नई दिल्ली, 16 मई . हर साल 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को एक्स पोस्ट में कहा कि स्वच्छता अपनाना, मच्छरों के पनपने के स्थानों की जांच करना और जागरूकता फैलाना डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी हैं.
डेंगू के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए, 2010 से ही 16 मई को ‘राष्ट्रीय डेंगू दिवस’ मनाया जाता है. इस साल की थीम ‘चेक, क्लीन, कवर: स्टेप्स टू डिफीट डेंगू’ यानी ‘जांचें, साफ करें, ढकें: डेंगू को हराने के लिए कदम’ है.
नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, ”इस साल की थीम इस बात पर जोर देती है कि डेंगू के फैलाव को रोकने के लिए नियमित रूप से मच्छरों के प्रजनन स्थलों की जांच करना, आस-पास की सफाई रखना, और पानी के बर्तनों को ढककर रखना बेहद जरूरी है.”
नड्डा ने डेंगू को एक ‘गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती’ बताया और सभी लोगों से अपील की कि वे इस लड़ाई में सक्रिय भागीदारी निभाएं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”समुदायों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी से, हम डेंगू के प्रसार को काफी हद तक कम कर सकते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं.”
स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर-बोर्न डिजीज कंट्रोल (एनसीवीबीडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, 2010 में डेंगू के कुल मामले 28,066 थे, जो 2023 में बढ़कर 2.89 लाख पहुंच गए. यानी 13 सालों में डेंगू के मामलों में लगभग 10 गुना बढ़ोतरी हुई है.
2025 में, सिर्फ मार्च तक ही भारत में 16,000 से ज्यादा डेंगू के मामले दर्ज हो चुके हैं. यह संख्या साल की शुरुआत में ही काफी ज्यादा है. यह इस बात का संकेत है कि पूरे साल में मामलों की संख्या और बढ़ सकती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”आइए हम सभी यह संकल्प लें कि स्वच्छता अपनाकर और जन जागरूकता फैलाकर हम अपने परिवार और समाज को डेंगू जैसी गंभीर बीमारी से बचाएंगे. डेंगू से बचाव ही एकमात्र बचाव है. स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत – यह डेंगू मुक्त भारत की नींव है!”
आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने भी डेंगू से बचाव को लेकर आम लोगों से कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां अपनाने की अपील की है.
डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होता है. ये मच्छर गर्म और नम वातावरण में तेजी से बढ़ते हैं. जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी नियमित रूप से फैलने लगा है. यह इस बात का संकेत है कि डेंगू का दायरा अब उत्तर भारत के ठंडे क्षेत्रों तक फैल रहा है, जो पहले इससे काफी हद तक सुरक्षित थे.
द लैंसेट में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन ने चेतावनी दी है कि अगर देश तत्काल कदम नहीं उठाता, तो दक्षिण एशिया में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बीमारियों में बढ़ोतरी होगी.
गुरुग्राम के एक प्रसिद्ध अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के कारण डेंगू का देशव्यापी प्रसार न केवल बुखार बल्कि एन्सेफलाइटिस, दौरे और गिलियन-बैरे सिंड्रोम जैसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल जोखिम भी लाता है.
गुप्ता ने कहा, ”डेंगू के मामले साल भर बढ़ते हैं, इसलिए प्रारंभिक निदान और जागरूकता महत्वपूर्ण है. डेंगू केवल बुखार तक सीमित नहीं है, यह कभी-कभी मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है. दिमाग पर असर पड़ने से मरीज को मिर्गी जैसे दौरे पड़ सकते हैं.”
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने मच्छरों के काटने और डेंगू से बचने के लिए मच्छरदानी में सोने, खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाने जैसे उपायों को अपनाने के लिए कहा है.
मंत्रालय ने एक्स पोस्ट में लिखा, ”अगर आपको डेंगू के लक्षण दिखते हैं, तो लापरवाही न करें, यह जानलेवा हो सकता है. तुरंत खून की जांच करवाएं और डॉक्टर से सलाह लें. बुखार के दौरान आराम करें और खूब सारा तरल पदार्थ पिएं. नामित सरकारी अस्पतालों में डेंगू की जांच मुफ्त उपलब्ध है.”
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पीके/केआर
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