जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर देश की राजनीति में एक बड़ा हलचल पैदा कर दिया है। एक तरफ घरेलू आर्थिक चुनौतियाँ, दूसरी ओर अमेरिका के साथ व्यापारिक टकराव और अपनी ही पार्टी में बढ़ते विरोध के बीच फंसे इशिबा के इस निर्णय के पीछे कई परतें हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह सिर्फ व्यक्तिगत या स्वास्थ्य संबंधी कारणों से उठाया गया कदम नहीं है, बल्कि इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय दबाव, आंतरिक राजनीतिक मतभेद और तेजी से बिगड़ती आर्थिक स्थिति जैसे जटिल मुद्दे हैं।
ट्रंप की टैरिफ नीति: रिश्तों में खिंचाव
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जापानी उत्पादों पर लगाए गए भारी टैरिफ ने जापान की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला। हाल ही में घोषित नई टैरिफ दरों ने ऑटोमोबाइल, स्टील और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की कमर तोड़ दी। जापान की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था इन नीतियों से सीधे प्रभावित हुई और इशिबा सरकार पर इसे नियंत्रित करने का दबाव बढ़ता गया।
हालांकि इशिबा ने ट्रंप प्रशासन के साथ कूटनीतिक स्तर पर कई प्रयास किए, लेकिन वे दोनों देशों के व्यापार संतुलन को साधने में असफल रहे। इसका सीधा असर उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक स्थिति पर पड़ा।
बढ़ती महंगाई और जन असंतोष
जापान में बीते एक वर्ष में महंगाई दर ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। रोजमर्रा की चीज़ों के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी से जनता में असंतोष बढ़ता गया। सरकार के राहत पैकेज और सब्सिडी योजनाएं भी कारगर साबित नहीं हो सकीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई पर काबू न पाने और जीवनयापन की लागत में वृद्धि ने इशिबा के लिए संकट और गहरा कर दिया। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार को बार-बार घेरा, जिससे उनकी स्थिति और कमजोर हुई।
पार्टी के भीतर असहमति और नेतृत्व चुनौती
इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) में भी नेतृत्व को लेकर नाराजगी की खबरें लंबे समय से चल रही थीं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने खुलकर इशिबा की आर्थिक नीतियों और विदेश नीति पर सवाल उठाए।
हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग जोर पकड़ने लगी थी। यह भी बताया जा रहा है कि कुछ प्रभावशाली गुट उनके खिलाफ एक साझा रणनीति बना चुके थे, जिससे उनका पद टिकाए रखना कठिन हो गया।
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