नई दिल्ली: भारत और तुर्की के बीच हवाई यात्रियों की संख्या में अप्रैल-जून 2025 में पिछले साल के मुकाबले कोई बदलाव नहीं आया है। इसी अवधि में हवाई कार्गो क्षमता भी स्थिर रही। यह जानकारी डीजीसीए के ताजा आंकड़ों से सामने आई है। ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। कारण है कि मई में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ' ऑपरेशन सिंदूर ' लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन का मकसद उस पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह की जड़ों को उखाड़ फेंकना था जिसने कश्मीर में निर्दोष नागरिकों की हत्याएं की थीं। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। इसके चलते तुर्की के खिलाफ बहिष्कार की मांग उठी थी। ट्रैवल पोर्टल्स ने बुकिंग बंद कर दी थी। कैंसलेशन में बढ़ोतरी देखी गई थी।
चौंका रहे हैं ये आंकड़े
डीजीसीए के अप्रैल-जून 2025 के आंकड़ों के अनुसार, भारत से तुर्की और तुर्की से भारत आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या 253,908 रही। यह संख्या अप्रैल-जून 2024 में 253,262 थी, जो लगभग स्थिर है। वहीं, जनवरी-मार्च 2025 की अवधि में यह आंकड़ा 295,419 था, जो 12% ज्यादा था। खास बात यह है कि तुर्की एयरलाइंस से भारत आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या अप्रैल-जून 2025 में 117,524 रही। यह पिछले साल की समान अवधि से लगभग 8,500 ज्यादा है। ऐसे यात्री इस्तांबुल, तुर्की को पश्चिमी देशों की यात्रा के लिए एक ट्रांजिट हब के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
तुर्की का शुरू हुआ था भारत में बायकॉट'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग सेवा प्रदाता मेकमाइट्रिप और ईजीमाइट्रिप ने तुर्की की गैर-जरूरी यात्राओं से बचने की सलाह दी थी। मेकमाइट्रिप ने 14 मई को एक बयान जारी किया था। इसमें कहा था, 'भारतीय यात्रियों ने पिछले एक हफ्ते में मजबूत भावनाएं व्यक्त की हैं, जिसके चलते अजरबैजान और तुर्की के लिए बुकिंग में 60% की कमी आई है, जबकि इसी अवधि में कैंसलेशन में 250% की बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्र के साथ एकजुटता में और हमारे सशस्त्र बलों के प्रति गहरे सम्मान के कारण हम इस भावना का पुरजोर समर्थन करते हैं। ऐसा करते हुए अजरबैजान और तुर्की की सभी गैर-जरूरी यात्राओं के खिलाफ सलाह देते हैं। हमने इन दोनों गंतव्यों के लिए पर्यटन को हतोत्साहित करने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर सभी प्रचार और प्रस्तावों को पहले ही बंद कर दिया है।'
इसके अलावा, भारत की विमानन सुरक्षा की शीर्ष संस्था ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) ने 15 मई को तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया का सुरक्षा क्लीयरेंस रद्द कर दिया था। यह एजेंसी भारत के नौ हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो सेवाएं प्रदान करती थी। इनमें मुंबई, दिल्ली, कोचीन, कन्नूर, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा, अहमदाबाद और चेन्नई शामिल हैं। यह कदम भी तुर्की के प्रति भारत के बढ़ते असंतोष को दर्शाता है।
चौंका रहे हैं ये आंकड़े
डीजीसीए के अप्रैल-जून 2025 के आंकड़ों के अनुसार, भारत से तुर्की और तुर्की से भारत आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या 253,908 रही। यह संख्या अप्रैल-जून 2024 में 253,262 थी, जो लगभग स्थिर है। वहीं, जनवरी-मार्च 2025 की अवधि में यह आंकड़ा 295,419 था, जो 12% ज्यादा था। खास बात यह है कि तुर्की एयरलाइंस से भारत आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या अप्रैल-जून 2025 में 117,524 रही। यह पिछले साल की समान अवधि से लगभग 8,500 ज्यादा है। ऐसे यात्री इस्तांबुल, तुर्की को पश्चिमी देशों की यात्रा के लिए एक ट्रांजिट हब के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
तुर्की का शुरू हुआ था भारत में बायकॉट'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग सेवा प्रदाता मेकमाइट्रिप और ईजीमाइट्रिप ने तुर्की की गैर-जरूरी यात्राओं से बचने की सलाह दी थी। मेकमाइट्रिप ने 14 मई को एक बयान जारी किया था। इसमें कहा था, 'भारतीय यात्रियों ने पिछले एक हफ्ते में मजबूत भावनाएं व्यक्त की हैं, जिसके चलते अजरबैजान और तुर्की के लिए बुकिंग में 60% की कमी आई है, जबकि इसी अवधि में कैंसलेशन में 250% की बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्र के साथ एकजुटता में और हमारे सशस्त्र बलों के प्रति गहरे सम्मान के कारण हम इस भावना का पुरजोर समर्थन करते हैं। ऐसा करते हुए अजरबैजान और तुर्की की सभी गैर-जरूरी यात्राओं के खिलाफ सलाह देते हैं। हमने इन दोनों गंतव्यों के लिए पर्यटन को हतोत्साहित करने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर सभी प्रचार और प्रस्तावों को पहले ही बंद कर दिया है।'
इसके अलावा, भारत की विमानन सुरक्षा की शीर्ष संस्था ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) ने 15 मई को तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया का सुरक्षा क्लीयरेंस रद्द कर दिया था। यह एजेंसी भारत के नौ हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो सेवाएं प्रदान करती थी। इनमें मुंबई, दिल्ली, कोचीन, कन्नूर, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा, अहमदाबाद और चेन्नई शामिल हैं। यह कदम भी तुर्की के प्रति भारत के बढ़ते असंतोष को दर्शाता है।
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