लाइव हिंदी खबर :- उत्तर प्रदेश के आगरा में 22 अगस्त को ड्रग्स विभाग और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने दावाओं से भरे एक टेंपो को पकड़ा। टीम ने जांच करते हुए हे मां मेडिकल फर्म के गोदाम तक पहुंच गई, जांच चल ही रही थी कि आगरा के मशहूर दवा कारोबारी हिमांशु अग्रवाल दो बैग मैं एक करोड़ कैश लेकर पहुंच गये और अफसर के सामने 500 के नोटों की गड्डियां रखकर कार्रवाई को तुरंत रोकने को कहा। इतना ही नहीं हिमांशु अग्रवाल ने जांच करने वाली सन्युक्त टीम से कहा कि वह एक करोड़ और दे देगा।
बस फिर क्या था यहीं से सन्युक्त टीम को अग्रवाल पर और ज्यादा शक हो गया कि एक कार्रवाई को रुकवाने के लिए दो करोड़ की रिश्वत दे, तो यह अवैध कर बोल कितना बड़ा होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सनोफी नाम की दवा कंपनी ने शिकायत की थी कि आगरा में हे मां मेडिकल और बंसल मेडिकल स्टोर में उनके ब्रांड की नकली दावाओं को बनाकर भेजा जा रहा है। इस पर एसटीएफ और इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा और संयुक्त ड्रग आयुक्त नरेश मोहन दीपक की टीम ने छापेमार कार्रवाई की।
टीम को टेंपो से 290000 एलोवेरा टैबलेट (बैच नंबर 5NG009) जब्त कीं, जांच के दौरान इन सभी टैबलेट का क्यूआर कोड एक जैसा पाया गया, जबकि हर एक स्ट्रिप पर अलग-अलग होना चाहिए था।
काफी देर चली जांच पड़ताल के बाद खुलासा हुआ कि एआई के माध्यम से असली जैसा क्यूआर कोड जनरेट करके नकली दवाइयों की स्ट्रिप पर चिपकाया जा रहा है। इन दावाओं का निर्माण चेन्नई और पुडुचेरी की फैक्ट्री में किया गया है। वहाँ से रेल मार्ग के माध्यम से इन नकली दवाओं को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार सहित कई राज्यों में पहुंचाकर बेचा जा रहा था।
पिछले करीब 15 दिन से लगातार चल रही जांच में खुलासे हुए जिसमें आगरा के चार और विक्रेता पकड़े गये। करीब 70 करोड रुपए की नकली दबायें जप्त की गईं। इसके अलावा 40 ऐसे दवा विक्रेताओं के नाम और भी सामने आये, जो ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में दवाई बेचते थे। आगरा के एक-एक व्यापारी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ तक पहुंच गया था। करीब 5 साल से यह सिंडिकेट एक्टिव था। ऐसे में अनुमान है कि यह सिंडिकेट अब तक 500 करोड़ से ज्यादा की मार्केट में दवाईयां बेंच चुका है। उदाहरण के तौर पर आपको बता दें कि अगर दवा विक्रेता ने अधिकृत कंपनी से किसी दवाई के 1000 ओरिजिनल डब्बे मंगवाए थे, तो पुडुचेरी से हूबहू वैसे ही 1000 डिब्बे तैयार करवाए जाते थे।
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