बेंगलुरु, 8 अप्रैल . कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से जुड़े ‘मुडा’ (मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लोकायुक्त की ‘बी रिपोर्ट’ को चुनौती दी है और इसके खिलाफ विशेष जन प्रतिनिधि न्यायालय में एक याचिका दायर की है.
ईडी के वकील ने मंगलवार को अदालत को बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने अपनी जांच के विवरण लोकायुक्त पुलिस के साथ शेयर किए थे, लेकिन उस पर गौर नहीं किया गया. यह रिपोर्ट अदालत में भी पेश की जाएगी. ईडी ने 27 दस्तावेज जमा करने की अनुमति मांगी है.
ईडी के वकील ने कहा कि संबंधित (मूल) मामले में लोकायुक्त ने ‘बी रिपोर्ट’ पेश की है, इसलिए ईडी को उस क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल उठाने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल आरोपी को आसानी से नहीं छोड़ा जाना चाहिए. प्रवर्तन निदेशालय एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है और उसे लोकायुक्त रिपोर्ट पर सवाल उठाने का अधिकार है.
उन्होंने कहा कि भले ही मूल मामले में जांच टीम ‘बी रिपोर्ट’ जमा करे, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मामलों में कहा है कि ईडी इसे चुनौती दे सकता है.
जज ने कहा कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को अलग से शिकायत याचिका दायर करने की अनुमति नहीं है. इसलिए यदि आप शिकायतकर्ताओं के समर्थन में कुछ तथ्य प्रस्तुत करना चाहते हैं तो कर सकते हैं. इसके बाद अदालत की कार्रवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई.
जानकारी के अनुसार, मुडा घोटाला मामला करीब पांच हजार करोड़ रुपये का है. इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. बताया जा रहा है कि सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने कुछ जमीन गिफ्ट के तौर पर दी थी. यह जमीन मैसूरु जिले के कैसारे गांव में स्थित है. बाद में इस जमीन को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) ने अधिग्रहित कर लिया. इसके बदले पार्वती को विजयनगर इलाके में 38,223 वर्ग फीट के प्लॉट दे दिए गए. आरोप है कि दक्षिण मैसूरु के प्रमुख इलाके में मौजूद विजयनगर के प्लॉट की कीमत कैसारे गांव की उनकी मूल जमीन से बहुत अधिक है. इसी को लेकर सिद्धारमैया भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हैं.
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