नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ के दम पर दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने चले हैं। ट्रंप के निशाने पर ब्रिक्स देश (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) प्रमुख रूप से हैं। लेकिन यह इतना भी आसान नहीं है। ब्राजील के पास ट्रंप के टैरिफ खेल में एक खास पत्ता यानी तुरुप का इक्का है। यह पत्ता है उसके जमीन के नीचे छिपे दुर्लभ खनिज ( rare earth minerals )। ये खनिज उन कंपनियों के लिए बहुत जरूरी हैं जो इलेक्ट्रिक कार, सोलर पैनल, स्मार्टफोन, जेट इंजन और मिसाइल जैसी चीजें बनाती हैं। ये दुर्लभ खनिज 17 भारी धातुओं का एक समूह हैं। इन्हें इतना महत्वपूर्ण माना जाता है कि ये दुनिया में भू-राजनीतिक शक्ति बन गए हैं।
चीन अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी है। यह इन दुर्लभ खनिजों के उत्पादन में लगभग एकाधिकार रखता है। ब्राजील भी इस समय चीन की तरह अमेरिका के साथ टैरिफ के मामले में उलझा हुआ है। लेकिन उसके पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दुर्लभ खनिज भंडार है। ब्राजील के खान और ऊर्जा मंत्री एलेक्जेंडर सिल्वेरा का कहना है कि उनके खनिज भंडार और अमेरिकी पूंजी के बीच हितों का मेल है। यानी ब्राजील चाहे तो अमेरिका को घुटनों पर ला सकता है।
लूला बनाम ट्रंपयह मुद्दा इस सप्ताहांत अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा (Luiz Inacio Lula da Silva) के बीच एक संभावित बैठक में उठ सकता है। यह बैठक दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के एक शिखर सम्मेलन के मौके पर कुआलालंपुर में हो सकती है। राष्ट्रपति लूला ने शुक्रवार को कहा कि वह ट्रंप के साथ हर चीज के बारे में बात करने को तैयार हैं। इनमें गाजा से लेकर यूक्रेन, रूस, वेनेजुएला, महत्वपूर्ण खनिज और दुर्लभ खनिज तक सब कुछ शामिल है।
ब्राजील पर भारी टैरिफब्राजील पर कुछ निर्यात पर 50% का भारी टैरिफ लगा हुआ है। यह टैरिफ लूला के दक्षिणपंथी पूर्ववर्ती जायर बोल्सोनारो के तख्तापलट के मुकदमे के कारण लगाया गया है। ट्रंप ने इस मुकदमे को 'चुड़ैलों का शिकार' (witch hunt) बताया है। बोल्सोनारो को पिछले महीने 27 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
कितने जरूरी हैं दुर्लभ खनिज?दुर्लभ खनिज यानी रेयर अर्थ बहुत खास होते हैं। ये ऐसे 17 तत्व हैं जो आधुनिक तकनीक के लिए बहुत जरूरी हैं। जैसे कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी, विंड टर्बाइन, मोबाइल फोन और डिफेंस सिस्टम में इनका इस्तेमाल होता है। चीन के पास दुनिया का लगभग आधा दुर्लभ खनिज भंडार है, जो करीब 44 मिलियन मीट्रिक टन है। वहीं, ब्राजील के पास लगभग 21 मिलियन मीट्रिक टन भंडार है। यह जानकारी यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) की है। चीन न केवल इन खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है, बल्कि उन्हें निकालने और शुद्ध करने में भी सबसे आगे है।
चीन ने लगाया बैनहाल ही में चीन ने दुर्लभ खनिजों से जुड़ी तकनीक के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके जवाब में अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक समझौता किया है ताकि वहां के विशाल दुर्लभ खनिज भंडारों तक उसकी पहुंच हो सके। ऑस्ट्रेलिया दुनिया में चौथे स्थान पर है। मंत्री सिल्वेरा का मानना है कि चीन और अमेरिका के बीच अविश्वास ब्राजील के लिए अवसर का एक बड़ा द्वार खोलता है।
भारत को क्या फायदाट्रंप के टैरिफ के बाद भारत और ब्राजील बेहद करीब आ गए हैं। इससे रेयर अर्थ के मामले में भारत को फायदा हो सकता है। भारत और ब्राजील अब एक साथ मिलकर इन अमेरिकी हमलों का सामना करने और टैरिफ (आयात शुल्क) से बचने के लिए नए बाजार खोजने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों देशों को उम्मीद है कि एकजुट होकर वे इन मुश्किलों से पार पा लेंगे। दोनों देश अपने व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे में रेयर अर्थ एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है।
चीन अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी है। यह इन दुर्लभ खनिजों के उत्पादन में लगभग एकाधिकार रखता है। ब्राजील भी इस समय चीन की तरह अमेरिका के साथ टैरिफ के मामले में उलझा हुआ है। लेकिन उसके पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दुर्लभ खनिज भंडार है। ब्राजील के खान और ऊर्जा मंत्री एलेक्जेंडर सिल्वेरा का कहना है कि उनके खनिज भंडार और अमेरिकी पूंजी के बीच हितों का मेल है। यानी ब्राजील चाहे तो अमेरिका को घुटनों पर ला सकता है।
लूला बनाम ट्रंपयह मुद्दा इस सप्ताहांत अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा (Luiz Inacio Lula da Silva) के बीच एक संभावित बैठक में उठ सकता है। यह बैठक दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के एक शिखर सम्मेलन के मौके पर कुआलालंपुर में हो सकती है। राष्ट्रपति लूला ने शुक्रवार को कहा कि वह ट्रंप के साथ हर चीज के बारे में बात करने को तैयार हैं। इनमें गाजा से लेकर यूक्रेन, रूस, वेनेजुएला, महत्वपूर्ण खनिज और दुर्लभ खनिज तक सब कुछ शामिल है।
ब्राजील पर भारी टैरिफब्राजील पर कुछ निर्यात पर 50% का भारी टैरिफ लगा हुआ है। यह टैरिफ लूला के दक्षिणपंथी पूर्ववर्ती जायर बोल्सोनारो के तख्तापलट के मुकदमे के कारण लगाया गया है। ट्रंप ने इस मुकदमे को 'चुड़ैलों का शिकार' (witch hunt) बताया है। बोल्सोनारो को पिछले महीने 27 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
कितने जरूरी हैं दुर्लभ खनिज?दुर्लभ खनिज यानी रेयर अर्थ बहुत खास होते हैं। ये ऐसे 17 तत्व हैं जो आधुनिक तकनीक के लिए बहुत जरूरी हैं। जैसे कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी, विंड टर्बाइन, मोबाइल फोन और डिफेंस सिस्टम में इनका इस्तेमाल होता है। चीन के पास दुनिया का लगभग आधा दुर्लभ खनिज भंडार है, जो करीब 44 मिलियन मीट्रिक टन है। वहीं, ब्राजील के पास लगभग 21 मिलियन मीट्रिक टन भंडार है। यह जानकारी यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) की है। चीन न केवल इन खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है, बल्कि उन्हें निकालने और शुद्ध करने में भी सबसे आगे है।
चीन ने लगाया बैनहाल ही में चीन ने दुर्लभ खनिजों से जुड़ी तकनीक के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके जवाब में अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक समझौता किया है ताकि वहां के विशाल दुर्लभ खनिज भंडारों तक उसकी पहुंच हो सके। ऑस्ट्रेलिया दुनिया में चौथे स्थान पर है। मंत्री सिल्वेरा का मानना है कि चीन और अमेरिका के बीच अविश्वास ब्राजील के लिए अवसर का एक बड़ा द्वार खोलता है।
भारत को क्या फायदाट्रंप के टैरिफ के बाद भारत और ब्राजील बेहद करीब आ गए हैं। इससे रेयर अर्थ के मामले में भारत को फायदा हो सकता है। भारत और ब्राजील अब एक साथ मिलकर इन अमेरिकी हमलों का सामना करने और टैरिफ (आयात शुल्क) से बचने के लिए नए बाजार खोजने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों देशों को उम्मीद है कि एकजुट होकर वे इन मुश्किलों से पार पा लेंगे। दोनों देश अपने व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे में रेयर अर्थ एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है।
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