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मैंने छोटी उम्र से काम करना शुरू किया, ये मेरी मजबूरी नहीं थी, इसका फायदा आज भी मिल रहा है

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पहाड़गंज में मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढ़ी दीपिका सिंह को माता-पिता ने बचपन से जिम्मेदार होना और अपने काम खुद करना सिखाया। जब दीपिका अपना शहर छोड़ मुंबई में एक्टिंग में करियर बनाने आईं तो पेरेंट्स की यही सीख उनके बहुत काम आई। टीवी पर डेली सोप में कड़ी मेहनत करते हुए दीपिका घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी भी उतनी ही शिद्दत से निभाती हैं। बचपन, करियर, शादी, पेरेंटिंग से जुड़ी कई बातें दीपिका ने हमारे साथ कुछ इस तरह शेयर की...
मैंने छोटी उम्र में काम करना शुरू किया image

मेरे जल्दी काम करने की वजह कोई मजबूरी नहीं थी। दरअसल, मेरे स्कूल के पास पापा की फैक्ट्री थी। स्कूल बस घर तक नहीं जाती थी इसलिए मैं पापा की फैक्ट्री के पास उतर जाती थी। स्कूल के बाद मैं पापा की फैक्ट्री का काम समझने की कोशिश करती थी। मुझे नई चीजें सीखना अच्छा लगता है इसलिए जल्दी ही मैं फैक्ट्री में सिलाई, कढ़ाई, डिज़ाइनिंग, पैकेजिंग वगैरह का काम समझ गई थी। मैं पढ़ाई में अच्छी थी। 10वीं में मेरे नंबर बहुत अच्छे आए तो लोकल न्यूज पेपर में मेरी तस्वीर छपी। मैं अपने एरिया में मशहूर हो गई। कुछ लोगों ने मेरी मां से पूछा कि क्या मैं उनके बच्चों को ट्यूशन पढ़ा सकती हूं। अपने जेबखर्च के लिए 11वीं से मैंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इससे मेरा भी रिवीजन हो जाता था। पापा चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेस की परीक्षा दूं। हमारे पेरेंट्स ने बचपन से हमें आत्मनिर्भर बनाया जो आगे चलकर हमारे बहुत काम आया। मुझे लगता है बच्चों को कम उम्र से छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देना शुरू कर देना चहिए, जैसे अपने कपड़े, जूते सही जगह पर रखना, पेड़ों को नियम से पानी देना, अपना कमरा साफ करना। ऐसा करने से उनके दिमाग को जिम्मेदारी उठाने की ट्रेनिंग मिल जाती है। बड़े होकर अचानक जिम्मेदारी मिलने से बच्चे घबरा जाते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास कम होता है। जो बच्चे कम उम्र से काम करना शुरू कर देते हैं वो किसी भी काम से घबराते नहीं।


पहाड़गंज में पानी की किल्लत देखी image

मेरी तरह जो लोग दिल्ली के पहाड़गंज में रहे होंगे उन सबने पानी की किल्लत जरूर देखी होगी। अब तो काफी सुविधाएं हो गई हैं। पहले वहां घरों में बोरिंग वाले पानी के मोटर नहीं होते थे। गर्मियों में जब पानी कम आता तब समझ आता था कि पानी कितना जरूरी है। उससे ये समझ आया कि पानी, बिजली जैसे जरूरी रिसोर्स को व्यर्थ नहीं गंवाना चहिए। तब हम बाल्टियों में पानी भरकर रखते थे। मैं आज भी इस बात का बहुत ध्यान रखती हूं कि पानी की बर्बादी न हो। कमरे से बाहर निकलते ही मैं लाइट बंद कर देती हूं। हमें बचपन से पेरेंट्स ने ये आदतें सिखाई हैं।


एक्टिंग के बारे में सोचा नहीं था image

कॉलेज में मैंने पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम इवेंट्स और एडवर्टाइजिंग के लिए काम करना शुरू किया। मेरे एड्स देखकर कई लोगों ने मुझे सुझाव दिया कि मुझे एक्टिंग में करियर बनाना चहिए। फिर मैंने कुछ समय तक थिएटर किया। उसके बाद टीवी शो का ऑफर मिला और मेरा नया सफर शुरू हुआ। मुझे दर्शकों का खूब प्यार मिला। ‘दीया और बाती हम’ शो से लेकर अभी मेरे शो ‘मंगल लक्ष्मी’ तक दर्शकों ने मेरे काम को पसंद किया। यही मेरी सबसे बड़ी कमाई है।


रिश्ता निभाने की कोशिश कम न करें image

प्यार निभाने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि अपना रिश्ता निभाने की कोशिश हमेशा करते रहना चहिए। खुशहाल शादीशुदा जिंदगी के लिए ये कोशिश दोनों पार्टनर को करनी चाहिए। जिंदगी में मुश्किल दौर आते रहते हैं। इस समय दोनों पार्टनर को एक दूसरे का हाथ थामकर उस स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए। सादगी में सबसे ज्यादा शक्ति होती है। आप अपने रिश्ते को जितनी सादगी से निभाएंगे आपका प्यार उतना गहरा होगा। सबसे पहले खुद को खुश रखना सीखें। जब आप खुश रहेंगे तो आप दूसरों को भी खुश रखने की कोशिश करेंगे। अपने शौक के लिए टाइम निकालें ताकि आप खुश रहें। इससे घर में खुशहाली बनी रहती है। पार्टनर को परफेक्ट बनाने की बजाय खुद को परफेक्ट बनाएं। इससे आपको अपने रिश्ते से कोई शिकायत नहीं होगी।


फिटनेस कॉन्फिडेंस देता है image

मैं फिटनेस पर हमेशा ध्यान देती हूं। लेकिन बेटे (सोहम) के जन्म के बाद मेरा वजन काफी बढ़ गया था। प्रेग्नेंसी में मेरा वजन 54 किलो से बढ़कर 72 किलो हो गया था। वजन बढ़ने के कारण मुझे कमर दर्द की तकलीफ होने लगी थी। बेटे के जन्म के 2 महीने बाद से मैंने अपनी फिटनेस पर ध्यान देना शुरू किया। मैं जिम में ट्रेडमिल, क्रॉस ट्रेनर, कार्डियो करती थी। घर में भी एक्टिव रहती थी। डाइट और वर्कआउट से मैं जल्द ही फिर से अपने पुराने शेप में आ गई।


मुझे बचपन से डांस का शौक था image

मुझे बचपन से डांस का शौक था। मैं क्लासिकल डांस की ट्रेनिंग लेना चाहती थी। जब मैं ‘दीया और बाती हम’ शो कर रही थी उस दौरान मुझे कई शोज में डांस परफॉर्म करने का मौका मिलता था। तब मुझे लगता था कि अगर मैंने डांस की ट्रेनिंग ली होती तो मेरा परफॉर्मेंस और निखर जाता। फिर मैंने गुरु सनातन चक्रवर्ती जी सेओडिसी डांस की ट्रेनिंग ली। मैंने ओडिसी डांस में विशारद किया है। उस समय मैं सुबह 6 से 7 बजे तक डांस की ट्रेनिंग लेती थी उसके बाद सेट पर जाती थी। डांस ने मेरे व्यक्तित्व को निखारा। मुझे जीने का नया तरीका सिखाया। डांस मेरी साधना है। इससे मुझे बहुत शांति मिलती है।

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