Top News
Next Story
Newszop

देश में संविधान और मनुस्मृति के बीच है लड़ाई : राहुल गांधी

Send Push

रांची, 19 अक्टूबर . लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को मनुस्मृति को संविधान विरोधी पुस्तक करार दिया. झारखंड की राजधानी रांची के डोरंडा स्थित शौर्य सभागार में आयोजित ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान और मनुस्मृति के बीच की लड़ाई वर्षों से चली आ रही है.

राहुल गांधी ने कहा कि संविधान की किताब भले ही 1949-1950 में लिखी गई, लेकिन इसके पीछे की सोच हजारों साल पुरानी है. भगवान बुद्ध, गुरु नानक, बाबा साहेब अंबेडकर, बिरसा मुंडा, नारायण गुरु और बसावना जैसे महापुरुषों की सोच के आधार पर इसे रचा गया है. ऐसे महापुरुष और उनकी महान सोच नहीं होती तो संविधान की रचना ही नहीं होती. इसी सोच पर आज चौतरफा हमला हो रहा है. आज संविधान की रक्षा का सवाल सबसे बड़ा है.

केंद्र की सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान पर केवल नरेंद्र मोदी और अमित शाह नहीं, बल्कि उनके साथ कई लोग मिलकर आक्रमण कर रहे हैं. उनका लक्ष्य है कि संविधान को खोखला और खत्म कर दिया जाए. लेकिन, हम यह होने नहीं देंगे.

जातीय जनगणना का संकल्प दोहराते हुए राहुल गांधी ने कहा कि यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस देश के 90 प्रतिशत लोगों का हक एक प्रतिशत लोग मिलकर छीन रहे हैं. 90 प्रतिशत लोगों का इतिहास मिटाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम हर हाल में जातीय जनगणना कराएंगे और इसके साथ ही 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को खत्म करेंगे.

राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पूरी स्कूली शिक्षा हिन्दुस्तान में हुई है. स्कूलों के पाठ्यक्रम में आदिवासियों के बारे में एक पूरा चैप्टर तक नहीं है. इनके इतिहास, जीने के तौर-तरीकों, उनके विज्ञान, दर्शन और राजनीति का कहीं कोई जिक्र नहीं है. दलितों के बारे में सिर्फ एक लाइन है कि उनसे छुआछूत का व्यवहार होता है. इसी तरह ओबीसी, किसान, मजदूर, बढ़ई, नाई, मोची- इन तमाम लोगों का इतिहास कहीं लिखा ही नहीं गया है, जबकि हिन्दुस्तान में 90 प्रतिशत लोग यही हैं.

देश की अफसरशाही संरचना को भेदभावपूर्ण करार देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि बड़े मंत्रालयों में दलित, आदिवासी और पिछड़े अफसर नहीं के बराबर हैं. आज अगर देश में 100 रुपये खर्च करने का निर्णय लिया जाता है, तो इसमें दलितों, पिछड़ों और आदिवासी अफसरों की हिस्सेदारी बेहद कम हैं. पिछड़े वर्ग के अफसर 10 प्रतिशत, दलित अफसर मात्र एक रुपये और आदिवासी अफसर मात्र 10 पैसा खर्च करने का निर्णय ले पाते हैं.

राहुल गांधी ने मीडिया, कॉरपोरेट वर्ल्ड, ज्यूडिशियरी, लीगल सिस्टम, ब्यूरोक्रेसी से लेकर बॉलीवुड तक में दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों की बेहद कम भागीदारी का सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें उनका हक और हिस्से से दूर रखा गया है.

भाजपा पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि ये लोग आदिवासी को वनवासी कहते हैं. इसके पीछे इनकी सोच है कि आदिवासी को उनके हक से वंचित रखा जाए. आदिवासी वे हैं, जो इस धरती पर सबसे पहले आए. संसाधनों पर सबसे पहला हक उनका है. लेकिन वनवासी कहकर उन्हें सिर्फ जंगल में रहने वाला बताया जा रहा है.

उन्होंने भाजपा पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पार्लियामेंट और राम मंदिर के उद्घाटन से दूर रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि वह आदिवासी समुदाय से आती हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा ने मीडिया, चुनाव आयोग, सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स, ब्यूरोक्रेसी से लेकर तमाम संस्थानों को अपने नियंत्रण में ले लिया है.

एसएनसी/एकेजे

The post first appeared on .

Loving Newspoint? Download the app now