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झारखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ दर्ज किया आपराधिक अवमानना का केस

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रांची, 17 अक्टूबर . Jharkhand हाईकोर्ट की फुल बेंच ने न्यायपालिका पर कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया है. मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी. वहीं, अधिवक्ता महेश तिवारी को नोटिस जारी किया गया है और तीन हफ्ते में जवाब मांगा गया है.

घरेलू बिजली कनेक्शन और बिल से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान Thursday को जस्टिस राजेश कुमार की बेंच में महेश तिवारी और जस्टिस के बीच तीखी बहस हुई. यह सुनवाई यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम की जा रही थी, और वीडियो social media पर वायरल हो गया.

वीडियो में महेश तिवारी कहते दिखे, “मैं अपने तरीके से बहस करूंगा, न कि आपके तरीके से. कृपया ध्यान दें. किसी वकील को अपमानित करने की कोशिश मत कीजिए. देश न्यायपालिका को लेकर जल रहा है. मैं पिछले 40 साल से कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहा हूं.”

यह बहस उस समय हुई जब याचिकाकर्ता पुष्पा कुमारी की ओर से दलीलें पेश करते हुए अधिवक्ता महेश तिवारी ने अदालत को बताया कि उनसे बिल और जुर्माने के तौर पर 1.30 लाख रुपए से अधिक राशि मांगी जा रही है. उन्होंने अनुरोध किया कि दीपावली के मद्देनजर केवल 10-15 हजार रुपए जमा करवाकर कनेक्शन बहाल किया जाए.

जस्टिस कुमार ने कहा, “हम यहां दया के आधार पर न्याय करने नहीं बैठे हैं. यह कोर्ट ऑफ लॉ है. कोर्ट ऑफ जस्टिस नहीं.” संक्षिप्त सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिया कि कनेक्शन बहाल किया जाए, बशर्ते 50,000 रुपए जमा किए जाएं.

अधिवक्ता महेश तिवारी ने कहा कि अधिकतम 15,000 रुपए ही उचित थे, क्योंकि मासिक बिल 200 रुपए से कम था.

जस्टिस ने प्रतिक्रिया में कहा, “तिवारी जी, आप खड़े होकर कहते हैं कि याचिकाकर्ता विधवा है, गरीब है. ये कोई प्लीडिंग नहीं है. मैं खाली खोपड़ी के साथ नहीं बैठा हूं. खोपड़ी में कुछ है.”

सुनवाई समाप्त होने के बाद अधिवक्ता ने फिर जस्टिस को लक्षित करते हुए टिप्पणी की, जिस पर अन्य अधिवक्ताओं ने बीच-बचाव किया.

इस बीच लाइव स्ट्रीमिंग का वीडियो social media पर वायरल हो गया और विषय चर्चा का केंद्र बन गया.

Friday को चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस राजेश शंकर की पूर्ण पीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस घटना को आपराधिक अवमानना मानते हुए इसे ‘कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम महेश तिवारी’ के रूप में सूचीबद्ध किया.

एसएनसी/एबीएम

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