पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में पाटलिपुत्र लोकसभा की छह विधानसभा सीटों में जीरो पर आउट एनडीए इस बार विशेष रणनीति बना कर नया इतिहास बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। इस रणनीति के तहत एनडीए के रणनीतिकारों ने सभी छह विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार बदल कर चुनावी जंग को नए अंदाज में महागठबंधन को चुनौती दी है। आइए जानते हैं एनडीए के रणनीतिकारों के बदलते पैंतरे को ।
दानापुर विधानसभा
दानापुर विधानसभा की चुनावी जंग को एनडीए के रणनीतिकारों ने नया अंदाज दे डाला है। दानापुर विधानसभा की जंग को अपने पक्ष में करने के लिए एनडीए के रणनीतिकारों ने उम्मीदवार ही बदल डाले हैं। दिलचस्प यह है कि यहां की जंग में राजद ने सीटिंग विधायक रीतलाल यादव पर भरोसा किया है जबकि दानापुर की जंग में बीजेपी ने पूर्व संसद रामकृपाल यादव को उतार डाला है। वर्ष 2020 की चुनावी जंग में राजद के रीतलाल यादव ने बीजेपी उम्मीदवार आशा देवी को लगभग 19 हजार से ज्यादा मतों से परास्त किया था।
मनेर विधानसभा
मनेर विधानसभा एनडीए के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। मनेर से राजद के भाई वीरेंद्र चार बार जीत हासिल कर चुके हैं। 2010 से तो लगातार तीन बार यानी 2020 तक जीत हासिल की है। विधानसभा 2020 की जंग में भाई वीरेंद्र ने बीजेपी के निखिल आनंद को करीब 33 हजार मतों से परास्त किया था।
इस बार बदली रणनीति के तहत एनडीए के रणनीतिकारों ने जंग जीतने की जुगाड़ भिड़ाई है। इस बार इस सीट से बीजेपी ने रणनीति बदला चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी लोजपा आर के उम्मीदवार जितेंद्र यादव को दी है। एनडीए के रणनीतिकार इस बार दलित और यादव की गोलबंदी के साथ भाजपा और जदयू के आधार वोट को एक मंच पर लाने की कोशिश की है।
फुलवारी विधानसभा
फुलवारी विधानसभा की जंग इस बार रोचक बन गई है। इस बार एन डी ए के रणनीतिकार ने उम्मीदवार बदल कर अपने पुराने योद्धा पूर्व मंत्री श्याम रजक को चुनावी जंग में उतारा है।वर्ष 2020 विधानसभा की जंग में एन डी ए ने जदयू ने अरुण मांझी को चुनावी रण में उतरा था। पर उन्हें माले के गोपाल रविदास ने हराया था।
पालीगंज विधानसभा
पालीगंज विधानसभा के सीटिंग विधायक माले के संदीप सौरभ हैं। संदीप सौरभ ने वर्ष 2020 के चुनावी रण में जेडीयू के जयवर्धन यादव को माले के संदीप सौरभ ने करीब 30 हजार मतों से हराया था। इस बार एनडीए ने यह सीट लोजपा आर के हवाले कर दी है। महागठबंधन ने इस बार भी भरोसा माले के संदीप सौरभ पर किया है। वही लोजपा आर ने सुनील कुमार को चुनावी रण में उतरा है।
विक्रम विधानसभा
विक्रम विधानसभा का जंग इस बार काफी रोचक होने जा रहा है। वर्ष 2020 के चुनावी जंग में कांग्रेस ने निर्दलीय विधायक अनिल कुमार को हराया था। बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर रही थी। इस बार कांग्रेस के सीटिंग विधायक सिद्धार्थ पाला बदल कर बीजेपी के उम्मीदवार बन गए और वर्ष 2020 के चुनावी जंग में रनर रहे निर्दलीय उम्मीदवार अनिल कुमार ने कांग्रेस का दामन थाम एक नई चुनौती पेश की है।
मसौढ़ी विधानसभा
मसौढ़ी विधानसभा की सीटिंग विधायक राजद की रेखा देवी हैं। वर्ष 2020 विधानसभा की चुनावी जंग में जदयू के नूतन पासवान को करीब 32 हजार मतों से परास्त किया था। इस बार राजद की रेखा देवी की टक्कर में जदयू ने अरुण मांझी को चुनावी समर में उतारा है।
मामला जीरो से हीरो बनने का
एनडीए के रणनीतिकारों ने वर्ष 2025 के विधानसभा में प्रयोग के जरिए जीरो से हीरो बनने की कोशिश की है। वर्ष 2020 के विधानसभा के चुनावी जंग में एनडीए शून्य पर आउट हो गई थी। इस बार नए समीकरण के साथ बीजेपी ने कुछ सीटों को हासिल करने की दिशा में प्रयोग तो किया है। पर यह प्रयोग सफल होता है या नहीं, अभी देखना शेष है।
दानापुर विधानसभा
दानापुर विधानसभा की चुनावी जंग को एनडीए के रणनीतिकारों ने नया अंदाज दे डाला है। दानापुर विधानसभा की जंग को अपने पक्ष में करने के लिए एनडीए के रणनीतिकारों ने उम्मीदवार ही बदल डाले हैं। दिलचस्प यह है कि यहां की जंग में राजद ने सीटिंग विधायक रीतलाल यादव पर भरोसा किया है जबकि दानापुर की जंग में बीजेपी ने पूर्व संसद रामकृपाल यादव को उतार डाला है। वर्ष 2020 की चुनावी जंग में राजद के रीतलाल यादव ने बीजेपी उम्मीदवार आशा देवी को लगभग 19 हजार से ज्यादा मतों से परास्त किया था।
मनेर विधानसभा
मनेर विधानसभा एनडीए के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। मनेर से राजद के भाई वीरेंद्र चार बार जीत हासिल कर चुके हैं। 2010 से तो लगातार तीन बार यानी 2020 तक जीत हासिल की है। विधानसभा 2020 की जंग में भाई वीरेंद्र ने बीजेपी के निखिल आनंद को करीब 33 हजार मतों से परास्त किया था।
इस बार बदली रणनीति के तहत एनडीए के रणनीतिकारों ने जंग जीतने की जुगाड़ भिड़ाई है। इस बार इस सीट से बीजेपी ने रणनीति बदला चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी लोजपा आर के उम्मीदवार जितेंद्र यादव को दी है। एनडीए के रणनीतिकार इस बार दलित और यादव की गोलबंदी के साथ भाजपा और जदयू के आधार वोट को एक मंच पर लाने की कोशिश की है।
फुलवारी विधानसभा
फुलवारी विधानसभा की जंग इस बार रोचक बन गई है। इस बार एन डी ए के रणनीतिकार ने उम्मीदवार बदल कर अपने पुराने योद्धा पूर्व मंत्री श्याम रजक को चुनावी जंग में उतारा है।वर्ष 2020 विधानसभा की जंग में एन डी ए ने जदयू ने अरुण मांझी को चुनावी रण में उतरा था। पर उन्हें माले के गोपाल रविदास ने हराया था।
पालीगंज विधानसभा
पालीगंज विधानसभा के सीटिंग विधायक माले के संदीप सौरभ हैं। संदीप सौरभ ने वर्ष 2020 के चुनावी रण में जेडीयू के जयवर्धन यादव को माले के संदीप सौरभ ने करीब 30 हजार मतों से हराया था। इस बार एनडीए ने यह सीट लोजपा आर के हवाले कर दी है। महागठबंधन ने इस बार भी भरोसा माले के संदीप सौरभ पर किया है। वही लोजपा आर ने सुनील कुमार को चुनावी रण में उतरा है।
विक्रम विधानसभा
विक्रम विधानसभा का जंग इस बार काफी रोचक होने जा रहा है। वर्ष 2020 के चुनावी जंग में कांग्रेस ने निर्दलीय विधायक अनिल कुमार को हराया था। बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर रही थी। इस बार कांग्रेस के सीटिंग विधायक सिद्धार्थ पाला बदल कर बीजेपी के उम्मीदवार बन गए और वर्ष 2020 के चुनावी जंग में रनर रहे निर्दलीय उम्मीदवार अनिल कुमार ने कांग्रेस का दामन थाम एक नई चुनौती पेश की है।
मसौढ़ी विधानसभा
मसौढ़ी विधानसभा की सीटिंग विधायक राजद की रेखा देवी हैं। वर्ष 2020 विधानसभा की चुनावी जंग में जदयू के नूतन पासवान को करीब 32 हजार मतों से परास्त किया था। इस बार राजद की रेखा देवी की टक्कर में जदयू ने अरुण मांझी को चुनावी समर में उतारा है।
मामला जीरो से हीरो बनने का
एनडीए के रणनीतिकारों ने वर्ष 2025 के विधानसभा में प्रयोग के जरिए जीरो से हीरो बनने की कोशिश की है। वर्ष 2020 के विधानसभा के चुनावी जंग में एनडीए शून्य पर आउट हो गई थी। इस बार नए समीकरण के साथ बीजेपी ने कुछ सीटों को हासिल करने की दिशा में प्रयोग तो किया है। पर यह प्रयोग सफल होता है या नहीं, अभी देखना शेष है।
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