे "हेरिटेज साइट" घोषित कर दिया है, और अब यह जगह भारत के रहस्यमय स्थलों में गिनी जाती है।यहां के टूटे हुए घर, धूलभरी हवाएं और शांत गलियां हर आगंतुक को एक अनकही कहानी सुनाती हैं।

कुलधरा सिर्फ एक डरावनी जगह नहीं, बल्कि यह एक समुदाय के आत्मसम्मान, बलिदान और एकता की मिसाल है। एक लड़की की इज्जत के लिए पूरे गांव का त्याग, समाज के लिए एक बड़ा संदेश है। यह कहानी आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर करती है—क्या हम इतने संगठित और साहसी हैं कि किसी अन्याय के सामने एकजुट हो सकें?कुलधरा की वीरान गलियों में आज भी वह आत्मा भटकती है—न्याय की, सम्मान की और संघर्ष की।

Loving Newspoint? Download the app now