आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एसीबी अदालत ने भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे एक अधिकारी को सजा सुनाई है. निचली अदालत ने 13 साल बाद अपना अंतिम फैसला सुनाया है. आरोपी अधिकारी ने 1500 रुपये की रिश्वत मांगी थी. इसे लेकर अधिकारी को 6000 रुपये जुर्माना और जेल की सजा सुनाई गई बै.
जानकारी के मुताबिक, मामला विजयवाड़ा के पटमाता इलाके का है. यहां रहने वाले के. वेंकट नागा बाबू एसी मैकेनिक का काम करते हैं. सरकारी जनरल अस्पताल के कर्मचारियों ने एसी और कूलर की मरम्मत के बिलों को संसाधित करने के लिए उनसे रिश्वत की मांग की थी. इस पर उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया.
इन बिलों की पूरी राशि स्वीकृत करने के लिए, जीजीएच के सहायक निदेशक (प्रशासन) टी. शंकर राव ने 1500 रुपये की रिश्वत मांगी थी. इससे तंग आकर एसी मैकेनिक नागबाबू ने विजयवाड़ा रेंज एसीबी अधिकारियों से संपर्क किया. फिर 2013 में एसीबी अधिकारियों ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. 20-03-2013 को 1500 रुपये की रिश्वत लेते हुए, शंकर राव को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया. फिर विजयवाड़ा स्थित एसीबी की विशेष अदालत में उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया.
दो साल कारावास की सजा
मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद, एसीबी अदालत ने एक सरकारी अस्पताल के सहायक निदेशक (प्रशासन) शंकर राव को रिश्वत लेने के जुर्म में दो साल के कारावास और 6,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह रिश्वतखोरों के लिए एक चेतावनी है. क्योंकि उन्हें 1,500 रुपये के लालच में पकड़ा गया और जेल की सजा सुनाई गई.
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