राजस्थान विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालाँकि अभी इसकी औपचारिक शुरुआत की तारीख की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन राज्य में जमीनी स्तर पर काम शुरू हो चुका है। इस कदम का उद्देश्य मतदाताओं के एक बड़े वर्ग के दस्तावेज़ सत्यापन पर ध्यान केंद्रित करना और एक सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करना है।
दस्तावेज सत्यापन के लिए 2.5 करोड़ से ज़्यादा मतदाताओं की पहचान
बता दें कि राजस्थान में लगभग साढ़े पाँच करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से, चुनाव आयोग ने लगभग 2.5 करोड़ मतदाताओं, यानी लगभग 47%, को SIR के तहत सत्यापन के लिए चुना है। इन मतदाताओं के दस्तावेज़ों की जाँच उनकी आयु के आधार पर की जाएगी।
आयु वर्ग पर विशेष ध्यान
20 से 37 वर्ष के बीच के मतदाताओं, यानी लगभग 44%, को अपने और अपने माता-पिता में से किसी एक के दस्तावेज़ों के ज़रिए अपनी पहचान सत्यापित करनी होगी। इसके साथ ही, 18 से 40 वर्ष के बीच के मतदाताओं, यानी लगभग तीन प्रतिशत, को सत्यापन के लिए अपने माता-पिता दोनों के दस्तावेज़ जमा करने होंगे। इसके विपरीत, 38 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं, जो लगभग 53% हैं, को किसी दस्तावेज़ सत्यापन की आवश्यकता नहीं है।
बूथ स्तरीय अधिकारियों का प्रशिक्षण आज से शुरू
बता दें कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने बताया है कि कार्यक्रम की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। राज्य भर के संभागीय आयुक्त 41 ज़िला निर्वाचन अधिकारियों से बातचीत कर चुके हैं। चुनाव आयोग द्वारा राज्य स्तर पर 271 मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
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