भारतीय मूल की अनीता आनंद को कनाडा का विदेश मंत्री बनाया गया है.
हाल ही में कनाडा के आम चुनाव में लिबरल पार्टी की जीत के बाद मार्क कार्नी प्रधानमंत्री बने हैं और उन्होंने नई कैबिनेट की घोषणा की है.
पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में मेलानी जोली विदेश मंत्री थीं लेकिन मार्क कार्नी ने उनकी जगह अनीता आनंद को चुना. पीएम कार्नी ने मेलानी जोली को उद्योग मंत्री बनाया है.
अनीता आनंद इससे पहले रक्षा मंत्री समेत कई ज़िम्मेदारियां संभाल चुकी हैं. ट्रूडो की कैबिनेट की तरह मार्क कार्नी के कैबिनेट में भी महिलाओं की हिस्सेदारी आधी है.
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विदेश मंत्री चुने जाने पर अनीता आनंद ने एक्स पर , "मुझे कनाडा के विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाना सम्मान की बात है. मैं कनाडा के लोगों के लिए एक सुरक्षित, निष्पक्ष दुनिया बनाने और उन्हें बेहतर सेवाएं देने के लिए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और हमारी टीम के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूँ."
ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी देखने को मिली थी लेकिन मार्क कार्नी ने अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान और जीत के बाद इन रिश्तों में सुधार लाने की उत्सुकता ज़ाहिर की थी.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पर अनीता आनंद को कनाडा का विदेश मंत्री बनाए जाने पर बधाई दी है.

चुनाव जीतने के दो सप्ताह बाद कार्नी ने कैबिनेट में बदलाव किया है जिनमें चंद पुराने चेहरों के अलावा कई नए चेहरे हैं.
पत्रकारों से बात करते हुए कार्नी ने नई कैबिनेट को 'अहम पल में हालात संभालने वाली टीम' कहा.
कार्नी की नई कैबिनेट में 28 मंत्री और 10 राज्यमंत्री हैं. 24 नए चेहरों में 13 पहली बार के सांसद हैं. मेलानी जोली और क्रिस्टिया फ़्रीलैंड जैसे पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सरकार में शामिल रहे पुराने लोगों को कैबिनेट में जगह मिली है.
अमेरिका और कनाडा में व्यापार को लेकर चल रहे तनाव के बीच विदेश मंत्री के रूप में अनीता आनंद की भूमिका अहम होने वाली है.
कौन हैं अनीता आनंद
भारतीय मूल की अनीता आनंद के माता-पिता 60 के दशक में नाइजीरिया से कनाडा के नोवा स्कोशिया के केंटविल में बस गए थे.
अनीता के माता-पिता पेशे से चिकित्सक थे, उनकी दो बहनें और हैं. उन्होंने ऑक्सफ़र्ड और क्वींस यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और डलहौज़ी यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली. इसके अलावा उन्होंने टोरंटो यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया.
इसके बाद उन्होंने टोरंटो यूनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू कर दिया था. इसके साथ ही उन्होंने येल, क्वींस और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में भी लॉ पढ़ाया है.
अनीता को लिबरल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के गुट में सबसे अधिक महत्वाकांक्षी सदस्यों में से एक माना जाता है.
57 साल की अनीता की राजनीति में एंट्री साल 2019 में हुई. टोरंटो के बाहर ओकविल से वो सांसद चुनी गईं.
नवंबर 2019 से लेकर अक्तूबर 2021 तक वो सार्वजनिक सेवाओं और ख़रीद मामलों की मंत्री रहीं.
अनीता अपनी पर ख़ुद को कनाडा की पहली हिंदू महिला सांसद और पहली हिंदू कैबिनेट मंत्री बताती हैं.
पहली बार सांसद चुने जाने के तुरंत बाद वो मंत्री बनीं और उनके सामने कोविड-19 महामारी की चुनौती थी. इस दौरान उन्हें वैक्सीन और पीपीई किट सुरक्षित रखने के मिशन की कमान सौंपी गई.
अनीता आनंद के काम को देखते हुए उन्हें साल 2021 में रक्षा मंत्रालय की कमान सौंपी गई. इस दौरान उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में कनाडा की यूक्रेन को मदद मुहैया कराने की चुनौतियों का नेतृत्व किया.
साथ ही अनीता को कनाडा के सैन्य बलों में यौन दुर्व्यवहार के स्कैंडल्स के संकट से भी गुज़रना पड़ा.
इसके बाद अनीता आनंद को रक्षा मंत्रालय से हटाकर ट्रेज़री बोर्ड को संभालने के लिए भेज दिया गया.
इस फ़ैसले को अनीता आनंद का ओहदा कम किए जाने से भी जोड़कर देखा गया जबकि ट्रूडो के आलोचकों का आंकलन था कि ये पार्टी का नेतृत्व करने की उनकी महत्वाकांक्षा की सज़ा थी.
दिसंबर 2024 में मंत्रिमंडल में बदलाव के बाद फिर से उनका मंत्रालय बदला गया और उन्हें परिवहन मंत्री और आंतरिक व्यापार मंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई.
प्रधानमंत्री पद से जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफ़ा देने के बाद इस पद के लिए उम्मीदवारों की सूची में अनीता आनंद का भी नाम था.
अब उन्हें विदेश मंत्री की ज़िम्मेदारी ऐसे समय में सौंपी गई है जब कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर काफ़ी तनाव है और ट्रंप कई बार कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बयानबाज़ी कर चुके हैं.
(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)
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