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अमेरिका-चीन संबंधों में आई नई करवट: ट्रंप बोले टैरिफ बढ़ाने से खरीदारी रुक सकती है, TikTok डील पर भी फैसला टला

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को व्यापारिक टैरिफ को लेकर बड़ा संकेत दिया है. ट्रंप ने कहा कि वे अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार शुल्कों की दौड़ को और आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं नहीं चाहता कि शुल्क बहुत अधिक हो जाए, क्योंकि एक समय ऐसा आता है जब लोग खरीदना ही बंद कर देते हैं.” टैरिफ का असर बाजार पर और ट्रंप की चिंता2 अप्रैल को अमेरिका द्वारा टैरिफ लागू करने के बाद वैश्विक बाजारों में जबरदस्त उथल-पुथल देखी गई थी. ट्रंप ने अधिकांश आयातित वस्तुओं पर 10% का शुल्क लगाया था और कुछ वस्तुओं पर उच्च शुल्क को बातचीत के चलते टाल दिया गया था. हालांकि, चीन से आने वाले उत्पादों पर शुल्क को बढ़ाकर 145% तक कर दिया गया था, जब चीन ने जवाबी कार्रवाई की थी.लेकिन अब ट्रंप का कहना है कि वे शुल्क में और इज़ाफा नहीं करना चाहते क्योंकि इससे ग्राहक प्रभावित होते हैं. उन्होंने कहा, "आप लोगों को खरीदारी के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं, लेकिन एक बिंदु पर लोग चीज़ें खरीदना बंद कर देते हैं." चीन के साथ बातचीत की पुष्टि, लेकिन स्पष्टता नहींट्रंप ने यह भी कहा कि चीन की तरफ से संपर्क किया गया है और व्यापारिक समझौते की संभावनाएं अभी भी बनी हुई हैं. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या बातचीत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सीधे तौर पर शामिल हैं या नहीं. सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय खुली बातचीत अभी भी नहीं हो रही है, जिससे समझौता फिलहाल अधर में है. TikTok डील भी व्यापार समझौते से जुड़ीTikTok को लेकर भी ट्रंप ने बड़ा बयान दिया. चीन की कंपनी ByteDance द्वारा संचालित इस वीडियो ऐप के अमेरिका में 17 करोड़ उपयोगकर्ता हैं. ट्रंप ने कहा कि TikTok डील तैयार है, लेकिन जब तक अमेरिका-चीन व्यापार समझौते पर स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक इस डील को टाल दिया जाएगा. “हमारे पास TikTok के लिए एक डील है, लेकिन वह चीन पर निर्भर करेगी. इसलिए जब तक चीजें स्पष्ट नहीं होतीं, हम डील को स्थगित रखेंगे,” उन्होंने कहा. चीन का रुख भी नरमचीन की तरफ से भी पिछले सप्ताह यह संकेत दिया गया था कि वह टैरिफ की दौड़ में “संख्या की लड़ाई” नहीं लड़ना चाहता. यह संकेत इस बात का है कि दोनों देश अब व्यापार युद्ध के बजाय वार्ता की ओर बढ़ना चाहते हैं.(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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