आक पौधे का परिचय
आक के पौधे के बारे में भ्रांतियाँ
आक के पौधे के फायदे
शुगर और पेट की समस्या: आक की पत्तियों को उल्टा करके पैर के तलवे से सटा कर मोजा पहनने से शुगर लेवल सामान्य हो जाता है।
घाव: आक का हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके पत्तों को मीठे तेल में जलाकर सूजन पर लगाने से राहत मिलती है।
खाँसी: आक के पत्तों के धुएँ से बवासीर में आराम मिलता है।
सिरदर्द: आक की जड़ की राख को कड़वे तेल में मिलाकर लगाने से खुजली ठीक होती है।
गठिया: आक की जड़ को पकाकर उसमें गेहूँ मिलाकर खाने से गठिया में राहत मिलती है।
बवासीर: आक के पत्तों को तिल के तेल और नींबू के रस के साथ मिलाकर सेवन करने से बवासीर ठीक होती है।
दाद: आक के दूध को हल्दी के साथ मिलाकर लेप करने से दाद में लाभ होता है।
खुजली: आक के सूखे पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
हानिकारक प्रभाव
आक का पौधा, जिसे आमतौर पर मदार या अर्क के नाम से जाना जाता है, शुष्क और ऊँची भूमि पर आसानी से पाया जाता है। हालांकि, इसके उपयोग के बारे में जानकारी बहुत कम लोगों को होती है।
आक के पौधे के बारे में भ्रांतियाँ
सामान्यतः यह माना जाता है कि आक का पौधा विषैला है और मनुष्यों के लिए हानिकारक है। यह सच है कि आयुर्वेद में इसे उपविषों में रखा गया है। यदि इसका अधिक सेवन किया जाए तो यह उल्टी और दस्त का कारण बन सकता है। आक के रासायनिक तत्वों में एमाईरिन, गिग्नटिओल, और केलोट्रोपिओल शामिल हैं।
आक के पौधे के फायदे
आक के अद्भुत लाभ:
हानिकारक प्रभाव
हालांकि आक का पौधा कई लाभ प्रदान करता है, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है। आक की जड़ की छाल का अधिक उपयोग करने से आंतों में जलन और उल्टी हो सकती है। इसलिए, इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए।
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