राजस्थान में एक बार फिर सरकारी भर्तियों में भारी धांधली का मामला सामने आया है। इस बार मामला है शारीरिक शिक्षक (पीटीआई) भर्ती-2022 का, जिसमें एसओजी (विशेष संचालन समूह) ने बड़ी फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद स्थित जेएस यूनिवर्सिटी से बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियां जारी की गईं, जिनके आधार पर अभ्यर्थियों ने राजस्थान की पीटीआई भर्ती में हिस्सा लिया।
202 अभ्यर्थियों पर केस, कुछ पहले से आरोपित, केवल 100 सीटों वाले संस्थान ने जारी की हजारों डिग्रियां
एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि अब तक की जांच में 202 ऐसे अभ्यर्थी सामने आए हैं जिन्होंने जेएस यूनिवर्सिटी की बीपीएड डिग्री के जरिए पीटीआई भर्ती में आवेदन किया था। इनमें से 36 अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन पर पहले से ही फर्जी दस्तावेजों या परीक्षा में डमी कैंडिडेट बैठाने जैसे आरोप दर्ज हैं। एसओजी ने अब इन 202 अभ्यर्थियों और जेएस यूनिवर्सिटी प्रबंधन के खिलाफ केस दर्ज कर जांच तेज़ कर दी है।
एसओजी की जांच में खुलासा हुआ कि जेएस यूनिवर्सिटी को 2017 से बीपीएड की केवल 100 सीटों पर नामांकन की अनुमति है। यानी 2022 तक अधिकतम 400 डिग्रियां ही वैध हो सकती थीं। लेकिन पीटीआई भर्ती में 2000 से अधिक अभ्यर्थियों ने इसी संस्थान की डिग्रियों के साथ आवेदन किया, जो दर्शाता है कि बड़े पैमाने पर बैकडेट में फर्जी डिग्रियां तैयार की गईं।
सर्वर डेटा ने खोली पोल: सिर्फ एक वैध अंकतालिका
एसओजी ने विश्वविद्यालय के आधिकारिक सर्वर लॉग की जब जांच की तो एक और बड़ा खुलासा हुआ। 203 अभ्यर्थियों में से केवल एक की अंकतालिका वैध शैक्षणिक सत्र के दौरान प्रिंट की गई थी। बाकी सभी की अंकतालिकाएं भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद, विशेष रूप से जून 2022 के बाद प्रिंट की गई थीं। इनमें से कई दस्तावेज अक्टूबर 2022 में तैयार किए गए, यानी दस्तावेज सत्यापन से ठीक पहले। इससे साफ है कि तारीखों में हेरफेर किया गया और दस्तावेजों को जानबूझकर गलत समय पर तैयार किया गया।
दोहरी पहचान: आवेदन में एक डिग्री, चयन में दूसरी
जांच में यह भी सामने आया है कि 25 अभ्यर्थियों ने आवेदन करते समय किसी और विश्वविद्यालय की डिग्री दिखाई, लेकिन चयन के बाद जेएस यूनिवर्सिटी की डिग्री प्रस्तुत की। इसी तरह, 26 अभ्यर्थियों की अंकतालिकाएं उनके बताए गए शैक्षणिक सत्र से मेल नहीं खातीं। और 43 अभ्यर्थियों की डिग्रियाँ 25 सितंबर 2022 के बाद की हैं, जबकि भर्ती विज्ञप्ति में स्पष्ट लिखा था कि केवल 25 सितंबर तक की डिग्रियाँ मान्य होंगी।
एसओजी की जांच में सिर्फ जेएस यूनिवर्सिटी ही नहीं, बल्कि मेघालय के विलियम कैरी यूनिवर्सिटी, छत्तीसगढ़ के कलिंग यूनिवर्सिटी, और गुजरात व केरल के साबरमती यूनिवर्सिटी की डिग्रियाँ भी संदिग्ध पाई गई हैं। इन सभी संस्थानों की भूमिका की भी विस्तृत जांच की जा रही है। अब एसओजी इस पूरे फर्जी डिग्री रैकेट के जड़ तक पहुंचने के लिए जांच का दायरा बढ़ा रही है।
भर्ती के नाम पर धंधा, शिक्षा बन गई व्यापार
शिक्षा और नौकरी के नाम पर हो रहे इस तरह के फर्जीवाड़े ने न केवल व्यवस्था की साख को नुकसान पहुँचाया है, बल्कि मेहनती और ईमानदार अभ्यर्थियों के साथ भी अन्याय किया है। फर्जी डिग्रियों के जरिए सरकारी नौकरियों में दाखिला पाना एक गंभीर अपराध है और इसकी सज़ा सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी होनी चाहिए।
पीटीआई भर्ती-2022 का यह खुलासा दर्शाता है कि भर्तियों में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी की कितनी आवश्यकता है। यह केवल परीक्षा पास करने का मामला नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर चोट है जो शिक्षा को जनकल्याण का माध्यम मानती है। अब ज़रूरत है कि फर्जी डिग्री उद्योग पर सख्ती से कार्रवाई हो और शिक्षा संस्थानों की मान्यता व संचालन प्रक्रिया की गहन समीक्षा की जाए।