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हमेशा के लिए एक 'गिफ्ट' छोड़ गया F-35B...ब्रिटिश स्टील्थ फाइटर जेट की इस 'स्मृति'को कभी नहीं भूलेगा केरल

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नई दिल्ली: 22 जुलाई को ब्रिटिश रॉयल नेवी का स्टील्थ फाइटर जेट F-35B केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयर पोर्ट से सफलतापूर्वक टेकऑफ कर गया। लेकिन, ऐसा करने में अमेरिका में बने इस अत्याधुनिक फाइटर जेट को 39 दिन लग गए। ब्रिटिश नेवी का यह लड़ाकू विमान 14 जून की रात को ही तिरुवनंतपुरम एयर पोर्ट पर आपात स्थिति में उतारा गया था। जब विमान में ईंधन खत्म हो गया तो F-35B के पायलट ने एटीसी से इमरजेंसी लैंडिंग की अनुमति मांगी और भारतीय वायु सेना के सहयोग से इसकी सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करवाई गई। लेकिन, उसके बाद 39 दिनों तक इस विमान को लेकर जितनी मुंह, उतनी बातें निकलनी शुरू हो गईं। खैर, जब यह अत्याधुनिक विमान फिर से उड़ान भरने लायक हो गया तो ब्रिटिश रॉयल नेवी और ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स को भारत की सराहना के लिए शब्द कम पड़ गए।



केरल में 39 दिन फंसा रहा F-35B

दरअसल, अमेरिका में बना पांचवीं पीढ़ी का यह स्टील्थ फाइटर जेट उतरा तो ईंधन की कमी के कारण था, लेकिन इसके बाद इसके हाइड्रोलिक सिस्टम में ऐसी खराबी आई कि इसे फिर से उड़ना मुश्किल हो गया। अमेरिका और ब्रिटेन से इंजीनियरों और तकनीशियनों की टीमें आती गईं, लेकिन सबके सब नाकारा साबित हो गए। आखिरकार 6 जुलाई को ब्रिटेन से विशेषज्ञों की एक टीम पहुंची। इसमें करीब 21 लोग थे, जिनमें एविएशन इंजीनियर भी शामिल थे।

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7 जुलाई को हैंगर में शिफ्ट हुआ विमान

ब्रिटेन से आई यह टीम बहुत ही प्रोफेशनल थी। वह भारत के एयर पोर्ट के अधिकारियों और अन्य एजेंसियों की यह बात आसानी से समझ गई कि विमान को तसल्ली से ठीक करने के लिए हैंगर में शिफ्ट करना जरूरी है, क्योंकि मॉनसून के दिनों में केरल में यूं ही इंद्र देवता की कुछ ज्यादा मेहरबानी रहती है। खैर, अगले ही दिन 85 मिलियन पॉन्ड के इस लड़ाकू विमान को पार्किंग वे से हैंगर में ले जाया गया।

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22 जुलाई को टेकऑफ हुआ लड़ाकू विमान

16 दिन बाद यानी 21 जुलाई को एयर पोर्ट के अधिकारियों की ओर से इस बात की पुष्टि की गई कि ब्रिटेन का यह जटिल F-35B फाइटर जेट 22 जुलाई को अपने गंतव्य के लिए उड़ान भरने को तैयार है। क्योंकि, ब्रिटेन से आइ एविएशन इंजीनियरों की टीम ने इसकी मरम्मत के असंभव कार्य को संभव कर दिखाया था। नहीं तो बीच में इसे सी-17 ग्लोबमास्टर में रखकर ले जाने तक की नौबत आ गई थी। लेकिन, यह काम इसकी मरम्मत से भी ज्यादा उलझाने वाला था, इसलिए पूरा फोकस इसे यहीं के हैंगर में ही ठीक करने में किया गया। अलबत्ता, भारत ने अपनी ओर से ब्रिटेन से आई टीम को हर संभव मदद उपलब्ध करवाने की कोशिश की।

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भारत को मदद के लिए आभार जता गई टीम

अब पीटीआई की एक रिपोर्ट आई है कि 22 जुलाई को तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयर पोर्ट से F-35B के उड़ान भरने के एक दिन बाद यानी 23 जुलाई की रात को यूके के 17 सदस्यीय इंजीनियरों की टीम भी अपना काम पूरा करने के बाद वापस अपने देश लौट गए। एक सूत्र ने जानकारी दी कि रवानगी से पहले यूके एयर फोर्स के अधिकारियों ने तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयर पोर्ट को इमरजेंसी लैंडिंग से लेकर आखिरी तक हर तरह की सहायता के लिए पूर्ण आभार जताया।

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एयर पोर्ट को एक 'स्मृति चिन्ह' दे गए

भारतीय मेहमानबाजी से ब्रिटिश नेवी और एयर फोर्स के अधिकारी इतने गदगद थे कि यूके रॉयल एयर फोर्स के एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट निजी तौर पर एयर पोर्ट के अधिकारियों से मिलने के लिए पहुंचे और सूत्र के अनुसार उन्होंने उन्हें रॉयल एयर फोर्स की ओर से एक 'स्मृति चिन्ह' उपहार में दे गए। ब्रिटिश विशेषज्ञों की यह टीम रात करीब 9.30 बजे रॉयल एयर फोर्स के एक विमान A400 से रवाना हो गई। एक दिन पहले F-35B केरल से ऑस्ट्रेलिया के डार्विन के लिए रवाना हुआ था।



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