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शेखर कपूर ने डॉल्फिन और एआई को लेकर साझा की दिलचस्प कहानी, इंसानी बुद्धिमत्ता पर उठाया सवाल

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Mumbai , 27 जुलाई . फिल्म निर्देशक और पद्म भूषण से सम्मानित शेखर कपूर ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक डॉल्फिन की तस्वीर साझा करते हुए कैप्शन में एक लंबा नोट लिखा, जिसमें उन्होंने गूगल के एक एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) प्रोजेक्ट का जिक्र किया.

इस प्रोजेक्ट में वैज्ञानिक डॉल्फिन की आवाजों और उनके संवाद के तरीकों को समझने के लिए आधुनिक एआई तकनीक की मदद ले रहे हैं.

शेखर कपूर ने लिखा, “वैज्ञानिक एक टैंक में डॉल्फिन की बुद्धिमत्ता का अध्ययन कर रहे हैं. वे डॉल्फिन को संकेत और उत्तेजक भेज रहे थे, और नवीनतम एआई तकनीक के माध्यम से डॉल्फिन की प्रतिक्रिया को रिकॉर्ड और विश्लेषण कर रहे थे. कई महीनों तक यह अध्ययन चला और वे पैटर्न खोजने की कोशिश करते रहे. उन्होंने पूछा, ‘डॉल्फिन असल में कितनी बुद्धिमान हैं?’ लेकिन जो चीज वैज्ञानिकों को बेचैन कर रही थी, वह यह थी कि डॉल्फिन हर बार वापस आकर वैज्ञानिकों को इस तरह देखती जैसे कह रही हो, ‘अगला संकेत क्या है?’ जैसे यह कोई खेल हो जिसका वह आनंद ले रही हो. क्या डॉल्फिन सिर्फ खेल का मजा ले रही थी? क्या खेल में भी कोई पैटर्न होता है?”

इसके बाद शेखर कपूर ने कहानी को एक दिलचस्प मोड़ देते हुए लिखा, “जब उन्होंने डेटा का विश्लेषण किया, तो उन्हें कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया या कोई सुसंगत पैटर्न नहीं मिला. यहां तक कि नवीनतम एआई तकनीक से भी प्रतिक्रियाएं पूरी तरह से बेतरतीब लगीं.”

उन्होंने आगे लिखा कि एक दिन वैज्ञानिकों में से एक की 10 साल की बेटी लैब में आई. जैसे ही डॉल्फ़िन ने उस बच्ची को देखा, वह उत्साहित हो गई और पानी में ऊपर-नीचे लुढ़कने लगी… जैसे वह उस बच्ची के साथ खेलना चाहती हो. डॉल्फिन की आवाज मानो गाने और गुनगुनाने जैसी लगने लगी, और छोटी बच्ची भी उसके साथ गुनगुनाने लगी. यह देख वैज्ञानिक हैरान रह गए.

उन्होंने आगे बताया, ”इस अद्भुत अनुभव के बाद वैज्ञानिकों ने बच्ची से पूछा, ‘ये क्या हो रहा है?’ बच्ची ने मुस्कुराकर जवाब दिया, ‘हम दोनों साथ गा रहे हैं.’ इसके बाद एआई तकनीक ने तेजी से उस बातचीत का विश्लेषण किया और चौंकाने वाली बात सामने आई. दरअसल, पूरे समय जब वैज्ञानिक डॉल्फिन का अध्ययन कर रहे थे, तो वह खुद उन्हें ही समझने के लिए विश्लेषण कर रही थी. यही वजह थी कि वैज्ञानिकों को उसकी प्रतिक्रियाओं में कोई स्पष्ट पैटर्न नहीं मिल सका.”

शेखर कपूर ने इस कहानी का सार बताते हुए लिखा, “यानी वैज्ञानिकों को अपने ही व्यवहार में पैटर्न ढूंढना चाहिए था. वैज्ञानिकों ने बच्ची से पूछा, ‘तुम डॉल्फिन के साथ कौन सा गाना गा रही हो?’ बच्ची ने जवाब दिया, ‘यह धरती का गीत है.’ डॉल्फिन ने वैज्ञानिकों की ओर देखा. वैज्ञानिकों ने पूछा, ‘डॉल्फिन क्या चाहती है? वह हमें क्यों समझना चाहती है? बच्ची ने जवाब दिया, ”वह यह जानना चाहती है कि किस तरह की प्रजाति अपने ही घर को, अपने ही ग्रह को नष्ट करना चाहेगी.’ डॉल्फ़िन पूछ रही थी कि क्या इंसान वाकई में बुद्धिमान हैं?”

पीके/एएस

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