नई दिल्ली, 9 मई . 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया.
भारतीय सशस्त्र बलों की इस कार्रवाई के बाद से बौखलाए पाकिस्तान ने एलओसी और सीमावर्ती क्षेत्रों में गुरुवार रात को मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हथियारों से हमला करने की कोशिश की. लेकिन, भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के सभी हवाई हमलों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया. उनकी एक भी मिसाइल भारतीय क्षेत्र में नहीं गिरी.
कुछ दिन पहले, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए भारतीय सशस्त्र बलों ने सीमा पार मुख्य आतंकवादी ठिकानों पर लक्षित एवं सटीक हमले किए और उन्हें कुशलतापूर्वक नष्ट कर दिया.
इस ऑपरेशन ने दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत न केवल अपने आसमान को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि दुश्मन के हवाई क्षेत्र में सटीकता के साथ घुसकर जवाबी हमला करने की क्षमता भी रखता है.
भारत के वायु रक्षा प्रणालियों में सुधार का श्रेय नरेंद्र मोदी सरकार को जाता है, जिसने घटते युद्ध भंडार को समाप्त करके और बेड़े में नए, विश्व स्तरीय शस्त्रागार को शामिल करके सुरक्षा तंत्र को नया रूप देने पर जोर बनाए रखा.
रूसी एस-400 मिसाइल सिस्टम और राफेल जेट पाकिस्तान के हवाई हमले को नाकाम करने में भारत के लिए काफी अहम साबित हुए हैं. दिलचस्प बात यह है कि रूसी एस-400 मिसाइल सिस्टम और राफेल जेट एनडीए सरकार के तहत भारत की रक्षा प्रणाली का हिस्सा बने.
सशस्त्र बलों ने जो तीव्र, समन्वित प्रतिक्रिया दिखाई, वह उनकी वायु रक्षा प्रणालियों के कारण थी, जिसे मोदी सरकार के तहत पिछले 11 वर्षों में कड़ी मेहनत से बनाया गया था.
मानवरहित हवाई प्रणाली (यूएएस) ग्रिड, ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम, बराक-8 मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और डीआरडीओ की ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकियों ने मिलकर एक हवाई कवच तैयार किया, जिसने भारत में सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले के पाकिस्तान के सभी प्रयासों को विफल कर दिया.
जब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया, तो भारतीय सेना ने लाहौर में चीन से सप्लाई की गई एचक्यू-9 वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया और प्रमुख रडार इंफ्रास्ट्रक्चर को भी नुकसान पहुंचाया.
दरअसल, 2014 से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने व्यवस्थित रूप से भारत की वायु रक्षा प्रणालियों को उन्नत किया और महत्वपूर्ण रक्षा अधिग्रहण किए हैं. 2018 में पांच एस-400 ट्रायम्फ स्क्वाड्रन के लिए 35,000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ था. तीन स्क्वाड्रन अब चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात हैं.
2017 में भारत को इजरायल के साथ 2.5 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत बराक-8 मीडियम-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (एमआर-एसएएम) मिली थी. वे अब बठिंडा जैसे फ्रंटलाइन ठिकानों की रखवाली कर रहे हैं.
स्वदेशी आकाश मिसाइल बैटरियों और डीआरडीओ द्वारा विकसित काउंटर-ड्रोन सिस्टम को शामिल करने से अधिक गोला-बारूद मिला. वहीं, 2024 में सेना द्वारा शत्रुतापूर्ण यूएवी को जाम करने और निष्क्रिय करने के लिए मैन पोर्टेबल काउंटर ड्रोन सिस्टम (एमपीसीडीएस) स्थापित किए गए थे.
2021 में आत्मघाती ड्रोन का ऑर्डर दिया गया था और अब इनका निर्माण भारत में किया जा रहा है. इन ड्रोन ने विभिन्न सेक्टरों में एक साथ, सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा पूरी तरह से फेल हो गई.
इसके अतिरिक्त, इजरायली मूल के हारोप ड्रोन, जो अब स्थानीय रूप से निर्मित हैं, जिसे कराची और लाहौर में वायु रक्षा परिसंपत्तियों को निशाना बनाने और नष्ट करने के लिए तैनात किया गया था.
इन प्लेटफार्मों ने, स्कैल्प और हैमर मिसाइलों से लैस राफेल लड़ाकू जेट की रणनीतिक तैनाती ने साथ मिलकर सर्जिकल परिशुद्धता के साथ शक्ति प्रक्षेपण की भारत की क्षमता को प्रदर्शित किया.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत न केवल अपने आसमान की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि अब वह उन पर नियंत्रण भी रखता है.
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एसके/एबीएम
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