अमेरिकी अख़बार '' ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिकी अभियोजक ये जांच कर रहे हैं कि क्या भारतीय कारोबारी गौतम अदानी की कंपनियों ने मुंद्रा पोर्ट के रास्ते भारत में ईरानी लिक्विफ़ाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) का आयात किया था.
हालांकि, अदानी एंटरप्राइज़ेज़ ने एक बयान में इस रिपोर्ट को 'बेबुनियाद और नुक़सान पहुंचाने वाला' बताया है. कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि "हमें इस मामले पर अमेरिकी अधिकारियों की ओर से की गई किसी जांच के बारे में जानकारी नहीं है."
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा है कि उसे गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह और फ़ारस की खाड़ी के बीच चलने वाले टैंकरों में कुछ ऐसे संकेत दिखे हैं, जो एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रतिबंधों से बचने वाले जहाज़ों में आम होते हैं.
मामले के जानकारों के हवाले से वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि अमेरिका का न्याय विभाग अदानी समूह की प्रमुख इकाई अदानी एंटरप्राइज़ेज़ को माल भेजने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कई एलपीजी टैंकरों की गतिविधियों की समीक्षा कर रहा है.
यह जांच ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल प्रोडक्ट्स की खरीद को पूरी तरह रोकने का आदेश दिया था और कहा था कि जो भी देश या व्यक्ति ईरान से खरीदारी करेगा, उस पर तुरंत सेकेंडरी सैंक्शंस लगाए जाएंगे.
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
अमेरिकी जर्नल ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत में लिखा है कि एशिया के दूसरे सबसे अमीर शख़्स गौतम अदानी अपने ख़िलाफ़ अतीत में लगे आरोपों को ख़ारिज करवाने की कोशिशों में जुटे हैं.
बीते साल नवंबर में ही गौतम अदानी पर अमेरिका में धोखाधड़ी और रिश्वत का मुक़दमा दायर किया गया था.
अख़बार ने लिखा है कि ब्रुकलिन में अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय की ओर से की जा रही जांच अदानी के लिए समस्या साबित हो सकती है. साथ ही ख़बर में अदानी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी सहयोगी भी बताया गया है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार उन्होंने बीते साल की शुरुआत में मुंद्रा पोर्ट से फ़ारस की खाड़ी जाने वाले जहाज़ों की गतिविधियों को जांचा था. जहाज़ों को ट्रैक करने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस आवाजाही के दौरान ऐसे संकेत मिले जो आमतौर पर ऐसे जहाज़ों में देखे जाते हैं जो आवाजाही के दौरान अपनी पहचान स्पष्ट नहीं रखते.
एलपीजी टैंकरों को ट्रैक करने वाली लॉयड्स लिस्ट इंटेलिजेंस में मैरिटाइम रिस्क एनालिस्ट टॉमर रानन के अनुसार, जहाज़ों के ऑटोमैटिक आइडेंटिकफ़िकेशन सिस्टम या एआईएस से छेड़छाड़ एक आम तरीका है. ये सिस्टम जहाज़ की पोज़िशन के बारे में जानकारी देता है.
रिपोर्ट में बीते साल अप्रैल महीने में अदानी के लिए एलपीजी लेकर आने वाले पनामा के झंडे वाले एसएमएस ब्रोस कार्गो शिप में कुछ ऐसे ही पैटर्न देखे जाने की बात कही गई है.
जर्नल ने लॉयड्स लिस्ट के सीसर्चर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके जहाज़ के एआईएस का विश्लेषण किया. इसमें पाया गया कि जहाज़ तीन अप्रैल 2024 को दक्षिणी इराक़ के खोर अल-ज़ुबैर में खड़ा था.
रिपोर्ट में बताया गया है कि तीन अप्रैल 2024 की सैटेलाइट तस्वीरों में एसएमएस ब्रोस इराक़ में अपनी जगह पर नहीं दिख रहा है. लेकिन एक सैटलाइट ने एसएमसएस ब्रोस से मेल खाते एक जहाज़ की तस्वीरें ली हैं, जो ईरान के टोनबुक में एलपीजी टर्मिनल पर डॉक किया गया था.
इस ख़बर में सैटेलाइट इमेजरी से जुड़े एक्सपर्ट के हवाले से ये भी पुष्टि की गई है कि ईरान में खड़ा जहाज़ एसएमएस ब्रोस ही था.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट पर अदानी समूह ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी है.
इसमें कहा गया है, "अदानी समूह की कंपनियों और ईरानी एलपीजी के बीच संबंध का आरोप लगाने वाली वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट निराधार और नुकसान पहुंचाने वाली है. अदानी जानबूझकर किसी भी तरह के प्रतिबंधों से बचने या ईरानी एलपीजी से जुड़े व्यापार में संलिप्तता से साफ़ इनकार करता है. हमें इस विषय पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा किसी भी जांच की जानकारी नहीं है."
बयान में वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को पूरी तरह से गलत धारणाओं और अटकलों पर आधारित बताया गया है. इसमें कहा गया है, "हम इस दावे का खंडन करते हैं कि अदानी समूह जानबूझकर ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहा है. पॉलिसी के मुताबिक, अदानी समूह अपने किसी भी बंदरगाह पर ईरान से आए माल को नहीं हैंडल करता है. इसमें ईरान से आने वाले कोई भी शिपमेंट या ईरानी झंडे के तले चलने वाले जहाज़ भी शामिल हैं."
"अदानी समूह किसी भी ऐसे जहाज़ का प्रबंधन नहीं देखता न तो कोई सुविधा देता है, जिसके मालिक ईरानी हों. इस पॉलिसी का हमारे सभी पोर्ट्स पर सख़्ती से पालन किया जाता है."
बयान में कहा गया है कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की कहानी में जिस शिपमेंट का हवाला दिया गया है, वो थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक पार्टनर की देखरेख में हुई गतिविधि थी. इसकी पुष्टि दस्तावेज़ों से होती है, जिसके मुताबिक, जहाज़ ओमान के सोहर से रवाना हुआ था.
अदानी एंटरप्राइज़ेज़ ने ये भी कहा है कि हम एसएमएस ब्रोस समेत किसी जहाज़ का संचालन नहीं करते और न तो ये हमारे हैं. इसलिए इन जहाज़ों की मौजूदा या अतीत में की गई गतिविधियों पर हम टिप्पणी नहीं कर सकते.

बीते साल अमेरिका में अदानी पर अपनी एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने और इस मामले को छिपाने का आरोप लगा था.
हालाँकि अदानी समूह ने एक बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया और कहा था कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं.
अदानी पहले भारतीय कारोबारी हैं, जिन पर अमेरिका में इस तरह के गंभीर आरोप लगे थे.
उस समय ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ न्यूयॉर्क के अमेरिकी अटॉर्नी के कार्यालय ने अपने बयान में कहा था कि गौतम अदानी और उनके भतीजे सागर के अलावा छह अन्य लोगों पर एक सोलर एनर्जी सप्लाई का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर रिश्वत देने का आरोप तय हुआ है.
बीते महीने ही ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि गौतम अदानी के कुछ प्रतिनिधियों ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कुछ अधिकारियों से मुलाक़ात की, जिसमें गौतम अदानी पर लगे आपराधिक मामलों को खारिज करने के बारे में चर्चा हुई. इस बैठक का ज़िक्र वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में भी किया है.
इससे पहले, अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने साल 2023 में अदानी पर एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें अदानी समूह के मालिक गौतम अदानी और विनोद अदानी पर गंभीर आरोप लगाए गए थे.
रिपोर्ट में कहा गया था कि अदानी समूह के मालिक गौतम अदानी ने 2020 से ही अपनी सात लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में हेरफेर के ज़रिये 100 अरब डॉलर कमाए. रिपोर्ट में गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी पर भी गंभीर आरोप लगाए गए थे और कहा गया था कि वो 37 शेल कंपनियां चलाते हैं, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है.
रिपोर्ट आने के एक ही महीने के भीतर अदानी की नेटवर्थ में 80 बिलियन डॉलर यानी 6.63 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की गिरावट आई थी. गौतम अदानी रईसों की टॉप 20 लिस्ट से भी बाहर हो गए थे.
हालांकि, हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी इस साल जनवरी में बंद हो गई.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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