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UPI ट्रांजैक्शन पर नहीं लगेगा GST, वित्त मंत्रालय ने दी साफ जानकारी

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सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों पर विराम लगाते हुए वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ₹2,000 से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शन पर GST लगाने की कोई योजना नहीं है। सरकार ने इस तरह की खबरों को बेबुनियाद, भ्रामक और गलत करार देते हुए कहा है कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

इस आधिकारिक बयान के बाद डिजिटल पेमेंट करने वाले ग्राहकों और व्यापारियों की चिंताओं को राहत मिली है, जो बड़ी रकम के ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त टैक्स लगने की आशंका से परेशान थे।

P2M ट्रांजैक्शन पर नहीं लगता MDR या GST

सरकार ने स्पष्ट किया है कि पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) UPI ट्रांजैक्शन पर न तो मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लिया जाता है और न ही GST लागू होता है। कुछ डिजिटल पेमेंट मोड्स पर सर्विस चार्ज लगता है, जिस पर GST लग सकता है, लेकिन UPI से व्यापारी को किए गए भुगतान पूरी तरह टैक्स फ्री हैं।

यह छूट जनवरी 2020 से लागू है, जब 30 दिसंबर 2019 को CBDT (Central Board of Direct Taxes) द्वारा गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था।

छोटे व्यापारियों के लिए फायदेमंद है UPI इंसेंटिव स्कीम

सरकार ने अपनी कैशलेस इकोनॉमी को प्रोत्साहन देने की मंशा दोहराई है और बताया है कि UPI इंसेंटिव स्कीम के जरिए छोटे कारोबारियों को लाभ मिल रहा है। यह स्कीम वित्त वर्ष 2021-22 से चालू है और इसका उद्देश्य कम राशि वाले P2M ट्रांजैक्शनों को बढ़ावा देना है।

इस योजना के तहत छोटे दुकानदारों को बिना किसी अतिरिक्त लागत के डिजिटल पेमेंट स्वीकार करने में मदद मिलती है, जिससे उनका कारोबार सरल और सुरक्षित बनता है।

डिजिटल पेमेंट्स में भारत सबसे आगे

ACI वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, 2023 में दुनियाभर के 49% रियल-टाइम ट्रांजैक्शन भारत में हुए। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत डिजिटल पेमेंट टेक्नोलॉजी में ग्लोबल लीडर बन चुका है।

UPI ट्रांजैक्शन का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ा है:

  • 2019-20 में कुल UPI ट्रांजैक्शन ₹21.3 लाख करोड़ थे।
  • जबकि मार्च 2025 तक यह आंकड़ा ₹260.56 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।

₹2,000 से अधिक की UPI पेमेंट पर कोई GST लागू नहीं है और सरकार की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। यह निर्णय डिजिटल इंडिया को गति देने, छोटे व्यापारियों को सशक्त करने और कम लागत वाले लेनदेन को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम है। भारत अब न सिर्फ तकनीक में बल्कि डिजिटल लेनदेन में भी दुनिया का नेतृत्व कर रहा है।

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