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बिहार चुनाव 2025 में Defender-Fortuner जैसी गाड़ियों का क्रेज, गली-मुहल्ले में दिख रहीं लाखों-करोड़ों की गाड़ियां

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Luxury Cars And SUVs In Bihar Election 2025 Campaign: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग के लिए प्रचार चरम पर है और इसमें सभी दलों के नेता धन और बाहुबल का खूब इस्तेमाल कर जनता को रिझाने की कोशिशों में लगे हैं। अब बात जब चुनाव प्रचार की हो रही हैं तो लगभग सबकी निगाहें इंस्टाग्राम या फेसबुक के रील्स से गुजरती होगी, जहां अनंत सिंह की लैंड क्रूजर, खेसारी लाल यादव की डिफेंडर और सुरजभान सिंह समेत अन्य छोटे-बड़े नेताओं की टोयोटा फॉर्च्यूनर और महिंद्रा स्कॉर्पियो समेत अन्य बड़ी-बड़ी गाड़ियां दिखती होंगी। ऐसे में क्या आपको वाकई लगता है कि बिहार पिछड़ा प्रदेश है। यह तो सच है कि बिहार एक गरीब राज्य है, लेकिन वहां के जन-प्रतिनिधि लाखों-करोड़ों की कारों की सवारी करते हैं।


अनंत की लैंड क्रूजर, खेसारी की डिफेंडरबीते दिनों खबर आई कि मोकामा सीट से जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अपने लिए बुलेटप्रूफ लैंड क्रूजर 300 खरीदी, जिसकी कीमत 3 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। सिंगर और एक्टर खेसारी लाल यादव अपनी लैंड रोवर डिफेंडर से चुनाव प्रचार पर जाते हैं। भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह अपनी लैंड रोवर डिफेंडर से नजर आते हैं। इन सबके इतर छोटे-बड़े नेताओं के काफिले में टोयोटा फॉर्च्यूनर और महिंद्रा स्कॉर्पियो तो बेहद आम बात है। आलम यह है बिहार के शहर से लेकर गांव के सभी गली-मोहल्लों में महंगी कार और एसयूवी कीड़े-मकोड़े की तरह घूम रही हैं।


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लग्जरी गाड़ियों का काफिलाआपको जानकर हैरानी होगी कि नेताओं में महंगी कारों का शौक इस कदर बढ़ रहा है कि जितना जनता सपने भी नहीं देख पाती। नेताओं के बीच टोयोटा फॉर्च्यूनर और इनोवा क्रिस्टा या हाईक्रॉस, महिंद्रा स्कॉर्पियो और थार, लैंड रोवर डिफेंडर और रेंज रोवर, टोयोटा एलसी 300 से लेकर बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज कंपनी की अलग-अलग गाड़ियां काफी लोकप्रिय हैं। अब तो चुनाव प्रचार में लग्जरी बसों के साथ ही सभी सुविधाओं से लैस कैरेवन का भी क्रेज तेजी से बढ़ रहा है।

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जनता देखती रह जाती हैं...कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार में जमीन से जुड़े आम लोगों के बीच सपने बेचने आए उनके प्रतिनिधि लाखों-करोड़ों की गाड़ियां से अपने लिए मदद और समर्थन मांगने आते तो जरूर हैं, लेकिन उनके लिए जनता की जरूरतों के कितने मायने हैं, वह आप बिहार की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दशा समझ बखूबी समझ सकते हैं।

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