वाल्मीकि नगर, 29 जुलाई . बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि नगर विधानसभा क्षेत्र आगामी 2025 विधानसभा चुनावों में एक बार फिर राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनने जा रहा है. यह क्षेत्र बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में है, लेकिन वाल्मीकि नगर Lok Sabha सीट के अंतर्गत आता है. सामान्य श्रेणी की यह सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. उसके बाद से यहां नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का दबदबा रहा है.
वाल्मीकि नगर क्षेत्र का धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय महत्व है. वाल्मीकि नगर की आज पहचान राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य से होती है. लगभग 880 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला बिहार का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान नेपाल के राजकीय चितवन नेशनल पार्क से सटा है. यह उद्यान बेतिया से लगभग 80 किलोमीटर दूर, वाल्मीकि नगर में स्थित है. इसके भीतरी 335 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को साल 1990 में देश का 18वां बाघ अभयारण्य घोषित किया गया.
इस उद्यान में बाघ, हिरण, चीतल, सांभर, तेंदुआ, नीलगाय, जैसे कई जंगली पशु पाए जाते हैं. इसके अलावा, चितवन नेशनल पार्क की सीमा से सटे होने के कारण, यहां एकसिंगी गैंडा और जंगली भैंसा जैसे दुर्लभ जीवों की भी उपस्थिति देखी जाती है.
वाल्मीकि नगर राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर पर महर्षि वाल्मीकि का आश्रम स्थित है, जिसके विषय में मान्यता है कि भगवान राम के त्यागे जाने के बाद देवी सीता ने आश्रय लिया था. यहीं पर उन्होंने लव और कुश को जन्म दिया था. यह वही पवित्र स्थल है जहां महर्षि वाल्मीकि ने हिंदू महाकाव्य ‘रामायण’ की रचना की थी.
इसके अलावा भारत-नेपाल बैराज और जलविद्युत परियोजना वाल्मीकि नगर को अहमियत दिलाते हैं. आश्रम के निकट ही गंडक नदी पर स्थित एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जिससे 15 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है. गंडक नदी पर गंडक परियोजना के तहत एक विशाल बांध निर्मित है. यह बांध और इसकी नहरें उत्तर-पश्चिम बिहार की जीवनरेखा हैं. यही नहर प्रणाली पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी सिंचाई का महत्वपूर्ण स्रोत है.
इस बांध से जल-विद्युत उत्पादन भी किया जाता है. यह बांध देश को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था. इस परियोजना से निकाली गई नहरें न केवल चंपारण, बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से को भी सिंचित करती हैं. गंडक बैराज के पास का शांत और सुंदर वातावरण पर्यटकों के लिए अत्यंत आकर्षक है.
इसके अतिरिक्त, यहां बेतिया राज द्वारा निर्मित प्राचीन शिव मंदिर और शिव-पार्वती मंदिर भी दर्शनीय हैं, जो धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व दोनों लिए हुए हैं.
वाल्मीकि नगर विधानसभा सीट पर अब तक तीन बार चुनाव हुए हैं, जिनमें दो बार जेडीयू ने जीत हासिल की, जबकि एक बार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता, जो वर्तमान में जेडीयू का हिस्सा हैं. 2010 के चुनाव में वाल्मीकि नगर से जेडीयू के टिकट पर राजेश सिंह ने चुनाव जीता था. उस समय धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा से चुनाव लड़ा. फिर 2015 में धीरेंद्र प्रताप सिंह ने निर्दलीय रूप में जीत हासिल की और 2020 में जेडीयू में लौटकर सीट को बरकरार रखा.
वाल्मीकि नगर विधानसभा सीट पर 2020 में करीब 58.90 वोट पड़े थे. चुनाव आयोग के मुताबिक, कुल मतदाताओं की संख्या करीब 3.32 लाख है, जिनमें से 1.95 लाख से अधिक वोटर्स ने ही मत का इस्तेमाल किया था.
वाल्मीकि नगर सीट पर पिछले दिनों चुनावों का ट्रेंड यह स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि व्यक्तिगत प्रभाव और जनाधार इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. हालांकि, इस बार यहां के सामाजिक समीकरण, प्रशासनिक उपेक्षा, आधारभूत ढांचे की कमी, और आदिवासी जनसंख्या की भूमिका चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकती है.
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डीसीएच/केआर
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