नई दिल्ली: दिल्ली लाल किले के पास हुए ब्लास्ट ने पूरे देश को हिलाकर कर रख दिया है। इस धमाके में 12 लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हैं। घायलों को देखने बुधवार पीएम मोदी भूटान से लौटते ही सीधे हॉस्पिटल पहुंचे। इस धमाके का मुख्य संदिग्ध डॉक्टर उमर उन नबी की पहचान और उस कार के सफर के हर कड़ी को सुरक्षा एजेंसियों की ओर से खंगाला जा रहा है। वहीं इस बीच इस धमाके में मारे गए लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
मारे गए लोगों के कान के पर्दे फट गए, फेफड़े और आंतें फट गईं, शरीर के ऊपरी हिस्सों में गहरे घाव मिले। धमाके की तीव्रता इतनी जबरदस्त थी कि कई लोग दीवारों से टकराकर दूर जा गिरे। हालांकि मौके पर कोई छर्रे नहीं मिले, जिससे जांच एजेंसियां विस्फोटक के प्रकार को लेकर उलझन में हैं। अब NIA ने केस अपने हाथ में ले लिया है और इसे संभावित आतंकी साजिश मानते हुए जांच शुरू कर दी है।
लाल किले के पास हुए घातक कार विस्फोट के दो दिन बाद, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विस्फोट के विनाशकारी प्रभाव के बारे में नए चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बुधवार को जारी प्रारंभिक निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि पीड़ितों को गंभीर चोटें आईं, जिनमें सिर में चोट और आंतरिक अंगों को नुकसान शामिल है। ज्यादातर चोट शरीर के ऊपरी हिस्से, सिर और छाती पर थीं, जिससे पता चलता है कि विस्फोट के कारण लोग दीवारों या जमीन पर गिर गए।
समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, मौत के कारणों में गहरे घाव और अत्यधिक ब्लीडिंग शामिल है। पोस्टमॉर्टम के दौरान, पीड़ितों के शरीर या कपड़ों पर किसी भी छर्रे के निशान नहीं मिले। जांच करने वालों का कहना है कि इस्तेमाल किए गए विस्फोटक के सटीक प्रकार का पता फोरेंसिक जांच के बाद चलेगा। मृतकों के स्वैब के सैंपल आगे की जांच के लिए रोहिणी स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) भेजे गए हैं, क्योंकि शवों से धातु के टुकड़े और बाहरी कण बरामद किए गए हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि उमर की गाड़ी दिल्ली में प्रवेश करने से पहले मुंबई एक्सप्रेसवे और कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर देखी गई थी। जांच एजेंसियां अब कार की गतिविधियों का पता लगाने और यह पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही हैं कि क्या उसके साथ कोई और गाड़ी भी थी। माना जा रहा है कि ब्लास्ट वाली कार के साथ लाल रंग की ECO SPORTS कार थी जिसकी तलाश की जा रही है।
मारे गए लोगों के कान के पर्दे फट गए, फेफड़े और आंतें फट गईं, शरीर के ऊपरी हिस्सों में गहरे घाव मिले। धमाके की तीव्रता इतनी जबरदस्त थी कि कई लोग दीवारों से टकराकर दूर जा गिरे। हालांकि मौके पर कोई छर्रे नहीं मिले, जिससे जांच एजेंसियां विस्फोटक के प्रकार को लेकर उलझन में हैं। अब NIA ने केस अपने हाथ में ले लिया है और इसे संभावित आतंकी साजिश मानते हुए जांच शुरू कर दी है।
लाल किले के पास हुए घातक कार विस्फोट के दो दिन बाद, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विस्फोट के विनाशकारी प्रभाव के बारे में नए चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बुधवार को जारी प्रारंभिक निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि पीड़ितों को गंभीर चोटें आईं, जिनमें सिर में चोट और आंतरिक अंगों को नुकसान शामिल है। ज्यादातर चोट शरीर के ऊपरी हिस्से, सिर और छाती पर थीं, जिससे पता चलता है कि विस्फोट के कारण लोग दीवारों या जमीन पर गिर गए।
समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, मौत के कारणों में गहरे घाव और अत्यधिक ब्लीडिंग शामिल है। पोस्टमॉर्टम के दौरान, पीड़ितों के शरीर या कपड़ों पर किसी भी छर्रे के निशान नहीं मिले। जांच करने वालों का कहना है कि इस्तेमाल किए गए विस्फोटक के सटीक प्रकार का पता फोरेंसिक जांच के बाद चलेगा। मृतकों के स्वैब के सैंपल आगे की जांच के लिए रोहिणी स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) भेजे गए हैं, क्योंकि शवों से धातु के टुकड़े और बाहरी कण बरामद किए गए हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि उमर की गाड़ी दिल्ली में प्रवेश करने से पहले मुंबई एक्सप्रेसवे और कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर देखी गई थी। जांच एजेंसियां अब कार की गतिविधियों का पता लगाने और यह पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही हैं कि क्या उसके साथ कोई और गाड़ी भी थी। माना जा रहा है कि ब्लास्ट वाली कार के साथ लाल रंग की ECO SPORTS कार थी जिसकी तलाश की जा रही है।
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