महराजगंज। यूपी समाचार: महराजगंज जिले के सिविल कोर्ट ने एक मामले में 33 वर्षों के बाद दोषियों को सजा सुनाई है। अदालत ने एक दिन की सजा के साथ 1500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह कार्रवाई पुलिस विभाग के 'ऑपरेशन शिकंजा' के तहत की गई, जिसमें प्रभावी पैरवी के माध्यम से आरोपियों के खिलाफ सजा सुनिश्चित की गई। यह मामला पुरन्दरपुर क्षेत्र से संबंधित है।
पुलिस कार्यालय की मीडिया सेल के अनुसार, पुरन्दरपुर पुलिस ने 1989 में तीन आरोपियों बुद्धिराम, शीश मुहम्मद और हमीमुद्दीन के खिलाफ आईपीसी की धारा 382 और 411 के तहत मामला दर्ज किया था।
जांच के बाद चार्जशीट अदालत में पेश की गई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ सजा की मांग की। अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को एक दिन की न्यायिक अभिरक्षा और 1500 रुपये के जुर्माने से दंडित किया। यदि जुर्माना नहीं भरा गया, तो 10 दिन की अतिरिक्त कारावास की सजा का प्रावधान रखा गया।
इसके अतिरिक्त, धारा 411 आईपीसी के तहत भी एक दिन की न्यायिक अभिरक्षा और 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना न अदा करने पर दोषियों को 10 दिन की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
हाल ही में, राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में एक अदालत ने 20 साल पुराने सड़क दुर्घटना के मामले में एक आरोपी को दोषी ठहराया था।
यह घटना 2 मार्च 2002 को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के पुराने पंखा रोड पर हुई थी, जहां एक ट्रैक्टर ने एक व्यक्ति को टक्कर मारी थी। इस दुर्घटना में पीड़ित को गंभीर चोटें आई थीं और 12 दिन के उपचार के बाद उसकी अस्पताल में मृत्यु हो गई।
इस मामले में ट्रैक्टर चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। 20 साल की सुनवाई के बाद, अदालत ने ट्रैक्टर चालक को लापरवाही से गाड़ी चलाने का दोषी पाया।
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