बेरूत, 27 अक्टूबर . लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (यूएनआईएफआईएल) ने बताया है कि उसका एक गश्ती दल इजरायली गोलीबारी की चपेट में आ गया, लेकिन सौभाग्य से किसी जवान को चोट नहीं आई और न ही किसी उपकरण को नुकसान पहुंचा.
यूएनआईएफआईएल के बयान के अनुसार, Sunday शाम करीब 5 बजकर 45 मिनट पर (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार 3:45 बजे) एक इजरायली ड्रोन काफर किला गांव के पास यूनिफिल के गश्ती दल के पास पहुंचा और एक बम गिराया. कुछ ही क्षणों बाद, एक इजराइली टैंक ने शांति सेना पर गोलीबारी की. सौभाग्य से, ‘यूनिफिल’ के कर्मियों या उपकरणों को कोई चोट या क्षति नहीं हुई.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, ‘यूनिफिल’ ने बताया कि यह घटना उसी जगह हुई जहाँ इससे पहले भी एक इजराइली ड्रोन ने उनकी गश्त के ऊपर बहुत नीचे से उड़ान भरी थी, जिसके बाद यूएन बलों को रक्षात्मक कदम उठाने पड़े थे. संगठन ने इजरायल की इस कार्रवाई की निंदा की और कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 और लेबनान की संप्रभुता का उल्लंघन है.
इज़राइल की ओर से इस घटना पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
अक्टूबर 2023 में गाजा युद्ध शुरू होने के बाद से सीमा पार झड़पें शुरू होने के बाद से यूनिफिल के ठिकानों को कई बार निशाना बनाया गया है. इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच युद्धविराम के बावजूद इजरायल समय-समय पर लेबनान में हवाई हमले करता रहा है.
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हाल ही में हुए ऐसे हमलों में तीन लोगों की मौत हुई है. पहले दो लोगों की मौत बताई गई थी, लेकिन बाद में एक और हमले में तीसरे व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई.
इजरायली सेना ने कहा कि उसने हिज़्बुल्लाह के सदस्यों को निशाना बनाया. सेना का दावा है कि उसने पूर्वी लेबनान में अली हुसैन अल-मुसावी नामक व्यक्ति को मार गिराया, जो सीरिया से हथियार लाकर लेबनान में पहुँचाता था और हिज़्बुल्लाह को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा था.
इसमें यह भी कहा गया है कि रास बियादा गाँव में हिज़्बुल्लाह के एक स्थानीय प्रतिनिधि, अबेद महमूद अल-सईद, नक़ौरा हमले में मारे गए. हिज़्बुल्लाह की ओर से कथित मौतों की कोई पुष्टि नहीं हुई है.
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने पिछले सप्ताह कहा कि इजराइल के लगातार हो रहे हमले चिंता का विषय हैं. इनसे आम नागरिकों की मौत, घायल होने की घटनाएं और घरों व कृषि क्षेत्रों को नुकसान बढ़ता जा रहा है.
नवंबर 2024 में हुए युद्धविराम समझौते के तहत इजराइल को जनवरी 2025 तक दक्षिणी लेबनान से अपनी सेना हटानी थी, लेकिन अब भी उसकी सेनाएँ पाँच सीमावर्ती चौकियों पर मौजूद हैं, जिन्हें इजरायल अपने लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानता है.
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