सागर: मध्य प्रदेश में टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क से गांवों के विस्थापन में शासन प्रत्येक परिवार को 15-15 लाख का मुआवजा दे रही है। इसी राशि में कुछ मैदानी वनकर्मी और बैंककर्मी मिलकर सेंधमारी कर रहे हैं। सागर जिले में एचडीएफसी बैंक के कर्मचारियों द्वारा अनपढ़ ग्रामीणों के खातों में लाखों रुपए के गबन, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। फिलहाल इस पर जांच चल रही है।
प्रदेश के सबसे बड़े रानी विरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व जो पहले नौरादेही अभयारण्य था, उसमें दर्जनों गांव का विस्थापन करीब एक दशक से चल रहा है। इसमें प्रत्येक विस्थापित परिवार को वर्तमान में 15 लाख रुपए मुआवजा दिया जा रहा है। सागर जिले के रहली एचडीएफसी बैंक में करीब 800 विस्थापितों के खाते खुलवाए गए थे। खाते खुलवाने में वन अधिकारियों और कर्मचारियों की अप्रत्यक्ष भूमिका भी रही थी। ग्रामीणों के खातों में राशि तो आई, लेकिन कई लोगों के खाते खाली दिख रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि बैंक कर्मचारियों ने उनकी राशि में घोटाला कर गबन कर लिया। कुल 22 शिकायतें प्रशासन के सामने आ चुकी हैं।
गुमराह कर हस्ताक्षर कराए, बीमा पॉलिसी कर दीं
जिला प्रशासन, टाइगर रिजर्व प्रबंधन और लीड बैंक प्रबंधक से अभी तक 22 लोगों ने शिकायतें की हैं, जिनको मुआवजे की पूरी राशि मिल चुकी थी, लेकिन खातों में पैसा नहीं है। इसमें शुरूआती जांच में सामने आया है कि रहली एचडीएफसी बैंक शाखा के अधिकारियों सहित कर्मचारियों और पर्सनल बैंकर्स ने ग्रामीणों को गुमराह करके एफडी के नाम पर भारी-भरकम बीमा पॉलिसी कर दीं। इनकी किस्तें भी खातों से लगातार कटती रहीं और बैंक अकाउंट से राशि गायब हो गई।
जिसे नामिनी बनाया, उसे जानते ही नहीं
एचडीएफसी बैंक रहली में एक और फर्जीवाड़े की बात सामने आई है। इसमें खापा गांव के विस्थापित ज्ञानी अहिरवार अनपढ़ और बुजुर्ग हैं। उनके बेटे नीरज ने जानकारी देते हुए बताया कि मुआवजे के 15 लाख रुपए आए थे। मात्र एक लाख निकाले थे। 14 लाख अकाउंट में ही पड़े थे। बैंक कर्मचारी ने एफडी कराने का बोला था, लेकिन बीमा पॉलिसी बना दी गई। उसमें बैंक ने जिसे नॉमिनी बनाया है, उसे कोई जानता ही नहीं है। किसी राजू व दिव्या को नॉमिनी बना दिया गया है। सारा पैसा आटो डेबिट से कट गया और 3 लाख बैंलेंस बचा था, जो अब जीरो है।
बैंक ने पर्सनल बैंकर्स को विदेश यात्रा तक करा दी
रहली एचडीएफसी बैंक के पर्सनल बैंकर्स नितिन द्विवेदी कुछ समय पहले विदेश यात्रा पर गए थे। उनकी यात्रा बैंक की तरफ से प्रयोजित थी। कारण उन्होंने बीमा पॉलिसी टारगेट से कहीं आगे जाकर की थीं। ब्रांच मैनेजर इस मामले में बचते नजर आ रहे हैं। हालांकि अब फर्जीवाड़े में नितिन द्विवेदी को सस्पेंड करने की बात सामने आई है। वहीं दो कर्मचारी राहुल भट्ट और कैशियर कार्तिक नायडू नौकरी छोड़कर जा चुके हैं।
प्रशासन टीम बनाकर जांच करा रहा
जिला प्रशासन और एचएफडीएफ प्रबंधन ने रहली शाखा में हुए इस करोड़ों के फर्जीवाड़े को लेकर जांच शुरू कर दी है। रहली एसडीएम कुलदीप पाराशर ने मीडिया को बताया कि पूरी एक टीम बनाकर जांच करा रहे हैं। खातेदारों के दस्तावेज मांगे हैं। कितना मुआवजा जमा हुआ, किन परिस्थितियों में और कैसे-कैसे रकम निकाली गई। बीमा पॉलिसी व एफडी बनाने सहित बैंक कर्मचारियों की संलिप्तता को लेकर जांच कर रहे हैंं।
प्रदेश के सबसे बड़े रानी विरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व जो पहले नौरादेही अभयारण्य था, उसमें दर्जनों गांव का विस्थापन करीब एक दशक से चल रहा है। इसमें प्रत्येक विस्थापित परिवार को वर्तमान में 15 लाख रुपए मुआवजा दिया जा रहा है। सागर जिले के रहली एचडीएफसी बैंक में करीब 800 विस्थापितों के खाते खुलवाए गए थे। खाते खुलवाने में वन अधिकारियों और कर्मचारियों की अप्रत्यक्ष भूमिका भी रही थी। ग्रामीणों के खातों में राशि तो आई, लेकिन कई लोगों के खाते खाली दिख रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि बैंक कर्मचारियों ने उनकी राशि में घोटाला कर गबन कर लिया। कुल 22 शिकायतें प्रशासन के सामने आ चुकी हैं।
गुमराह कर हस्ताक्षर कराए, बीमा पॉलिसी कर दीं
जिला प्रशासन, टाइगर रिजर्व प्रबंधन और लीड बैंक प्रबंधक से अभी तक 22 लोगों ने शिकायतें की हैं, जिनको मुआवजे की पूरी राशि मिल चुकी थी, लेकिन खातों में पैसा नहीं है। इसमें शुरूआती जांच में सामने आया है कि रहली एचडीएफसी बैंक शाखा के अधिकारियों सहित कर्मचारियों और पर्सनल बैंकर्स ने ग्रामीणों को गुमराह करके एफडी के नाम पर भारी-भरकम बीमा पॉलिसी कर दीं। इनकी किस्तें भी खातों से लगातार कटती रहीं और बैंक अकाउंट से राशि गायब हो गई।
जिसे नामिनी बनाया, उसे जानते ही नहीं
एचडीएफसी बैंक रहली में एक और फर्जीवाड़े की बात सामने आई है। इसमें खापा गांव के विस्थापित ज्ञानी अहिरवार अनपढ़ और बुजुर्ग हैं। उनके बेटे नीरज ने जानकारी देते हुए बताया कि मुआवजे के 15 लाख रुपए आए थे। मात्र एक लाख निकाले थे। 14 लाख अकाउंट में ही पड़े थे। बैंक कर्मचारी ने एफडी कराने का बोला था, लेकिन बीमा पॉलिसी बना दी गई। उसमें बैंक ने जिसे नॉमिनी बनाया है, उसे कोई जानता ही नहीं है। किसी राजू व दिव्या को नॉमिनी बना दिया गया है। सारा पैसा आटो डेबिट से कट गया और 3 लाख बैंलेंस बचा था, जो अब जीरो है।
बैंक ने पर्सनल बैंकर्स को विदेश यात्रा तक करा दी
रहली एचडीएफसी बैंक के पर्सनल बैंकर्स नितिन द्विवेदी कुछ समय पहले विदेश यात्रा पर गए थे। उनकी यात्रा बैंक की तरफ से प्रयोजित थी। कारण उन्होंने बीमा पॉलिसी टारगेट से कहीं आगे जाकर की थीं। ब्रांच मैनेजर इस मामले में बचते नजर आ रहे हैं। हालांकि अब फर्जीवाड़े में नितिन द्विवेदी को सस्पेंड करने की बात सामने आई है। वहीं दो कर्मचारी राहुल भट्ट और कैशियर कार्तिक नायडू नौकरी छोड़कर जा चुके हैं।
प्रशासन टीम बनाकर जांच करा रहा
जिला प्रशासन और एचएफडीएफ प्रबंधन ने रहली शाखा में हुए इस करोड़ों के फर्जीवाड़े को लेकर जांच शुरू कर दी है। रहली एसडीएम कुलदीप पाराशर ने मीडिया को बताया कि पूरी एक टीम बनाकर जांच करा रहे हैं। खातेदारों के दस्तावेज मांगे हैं। कितना मुआवजा जमा हुआ, किन परिस्थितियों में और कैसे-कैसे रकम निकाली गई। बीमा पॉलिसी व एफडी बनाने सहित बैंक कर्मचारियों की संलिप्तता को लेकर जांच कर रहे हैंं।
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