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'जॉब नहीं है और वीजा अप्रूव हो गए', ट्रंप की पार्टी के नेता ने H-1B पर उठाए सवाल

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H-1B Visa News: अमेरिका में H-1B वीजा प्रोग्राम एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में है। इसकी वजह ये है कि यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस (USCIS) ने बताया है कि उन्होंने 2026 के लिए 1,20,141 H-1B वीजा एप्लिकेशन चुने हैं। ये 2021 के बाद सबसे कम संख्या है। हालांकि, भले ही एक लाख से ज्यादा एप्लिकेशन का चुनाव किया गया है, लेकिन टेक सेक्टर में कम हो रही नौकरियों की वजह से चिंता बढ़ती जा रही है। टेक सेक्टर में हर महीने बड़े पैमाने पर छंटनी भी हो रही है। हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रॉन हीरा H-1B प्रोग्राम के पुराने आलोचक हैं। उन्होंने कहा कि ये सिस्टम काबिलियत या नौकरी की कमी पर आधारित नहीं है। हीरा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, "H-1B वर्कर्स को एक लॉटरी सिस्टम से चुना जाता है, न कि सबसे अच्छे और काबिल लोगों को।" उन्होंने ये भी कहा कि इस प्रोग्राम की वजह से कंपनियों को अमेरिकी ग्रेजुएट्स को नौकरी देने के बजाय सस्ते विदेशी वर्कर्स को हायर करने की इजाजत मिलती है। ये मुद्दा काफी समय से उठ रहा है। छंटनी किए जाने वाले कर्मचारी को चुना गया: रिपब्लिकन नेता2026 के लिए चुने गए लोगों की संख्या को लेकर अमेरिकी टेक वर्कर्स और नेता भी चिंतित है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन नेता विर्गिल बियरशवाले ने सवाल उठाया है कि क्या कंपनियां इस सिस्टम का इस्तेमाल भविष्य में होने वाली छंटनी की योजना बनाने के लिए कर रही हैं। उन्होंनेकहा, "2026 का वीजा अप्रूवल मुझे परेशान कर रहा है। अभी से एक साल पहले, उन्होंने वीजा अप्रूव कर दिए हैं और वीजा पाने के लिए उनके पास नौकरी होनी चाहिए। इसका मतलब है कि कंपनी ने पहले से ही उस कर्मचारी को चुन लिया है जिसे वे नौकरी से निकालने वाले हैं, क्योंकि वे नई नौकरियां नहीं क्रिएट रहे हैं। ये हर लेवल पर फ्रॉड कैसे नहीं है?" 'नौकरियां मौजूद नहीं, फिर भी मिल रहा वीजा'US Tech Workers नाम की संस्था ने कहा है कि कुछ अप्रूव्ड नौकरियां शायद मौजूद भी न हों। संस्था ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "H-1B पिटीशन का एक बड़ा हिस्सा उन नौकरियों के लिए होता है जो मौजूद ही नहीं हैं। इंडियन IT बॉडी शॉप H-1B वर्कर्स को जमा करने के लिए बदनाम हैं, ताकि बाद में उन्हें किराए पर दिया जा सके। अगर कोई क्लाइंट नहीं है, तो उन्हें 'बेंच' पर रखा जाता है- जो कि गैरकानूनी है। लेकिन मजबूर प्रवासियों का शोषण करना भी एक ऐसा बिजनेस मॉडल है जिसे छोड़ना मुश्किल है।"
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