भोपाल में, कई प्रमुख कंपनियां आइसक्रीम के नाम पर घी और तेल का उपयोग कर रही हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इन कंपनियों ने अपने उत्पादों पर 'फ्रोजन डेज़र्ट कंटेन एडेबल ऑयल' का लेबल लगा रखा है, जिससे उपभोक्ता भ्रमित हो जाते हैं।
आम लोग इस लेबल का सही अर्थ नहीं समझ पाते हैं, जिससे उन्हें यह नहीं पता चलता कि आइसक्रीम वास्तव में वनस्पति घी या तेल से बनी है। हाल ही में खाद्य विभाग की जांच में यह सामने आया कि आइसक्रीम में मिल्क फैट की मात्रा 16 प्रतिशत होनी चाहिए, लेकिन कई उत्पादों में यह केवल 5.5 प्रतिशत पाई गई।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
घी वाली आइसक्रीम के संभावित खतरे
फ्रोजन डेज़र्ट की गुणवत्ता
फ्रोजन डेज़र्ट में क्रीम की मात्रा बहुत कम होती है, और कई उत्पादों में तो यह नदारद होती है। लगातार ऐसे उत्पादों का सेवन करने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
असली आइसक्रीम की पहचान
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड रेग्यूलेशन एक्ट-2011 के अनुसार, असली आइसक्रीम में केवल दूध, दूध से बने उत्पाद, चीनी और फ्लेवर होना चाहिए। इसमें 16 प्रतिशत मिल्क क्रीम होनी चाहिए।
घी-तेल वाली आइसक्रीम में क्रीम की कमी
फ्रोजन डेज़र्ट में आमतौर पर वनस्पति घी और अन्य तेलों का उपयोग किया जाता है। जांच में यह भी सामने आया कि कई नामचीन कंपनियों की आइसक्रीम में निर्धारित फैट की मात्रा से कम थी।
विशेषज्ञों की राय
डॉक्टरों का कहना है
डॉ. आदर्श वाजपेयी के अनुसार, वनस्पति घी से बनी आइसक्रीम का सेवन करने से शरीर में खराब वसा का स्तर बढ़ता है, जो दिल के लिए खतरा बन सकता है।
डॉ. शौकत आबिद ने कहा कि ऐसे उत्पादों का अधिक सेवन न केवल दिल बल्कि लिवर पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
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