New Delhi, 12 नवंबर . सर्दियों में अस्थमा और सांस की समस्या आम हो जाती है. हवा में बढ़ते प्रदूषण की वजह से इम्युनिटी कमजोर हो जाती है और हवा में फैले संक्रमण से सांस लेने में परेशानी होती है.
जिन लोगों को पहले से सांस संबंधी परेशानियां हैं उन्हें सर्दियों में अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए. सर्दियों में अस्थमा की बढ़ती परेशानियों को कम करने के लिए आयुर्वेद में कई तरीके बताए गए हैं.
आयुर्वेद के अनुसार जब शरीर में वात और कफ दोष ज्यादा बढ़ जाता है, तो सांस से संबंधी रोग शरीर को घेर लेते हैं. शरीर में कफ जमा होने से वायु मार्ग अवरुद्ध हो जाता है और वात बढ़ने से सांस फूलने की समस्या होने लगती है. सर्दियों में वातावरण में बहने वाली ठंडी हवा फेफड़ों की नलियों को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है और जो लोग पहले से श्वसन रोग से पीड़ित हैं, उनके लिए ये मौसम ज्यादा खतरनाक होता है.
आयुर्वेद में सर्दियों में सांस से संबंधी रोगों से बचाव के कई तरीके बताए गए हैं. ऐसे में हल्दी वाला दूध राहत देता है. अगर फेफड़ों में सूजन या संक्रमण का खतरा होता है, तो रात के समय हल्दी के दूध का सेवन करें. दूध में कच्ची हल्दी का ही इस्तेमाल करें, पैकेट वाली हल्दी यूज न करें. लहसुन और दूध का सेवन करें. आयुर्वेद में लहसुन और दूध के मिश्रण को सबसे लाभकारी माना गया है. इसे लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है. हालांकि, इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें.
तुलसी, काली मिर्च और लौंग का पानी का काढ़ा बनाकर लेना भी राहत देता है. इससे मौसम की वजह से संक्रमण से राहत मिलती है और श्वास नलियां अच्छे से कार्य करती हैं. इसके अलावा योग, भाप और आहार से अस्थमा कंट्रोल में रह सकता है. हालांकि इसके साथ ही ठंडी हवा और धूल से खुद को बचाना जरूरी है.
सुबह के वक्त सैर पर जाने से बचें और अगर किसी कारणवश जाना पड़ रहा है, तो मास्क का इस्तेमाल जरूर करें. कुछ आयुर्वेदिक चूर्ण लेकर भी अस्थमा कंट्रोल किया जा सकता है, जैसे गिलोय का रस, पिपली चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, तालीसादि चूर्ण और त्रिकटु चूर्ण का सेवन किया जा सकता है.
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पीएस/एएस
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