झंझारपुर: मधुबनी जिले की झंझारपुर विधानसभा सीट बिहार के चुनाव में खास महत्व रखती है। कभी इसी सीट से पांच बार जीत हासिल करने वाले जगन्नाथ मिश्र तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। अब उनके बेटे नीतीश मिश्र उनकी उस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। BJP उम्मीदवार नीतीश मौजूदा सरकार में मंत्री भी हैं और लगातार चौथी बार ताल ठोक रहे हैं। नीतीश इस सीट से 2005 और 2010 में जेडीयू की टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहे। लेकिन 2015 में RJD के गुलाब यादव से उन्हें शिकस्त मिली।
2020 में अंदरूनी कलह के चलते महागठबंधन ने गुलाब यादव को किनारा करने के लिए यह सीट CPI के हवाले कर दी और राम नारायण यादव को मैदान में उतारा। मिथिला के इस क्षेत्र में कम्युनिस्ट पार्टी का जनाधार अब कुछ खस नहीं है और इस बार BJP का दामन थाम चुके नीतीश मिश्र आसानी से जीत हासिल कर वापसी करने में सफल हो गए। 2025 के बिहार चुनाव में CPI ने एक बार फिर से रामनारायण यादव पर ही भरोसा जताया है।
झंझारपुर में दिखता है विकास कार्य
विधानसभा के लखनौर प्रखण्ड के युवा मुरारी झा बताते हैं कि पलायन और इंडस्ट्री तो पूरे बिहार के लिए मुद्दा है। इस आधार पर हम किसी नेता के काम का आकलन नहीं कर सकते लेकिन अगर अपने विधानसभा में विकास की बात करें तो वह साफ-साफ दिखता है। मुरारी बताते हैं कि झंझारपुर में बने मेडिकल कॉलेज NDA सरकार की ही देन है। पहले छोटे मोटे इलाज के लिए भी हमें दरभंगा जाना पड़ता था । अब घर के पास ही 24 घंटे इलाज उपलब्ध है। गांव हर तरफ से सड़क मार्ग से जुड़ गया है। हम गांव वालों को हर साल कमला नदी में आई बाढ़ का दंश झेलना पड़ता था कि बांध को मजबूत करने और ऊंचाई बढ़ाने से अब इससे निजात मिल गई है। शिवेश झा ने कहा कि झंझारपुर में ललित कर्पूरी स्टेडियम बनवाया गया है जहां कुछ साल पहले T20 टूर्नामेंट हुआ था।
जलभराव है गंभीर समस्या
सौरव झा का गांव के अलावा झंझारपुर मार्केट में भी घर है। वह बताते है कि झंझारपुर में रेलवे द्वारा बड़ी लाइन बनवाने के बाद से जलभराव की गंभीर समस्या पैदा हो गई है। हल्की बारिश में भी पूरा शहर जलमग्न हो जाता है। इसके चलते कई सरकारी बैक और अन्य कार्यालय सब शहर से दूर दूसरे इलाकों में शिफ्ट हो गए हैं। ट्रेन पकड़ने आने वालों को भी इससे काफी दिक्कत होती है। यह समस्या प्राकृतिक कम लोगों की लापरवाही के चलते ज्यादा है। लोगों ने जल निकासी वाले इलाकों को भरकर वहा घर बना लिया है। इससे समस्या बढ़ गई है। हालांकि वह बताते है अब जल निकासी के लिए नाले बनाए गए हैं और बड़े बड़े मोटर के सहारे पानी निकासी का इंतजाम भी किया गया है।
पिता के काम से होती है बेटे की तुलना
बातचीत के दौरान एक बुजुर्ग ने नाराजगी भी जाहिर की। यह नाराजगी नीतीश से नहीं, बल्कि उनके पिता पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र से थी। वह कहते हैं कि उन्होंने बिहार का सबसे ज्यादा नुकसान किया। लोग आज पलायन के लिए लालू यादव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन शुरुआत जगन्नाथ मिश्र के शासनकाल में ही हो गई थी। उन्होने सबसे ज्यादा नुकसान मिथिला का ही किया। यहां की चीनी मिलें, पेपर मिल, जुट मिल सब उन्होंने ही बंद करवाए। मैथिली को द्वितीय राजभाषा का भी दर्जा नहीं दिया।
मिथिला हाट पहचान
झंझारपुर मुख्य शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर वर्ष 2023 में मिथिला हाट का निर्माण कराया गया। इसके निर्माण का पूरा श्रेय जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा को जाता है। यह हाट उन्हीं के गांव में बना भी है। जानकारों का कहना है कि इसका फायदा इस चुनाव में NDA को जरूर मिलेगा। टूरिस्ट प्लेस के रूप में इसने झंझारपुर को एक अलग पहचान दिलाई है।
2020 में अंदरूनी कलह के चलते महागठबंधन ने गुलाब यादव को किनारा करने के लिए यह सीट CPI के हवाले कर दी और राम नारायण यादव को मैदान में उतारा। मिथिला के इस क्षेत्र में कम्युनिस्ट पार्टी का जनाधार अब कुछ खस नहीं है और इस बार BJP का दामन थाम चुके नीतीश मिश्र आसानी से जीत हासिल कर वापसी करने में सफल हो गए। 2025 के बिहार चुनाव में CPI ने एक बार फिर से रामनारायण यादव पर ही भरोसा जताया है।
झंझारपुर में दिखता है विकास कार्य
विधानसभा के लखनौर प्रखण्ड के युवा मुरारी झा बताते हैं कि पलायन और इंडस्ट्री तो पूरे बिहार के लिए मुद्दा है। इस आधार पर हम किसी नेता के काम का आकलन नहीं कर सकते लेकिन अगर अपने विधानसभा में विकास की बात करें तो वह साफ-साफ दिखता है। मुरारी बताते हैं कि झंझारपुर में बने मेडिकल कॉलेज NDA सरकार की ही देन है। पहले छोटे मोटे इलाज के लिए भी हमें दरभंगा जाना पड़ता था । अब घर के पास ही 24 घंटे इलाज उपलब्ध है। गांव हर तरफ से सड़क मार्ग से जुड़ गया है। हम गांव वालों को हर साल कमला नदी में आई बाढ़ का दंश झेलना पड़ता था कि बांध को मजबूत करने और ऊंचाई बढ़ाने से अब इससे निजात मिल गई है। शिवेश झा ने कहा कि झंझारपुर में ललित कर्पूरी स्टेडियम बनवाया गया है जहां कुछ साल पहले T20 टूर्नामेंट हुआ था।
जलभराव है गंभीर समस्या
सौरव झा का गांव के अलावा झंझारपुर मार्केट में भी घर है। वह बताते है कि झंझारपुर में रेलवे द्वारा बड़ी लाइन बनवाने के बाद से जलभराव की गंभीर समस्या पैदा हो गई है। हल्की बारिश में भी पूरा शहर जलमग्न हो जाता है। इसके चलते कई सरकारी बैक और अन्य कार्यालय सब शहर से दूर दूसरे इलाकों में शिफ्ट हो गए हैं। ट्रेन पकड़ने आने वालों को भी इससे काफी दिक्कत होती है। यह समस्या प्राकृतिक कम लोगों की लापरवाही के चलते ज्यादा है। लोगों ने जल निकासी वाले इलाकों को भरकर वहा घर बना लिया है। इससे समस्या बढ़ गई है। हालांकि वह बताते है अब जल निकासी के लिए नाले बनाए गए हैं और बड़े बड़े मोटर के सहारे पानी निकासी का इंतजाम भी किया गया है।
पिता के काम से होती है बेटे की तुलना
बातचीत के दौरान एक बुजुर्ग ने नाराजगी भी जाहिर की। यह नाराजगी नीतीश से नहीं, बल्कि उनके पिता पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र से थी। वह कहते हैं कि उन्होंने बिहार का सबसे ज्यादा नुकसान किया। लोग आज पलायन के लिए लालू यादव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन शुरुआत जगन्नाथ मिश्र के शासनकाल में ही हो गई थी। उन्होने सबसे ज्यादा नुकसान मिथिला का ही किया। यहां की चीनी मिलें, पेपर मिल, जुट मिल सब उन्होंने ही बंद करवाए। मैथिली को द्वितीय राजभाषा का भी दर्जा नहीं दिया।
मिथिला हाट पहचान
झंझारपुर मुख्य शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर वर्ष 2023 में मिथिला हाट का निर्माण कराया गया। इसके निर्माण का पूरा श्रेय जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा को जाता है। यह हाट उन्हीं के गांव में बना भी है। जानकारों का कहना है कि इसका फायदा इस चुनाव में NDA को जरूर मिलेगा। टूरिस्ट प्लेस के रूप में इसने झंझारपुर को एक अलग पहचान दिलाई है।
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