चंबा, 22 अक्टूबर . हिंदू धर्म की मानें, तो मृत्यु के बाद आत्मा स्वर्ग या नरक में से कहां जाएगी? इसका फैसला यमराज की कचहरी में होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि मृत्यु के देवता कहे जाने वाले यमराज की सिर्फ यमलोक में ही नहीं, बल्कि धरती पर भी उनकी कचहरी लगती है, जहां व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब होता है.
Himachal Pradesh के चंबा जिले के भरमौर में स्थित है एक रहस्यमय और प्राचीन मंदिर, जिसे यमराज की कचहरी कहा जाता है. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच बसे भरमौर में यह मंदिर बहुत ही साधारण सा दिखता है, मानों एक छोटा सा घर हो. लेकिन, कोई भी यहां आने से कतराता है.
इस मंदिर की मान्यता बेहद विशेष और रहस्यमय है. कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा सबसे पहले इसी स्थान पर आती है. यहां भगवान चित्रगुप्त आत्मा के सभी अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा जांचते हैं.
मंदिर में एक खाली कमरा है, जिसे चित्रगुप्त का कक्ष माना जाता है. इसी कमरे में आत्मा को लाया जाता है, जहां चित्रगुप्त अपनी बही ‘अग्रसंधानी’ से उस आत्मा के जीवन भर के कर्म पढ़ते हैं. इसके बाद आत्मा को सामने वाले कक्ष यानी यमराज की अदालत में ले जाया जाता है और वहीं तय होता है कि आत्मा को स्वर्ग भेजा जाएगा या नरक.
इस मंदिर में चार द्वार हैं, जो तांबे, लोहे, सोने और चांदी के बने हुए माने जाते हैं. मान्यता है कि आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार इन द्वारों में से किसी एक से स्वर्ग या नरक की ओर भेजा जाता है.
स्थानीय लोग इस मंदिर से कतराते हैं. यहां का माहौल इतना गंभीर और रहस्यमय है कि अधिकतर लोग मंदिर को बाहर से ही प्रणाम कर लेते हैं. कोई भी इसके अंदर जाने की हिम्मत नहीं करता.
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पीआईएम/एबीएम
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