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हिरोशिमा पर एटम बम गिराने के बाद जब 'एनोला गे' से पायलट ने नीचे देखा - विवेचना

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image Getty Images एटम बम के परीक्षण की जानकारी तत्कालीन उप राष्ट्रपति तक को नहीं थी

पहले परमाणु परीक्षण के लिए अमेरिका के न्यू मैक्सिको के अलामोगोर्दो बॉम्बिंग रेंज को चुना गया था.

इस मामले को इतना गुप्त रखा गया था कि अमेरिका के उस समय के उप-राष्ट्रपति हैरी ट्रुमैन तक को इसकी भनक नहीं थी.

राष्ट्रपति रूज़वेल्ट की मृत्यु के 24 घंटे बाद जाकर ट्रुमैन को बताया गया कि अमेरिका बहुत ही विध्वंसक बम बनाने की परियोजना पर काम कर रहा है.

15 जुलाई, 1945 को उस इलाक़े में ज़बरदस्त आंधी आई. कमांड बंकर में मैनहट्टन प्रोजेक्ट के निदेशक लेज़्ली ग्रोव्स के साथ बैठे बम के निर्माता रॉबर्ट ओपेनहाइमर परीक्षण की अनुमति का इंतज़ार कर रहे थे.

इयन मैकग्रेगर अपनी किताब 'द हिरोशिमा मेन' में लिखते हैं, "16 जुलाई, 1945 को सुबह साढ़े पाँच बजे पहले एटम बम का परीक्षण किया गया. न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में तड़के इतनी चमक पैदा हुई जैसे दोपहर हो गई हो."

"लेज़्ली ग्रोव्स ने वहाँ मौजूद अपने साथियों वेनेवर बुश और जेम्स कोनान्ट से हाथ मिलाया. जब ओपेनहाइमर उनके सामने आए तो उन्होंने उन्हें बधाई देते हुए कहा, 'मुझे तुम पर गर्व है.' अमेरिका के पास आख़िर वह बम आ गया था जिसका उसे इंतज़ार था."

image Getty Images 16 जुलाई 1945 को अमेरिका ने एटम बम का परीक्षण किया था

उसी समय ग्रोव्स ने युद्ध मंत्री हेनरी स्टिमसन को कूटभाषा में अपनी रिपोर्ट भेजी.

स्टिमसन ने उसे राष्ट्रपति ट्रुमैन को पढ़कर सुनाया. 24 घंटे के अंदर उन दोनों के पास यह संदेश भी पहुंच गया कि एटम बम को एक अगस्त से 10 अगस्त के बीच किसी भी समय इस्तेमाल किया जा सकता है.

एटम बम गिराने के लिए 6 अगस्त का दिन चुना गया

26 जुलाई, 1945 को हैरी ट्रुमैन ने जापान को चेतावनी जारी की कि अगर उसने बिना शर्त हथियार नहीं डाले तो उसे अकल्पनीय विनाश के लिए तैयार रहना चाहिए.

जब जापान ने इस चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दिया तो उस पर एटम बम गिराने का फ़ैसला कर लिया गया.

इस अभियान को मिशन नंबर-13 का नाम दिया गया. बम गिराने के लिए 6 अगस्त का दिन चुना गया और जनरल कर्टिस लीमे ने मिशन के चीफ़ पॉल टिबेट्स से मंत्रणा कर बम गिराने के लिए तीन शहरों हिरोशिमा, कोकूरा और नागासाकी को चुना.

इससे पहले 31 जुलाई को टिबेट्स की टीम ने बम गिराने का पूर्वाभ्यास किया.

रिचर्ड रोड्स अपनी किताब 'द मेकिंग ऑफ़ द एटॉमिक बॉम्ब' में लिखते हैं, "टिनियन बेस पर तैनात 15 बी-29 लड़ाकू विमानों में से तीन विमानों ने एक डमी एटम बम के साथ उड़ान भरी. उन्होंने ईवो जीमा द्वीप का चक्कर लगाया और समुद्र में डमी गिराकर विमान को मोड़ने का अभ्यास किया. हिरोशिमा पर एक अगस्त को ही एटम बम गिरा दिया गया होता अगर उस दिन जापान में तेज़ तूफ़ान न आया होता."

बम गिराने के आदेश की 32 प्रतियाँ बनाई गईं.

पॉल टिबेट्स ने बाद में 'ग्लास्गो हेरल्ड' के विलियम लाउदर को दिए इंटरव्यू में बताया, "मैं अपने आदेश की कॉपी दफ़्तर के सेफ़ में लॉक कर जनरल लीमे के साथ बम गिराने वाले विमान 'एनोला गे' का निरीक्षण करने चला गया जो कि टेक्निकल एरिया में खड़ा हुआ था. उस विमान को तारपोलीन से ढक कर रखा गया था ताकि लोगों की नज़र उस पर न पड़े. मैं ये देखकर आश्चर्यचकित रह गया जब वहाँ खड़े एक सैनिक ने उस ठिकाने के सबसे बड़े जनरल लीमे से वहाँ प्रवेश करने से पहले उन्हें अपना सिगार और माचिस सौंपने का निर्देश दिया."

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image SIMON & SCHUSTER रिचर्ड रोड्स की किताब 'द मेकिंग ऑफ़ द एटॉमिक बॉम्ब' टिबेट्स ने बुलाई क्रू की मीटिंग

टिबेट्स के सामने ही विमान को खींचकर लोडिंग पिट में ले जाया गया जहाँ तकनीकी स्टाफ़ ने बहुत सावधानी से 'एनोला गे' विमान के बॉम्ब बे में एटम बम को रखा. उसी शाम टिबेट्स ने उस मिशन से जुड़े सभी लोगों की मीटिंग बुलाई.

बाद में इस मिशन से जुड़े थियोडर वैन कर्क ने नेशनल म्यूज़ियम, न्यू ऑरलियंस को दिए इंटरव्यू में बताया, "यह एक महत्वपूर्ण बैठक थी जिसमें यह तय होना था कि मिशन पर कौन-कौन जा रहा है और किस-किस चरण पर कौन से क़दम उठाए जाएंगे."

"टिबेट्स ने कहा कि जिस हथियार का आप इस्तेमाल करने जा रहे हैं, उसका कुछ दिनों पहले सफल परीक्षण किया गया है. अब हम उसका इस्तेमाल दुश्मन के ख़िलाफ़ करेंगे लेकिन फिर उन्होंने हमसे कहा कि हम थोड़ी नींद ले लें. 10 बजे के बाद वह हमें अंतिम ब्रीफ़िंग के लिए फिर बुलाएंगे. ये मेरी समझ के बाहर था कि पहला एटम बम गिराने जा रहे लोग किस तरह नींद ले सकते थे."

image Getty Images एटम बम गिराने से पहले खड़े होकर अंतिम ब्रीफ़िंग करते पॉल टिबेट्स पॉल टिबेट्स का संबोधन

इस बीच टिबेट्स ने तय किया कि 'एनोला गे' का कॉल साइन 'विक्टर' की बजाए 'डिंपल्स' होगा.

ये भी तय हुआ कि वह उड़ान के पहले चरण में विमान को पाँच हज़ार फ़ीट की ऊँचाई पर रखेंगे.

इस बात की भी सावधानी बरती गई कि उस रास्ते में अमेरिकी नौसेना के पोतों और पनडुब्बियों को सावधान की मुद्रा में कर दिया जाए ताकि अगर किसी वजह से एटम बम ले जाने वाला विमान 'एनोला गे' समुद्र में गिरता है तो उसे उसमें से तुरंत निकाला जा सके.

11 बजे सभी क्रू सदस्यों को अंतिम ब्रीफ़िंग के लिए इकट्ठा किया गया. बाद में पॉल टिबेट्स ने अपनी किताब 'मिशन: हिरोशिमा' में लिखा, "मैंने उनको संबोधित करते हुए कहा, आज वह रात आ गई है जिसका हम लोग अब तक इंतज़ार कर रहे थे."

"पिछले महीनों में हमने जो भी प्रशिक्षण हासिल किया है अब हम उनको इस्तेमाल में लाएंगे. हमें थोड़ी देर में पता चल जाएगा कि हम अपने मिशन में कामयाब हुए हैं या नाकाम. हम एक ऐसा बम गिराने के मिशन पर जा रहे हैं जो आपके अब तक के देखे और किए गए मिशनों से पूरी तरह अलग है. इस बम की क्षमता 20 हज़ार टन टीएनटी से भी अधिक है."

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image Getty Images एटम बम ले जाने वाला विमान 'एनोला गे' पहले से भेजे गए तीन विमान

इसके बाद सभी क्रू सदस्यों को आँख पर लगाने के लिए पोलारॉएड लेंस के ख़ास तरह के गॉगल्स दिए गए. इनकी शक्ल उन गॉगल्स से मिलती थी जो वेल्डिंग करने वाले लोग लगाते हैं.

इयन मैकग्रेगर ने लिखा, "मैनहट्टन प्रोजेक्ट के प्रोफ़ेसर रैमसी ने उन सबको बताया कि गॉगल्स उन्हें इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि बम से पैदा हुई चमक से उनकी आँखें न अंधी हो जाएं. एक घंटे के बाद उन सभी लोगों ने मेस का रुख़ किया जहाँ उन्होंने अंडे, सॉसेज, मक्खन, ब्रेड और कॉफ़ी का नाश्ता किया. जब सारा क्रू नाश्ता कर रहा था उनके लीडर पॉल टिबेट्स ने उन सबकी नज़र बचाकर पोटेशियम साइनाइड की कुछ गोलियाँ अपने सीने की जेब में रख लीं."

थोड़ी देर में मौसम की जानकारी लेने के लिए जा रहे तीन विमानों के टेक ऑफ़ करने की आवाज़ उन्हें सुनाई दी. इनके नाम थे 'स्ट्रेट फ़्लश', 'जैबिट थर्ड' और 'फ़ुल हाउज़.'

ये बॉम्बिंग मिशन से एक घंटा पहले उड़े थे ताकि वे इस बात की जानकारी दे सकें कि मुख्य लक्ष्य में इस समय मौसम कैसा है.

image CONSTABLE इयन मैकग्रेगर की किताब 'द हिरोशिमा मेन' सुबह दो बजकर 45 मिनट पर 'एनोला गे' ने टेकऑफ़ किया

रात एक बजकर 45 मिनट पर क्रू ने कॉफ़ी का अंतिम घूंट पिया. इसके बाद सभी लोग जीप पर सवार होकर रनवे पर खड़े विमान की तरफ़ बढ़े. उस स्थान पर काफ़ी रोशनी थी और बेस के लोग क्रू के साथ तस्वीरें खिंचवा रहे थे. मैनहट्टन प्रोजेक्ट के सभी वरिष्ठ सदस्य वहाँ मौजूद थे.

इयन मैकग्रेगर लिखते हैं, "विमान में संतुलन बनाए रखने के लिए उसके पिछले हिस्से में पेट्रोल से भरे पीपे रखे गए थे. विमान के टेक ऑफ़ करने का समय था दो बजकर 45 मिनट. उस अंधेरी उमस भरी रात में क़रीब 100 लोगों की भीड़ के सामने जिसमें एक पत्रकार बिल लॉरेंस भी मौजूद थे, टिबेट्स ने अपने क्रू को अपनी देखरेख में विमान पर चढ़वाया."

"जब सह-पायलट रॉबर्ट लुइस कंट्रोल के पास आए तो टिबेट्स ने उन्हें झिड़कते हुए कहा, 'कीप योर डैम्ड हैंड्स ऑफ़ कंट्रोल. आई एम फ़्लाइंग द एयरक्राफ़्ट.' (अपने हाथ कंट्रोल से दूर रखो. मैं जहाज़ को उड़ा रहा हूँ)."

इयन मैकग्रेगर आगे लिखते हैं, "टिबेट्स ने अपने सामने साढ़े आठ हज़ार फ़ीट लंबे रनवे पर एक नज़र दौड़ाई. उन्होंने अपने क्रू से बात करके इस बात की पुष्टि की कि सब कुछ ठीक है.

अपने माथे से पसीना पोंछते हुए उन्होंने कंट्रोल टावर से कहा, "'डिंपल्स 82 टु नॉर्थ टिनियन टावर. रेडी टु टेकऑफ़.' एक सेकेंड से भी कम समय में जवाब आया, डिंपल्स 82, डिंपल्स 82. क्लीयर्ड फ़ॉर टेक ऑफ़."

"हिरोशिमा पर पहला एटम बम गिराने वाले मिशन की शुरुआत हो चुकी थी. जैसे ही एनोला गे आसमान में गया उसके पीछे एक के बाद एक तीन और बी-29 विमानों ने उड़ान भरी. उन विमानों में निरीक्षण उपकरण रखे हुए थे. उनमें से एक विमान 'नेसेसरी ईविल' के कप्तान कैप्टन जॉर्ज मार्कवार्ड को बमबारी की तस्वीर खींचने की ज़िम्मेदारी दी गई थी."

image Getty Images हिरोशिमा पर एटम बम गिराने वाला क्रू एटम बम को सक्रिय किया गया

'एनोला गे' के क्रू को पता था कि ये एक लंबी उड़ान होने वाली है. लक्ष्य तक पहुंचने का समय था- छह घंटे 15 मिनट. जब विमान इवो जीमा के ऊपर पहुंचा, क्रू के सदस्य विलियम पारसंस और मॉरिस जेपसन ने कहा कि विमान में रखे बम 'लिटिल ब्वॉय' को सक्रिय करने का समय आ गया है.

हालांकि उन लोगों ने हरा प्लग हटाकर लाल प्लग लगाने का कई बार अभ्यास किया था लेकिन जब वास्तव में ऐसा करने की नौबत आई तो उनके माथे पर पसीने की बूँदे आ गईं.

पारसंस ने कंसोल के पास आकर टिबेट्स को सूचित किया कि बम सक्रिय हो चुका है. वैन कर्क ने इंटरव्यू में बताया, "ये सुनते ही टिबेट्स 'एनोला गे' को तीस हज़ार फ़ीट की ऊँचाई पर ले गए. हमें 100 मील की दूरी से ही जापान का समुद्र तट दिखाई देने लगा था. 75 मील की दूरी से हम हिरोशिमा नगर को भी देख पा रहे थे."

"इस बीच विमान के क्रू के बीच होने वाली बातचीत बंद हो चुकी थी और सब लोग शांत हो गए थे. टिबेट्स ने शांति भंग करते हुए कहा कि सभी लोग गॉगल्स पहन लें. इसके बाद विमान ने 360 डिग्री का टर्न लिया जिसे लेने में उसे 6 मिनट और 15 सेकेंड लगे. टर्न पूरा होते ही हम सीधे हिरोशिमा की तरफ़ बढ़ निकले.''

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image Getty Images एटम बम ले जाने वाला विमान बम गिराने से पहले रेडियो साइलेंस

वे अपने लक्ष्य से 10 मिनट दूर थे तभी टॉमस फ़ेयरबी ने चिल्लाकर कहा कि उसे टी के आकार का आयोई पुल दिखाई दे रहा है. उसी क्षण टिबेट्स ने कंट्रोल छोड़ फ़ेयरबी को कमान सौंप दी.

अब बम गिराने में कुछ ही समय शेष बचा था. उनके पीछे आ रहे विमान 'नेसेसरी ईविल' में बैठे लोगों ने बम गिरने के लिए अपने-आप को तैयार किया.

बाद में चालक दल के सदस्य रसेल गैकनबाक ने एक इंटरव्यू में बताया, "हमने वह सिग्नल तुरंत पकड़ लिया जिसका हम इंतज़ार कर रहे थे. हम बम गिराने जा रहे थे तभी सारे रेडियो सिग्नल ऑफ़ हो गए. ऐसा जान-बूझकर किया गया था."

"जैसे ही रेडियो सिग्नल ऑफ़ हुआ हमें संकेत मिल गया कि बॉम्ब बे के दरवाज़े खोल दिए गए हैं और बम नीचे जा रहा है. उस समय हमारे विमान में मौजूद वैज्ञानिकों ने स्टॉप वॉच पर एक बटन दबाया. कुछ सेकेंडों बाद हमारे कैमरों ने तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं."

image Getty Images एनोला गे के पायलट पॉल टिबेट्स ज़मीन से 1890 फ़ीट ऊपर एटम बम फटा

वैन कर्क ने बाद में एक इंटरव्यू में याद किया, "जैसे ही बम नीचे गिरा, 'एनोला गे' झटके से आगे की तरफ़ झुका. पॉल तुरंत विमान को ऑटो पायलट पर ले गए और विमान को दाहिनी तरफ़ 160 डिग्री पर मोड़ने लगे ताकि वह उसे जितना संभव हो उतनी दूर ले जा सकें. हमारे पास वहाँ से दूर जाने के लिए सिर्फ़ 43 सेकेंड थे क्योंकि इतने समय में बम को फट जाना था."

image Getty Images एटम बम जिसे 'लिटिल बॉय' का नाम दिया गया था. तेज़ रोशनी और विमान में झटके

वैन कर्क ने याद किया, "हमारे विमान में हर किसी के पास घड़ी नहीं थी. समय का अंदाज़ा लगाने के लिए हमने 1001, 1002, 1003 गिनती गिननी शुरू कर दी. तभी हवा में एक तेज़ रोशनी दिखाई दी और कुछ सेकेंडों में हमें विमान के अंदर झटके महसूस हुए. एक अजीब सी आवाज़ सुनाई दी मानो कोई धातु की चादर फट रही हो."

"अब हमारी नज़र ये देखने नीचे गई कि वहाँ क्या हो रहा था. पहली चीज़ मैंने नोट की कि लक्ष्य के ऊपर बड़े सफ़ेद बादल उमड़ आए थे और वे ऊपर आते ही चले आ रहे थे. बादलों के निचले छोर पर पूरे शहर को धुएं के एक मोटे कंबल ने लपेट लिया था. इसके नीचे हमें कुछ भी नहीं दिखाई पड़ रहा था."

"हमने शहर का चक्कर नहीं लगाया. हम हिरोशिमा के दक्षिण पूर्व की तरफ़ उड़े और वापसी की राह पर चल पड़े."

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image Getty Images हिरोशिमा पर एटम बम गिराने के बाद का दृश्य विमान की वापसी

उन्होंने पहले से ही तय किया हुआ कोडेड संदेश नीचे भेजा, "82 वी 670 एबिल, लाइन, लाइन 2, लाइन 6, लाइन 9. क्लीयर कट. हम बेस की तरफ़ बढ़ रहे हैं."

बम गिराए जाने के बाद 'एनोला गे' इतनी ज़ोर से हिला कि कुछ पलों के लिए विमान में सवार लोगों ने समझा कि उन पर विमानभेदी तोपों से हमला हुआ है लेकिन जॉर्ज केरॉन ने उन्हें आश्वस्त किया कि ऐसा नहीं है. हिरोशिमा के ऊपर कोई भी जापानी विमान उनको चुनौती देने नहीं आया.

टिबेट्स ने अपनी आत्मकथा में लिखा, "हम थोड़े से रिलैक्स हो गए और हमने विमान को समुद्र की तरफ़ मोड़ दिया. वापसी में हमारी बातों का विषय था, जापान के साथ युद्ध की समाप्ति. हमें पता था कि इस तरह के हथियार का सामना करना किसी के भी बस की बात नहीं थी."

image Getty Images एटम बम गिरने के बाद हिरोशिमा का दृश्य भयावह दृश्य

एनोला गे के पीछे आ रहे विमान पर सवार रसेल गैकनबाक ने याद किया, "आम तौर से बम गिराने के बाद जब हम अपने बेस पर लौट रहे होते हैं तो आप ख़ुश होते हैं. आप चुटकुले सुना रहे होते हैं. आपका मूड अच्छा होता है. लेकिन इस बार पूरे विमान में चुप्पी थी. किसी के मुँह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था."

टिबेट्स ने अपनी आत्मकथा में लिखा, "जब वहाँ से मैंने वापसी की उड़ान के लिए 'एनोला गे' को मोड़ा तो मैंने जो दृश्य देखा उसे मैं ताउम्र नहीं भुला सका."

"एक बैंगनी रंग का विशाल मशरूम बन चुका था और वह 45 हज़ार फ़ीट की ऊँचाई तक पहुंच चुका था. ये एक भयावह दृश्य था. हालांकि हम कई मील दूर आ चुके थे लेकिन एक क्षण के लिए हमें लगा कि ये मशरूम हमें भी निगल जाएगा. मैं उन क्षणों को कभी भी नहीं भुला पाया, और न ही हिरोशिमा के लोग."

image STEIN & TAY पॉल टिबेट्स की किताब

इस हमले में एक अनुमान के मुताबिक़ क़रीब एक लाख लोग मारे गए थे.

तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त को इसी तरह का एटम बम जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर गिराया गया.

वहाँ भी मरने वालों की संख्या 80 हज़ार के आसपास थी.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.

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