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पंजाबियों की छवि खराब कर रहीं... नशे को लेकर कंगना रनौत के बयान पर बवाल, पंजाब के नेताओं ने सुना दिया

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चंडीगढ़/शिमला: मंडी से बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत के एक बयान पर बवाल मच गया है। कंगना रनौत ने हाल ही में बयान किया था कि पंजाब के रास्ते हिमाचल प्रदेश में नशा पहुंच रहा है, जिससे हिमाचली युवा अपराध और लत की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि हमारे बच्चे मासूम हैं, उन्हें आसानी से बहकाया जा रहा है। अब हालात गंभीर हो गए हैं। यदि जल्द कड़े कदम नहीं उठाए गए तो हमारे हालात पंजाब के उन गांवों जैसे हो जाएंगे, जहां केवल महिलाएं और विधवाएं ही बची हैं। कंगना के इस बयान पर पंजाब के नेताओं ने उनपर हमला बोला है। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कंगना के बयान को बेतुका और असंगत करार दिया।







चीमा ने कंगना से पूछे सवाल


उन्होंने आरोप लगाया कि कंगना को सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह की बेबुनियाद और विवादित टिप्पणियां करने की आदत है। पत्रकारों से बात करते हुए चीमा ने कहा कि कंगना को समाज की बुनियादी जानकारी तक नहीं है, और वह अक्सर महिलाओं और सामाजिक मुद्दों पर आपत्तिजनक बयान देती रही हैं। चीमा ने राष्ट्रीय स्तर पर जारी ड्रग सर्वे के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि नशाखोरी की समस्या में पंजाब कई बीजेपी शासित राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और राजस्थान से पीछे है। उन्होंने यह भी दावा किया कि पंजाब सरकार इस समस्या से निपटने के लिए लगातार ठोस कदम उठा रही है। चीमा ने आगे आरोप लगाया कि गुजरात, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है, वहां के बंदरगाहों से नशे की तस्करी पूरे देश में की जा रही है। उन्होंने कहा कि कंगना को पहले गुजरात का सर्वे करना चाहिए और प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को जवाब देना चाहिए कि ये नशे कहां से आ रहे हैं।







कांग्रेस ने भी घेरा


वहीं पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता परगट सिंह ने कंगना के बयान को तथ्यात्मक रूप से गलत बताते हुए उनसे माफी मांगने की मांग की। उन्होंने कहा कि कंगना झूठे और अधूरे तथ्य पेश कर पंजाबियों की छवि खराब कर रही हैं। अगर बीजेपी सच में राष्ट्रीय एकता में विश्वास करती है, तो उसे पंजाब और अन्य गैर-बीजेपी शासित राज्यों को बदनाम करने के लिए इस तरह की झूठी जानकारी का इस्तेमाल बंद करना चाहिए। बता दें कि कंगना से पहले हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने भी चेतावनी दी थी कि अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो राज्य अगले पांच वर्षों में ‘उड़ता पंजाब’ बन सकता है।



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