भारत में प्राचीन समय से यह मान्यता रही है कि सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके अपने पतियों की आयु बढ़ाने के लिए प्रार्थना करती हैं। इसी कारण, महिलाएं अक्सर मंदिर में प्रवेश करने से पहले 16 श्रृंगार करती हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां महिलाएं नहीं, बल्कि पुरुष 16 श्रृंगार करके महिलाओं के वस्त्र पहनकर पूजा करने जाते हैं। यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले में स्थित है, और इसकी मान्यता है कि यहां की देवी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी।
मंदिर की अनोखी परंपरा
यह केरल का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसकी छत पर कलश नहीं है। यहां परंपरा के अनुसार, पुरुषों को महिलाओं की तरह सजना-सवरना पड़ता है, तभी वे माता के दर्शन कर सकते हैं। पुरुष यहां माता से अपने घर की सुख-शांति और खुशहाली की प्रार्थना करते हैं।
इस मंदिर को कोट्टनकुलंगरा श्रीदेवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। खास बात यह है कि साल में केवल 23 और 24 मार्च को ही पुरुष महिलाओं के वस्त्र पहनकर मंदिर में जाते हैं। अन्य दिनों में वे अपने सामान्य वस्त्र पहनकर माता के दर्शन कर सकते हैं। लेकिन इन विशेष दिनों में उन्हें महिलाओं के वस्त्र पहनने की अनिवार्यता होती है।
चाम्याविलक्कू महोत्सव
इन दो दिनों में मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है, और इसे पूरे कोल्लम जिले में एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस महोत्सव को चाम्याविलक्कू फेस्टिवल कहा जाता है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पुरुष महिलाओं की वेशभूषा धारण करते हैं। पुरुषों के उत्साह को देखकर ऐसा लगता है कि वे इस दिन 16 श्रृंगार करने में कोई दुख नहीं महसूस करते।
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