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Delhi News: पेड़, जमीन और NOC में फंसा मुनक नहर एलिवेटेड कॉरिडोर, रास्ते में हैं करीब 2 हजार पेड़

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नई दिल्ली: मुनक नहर पर 20 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर का प्लान तो बना लिया गया, लेकिन कॉरिडोर की राह में कई अड़चने हैं। इनको दूर किए बिना एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण संभव नहीं है। सबसे बड़ी अड़चन नहर के किनारे प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट एरिया में 2000 पेड़ों को काटना है। दूसरा, एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण के लिए हरियाणा से एनओसी लेना और किसानों की खेती वाली जमीनों का अधिग्रहण करना है।



दिल्ली सरकार का है नया प्लान

सरकार के सूत्रों के मुताबिक, एलिवेटेड कॉरिडोर का प्लान काफी पहले से प्रस्तावित है। दिल्ली में नई सरकार के गठन के बाद इस प्लान ने जोर पकड़ा है। पहली बार प्रस्तावित कॉरिडोर के बारे में अगस्त, 2016 में एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की मीटिंग में चर्चा हुई थी। तब से दिल्ली और हरियाणा सरकार के बीच सिर्फ पत्रों का आदान-प्रदान होता रहा। अब सीएम रेखा गुप्ता ने जून, 2025 को रोड-ट्रांसपोर्ट व हाइवे मिनिस्टर के सामने इसे उठाया। उसी दिन पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने मौके का इंस्पेक्शन भी किया और रिपोर्ट दी।




20 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर

सरकार के सूत्रों के मुताबिक, कॉरिडोर बवाना-नरेला रोड के पास से शुरू होगा और बवाना इंडस्ट्रियल एरिया होते हुए खेड़ा खुर्द गांव के पास, फिर दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी से आउटर रिंग रोड के पास आएगा। यहां से शालीमार बाग गोल चक्कर, आजाद मार्केट रेलवे लाइन, प्रेमबाड़ी पुल के पास और फिर अशोक विहार के पास आएगा। यहां से इंद्रलोक मेट्रो के पास जाएगा। पहले 14 किमी लंबा स्ट्रेच बवाना-नरेला रोड से आउटर रिंग रोड, फिर आउटर रिंग रोड से प्रेमबाड़ी पुल के पास रिंग रोड तक 3 किमी और आगे रिंग रोड से इंद्रलोक तक 3 किमी लंबा स्ट्रेच बनाया जाएगा।



दोनों किनारे प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट

बवाना-नरेला रोड के पास से मुनक नहर के दोनों किनारे प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट है। हरियाणा ने इस संबंध में जो रिपोर्ट दी है, उसमें कहा है कि कॉरिडोर को जितनी चौड़ाई बनना है, उस एरिया को 6 मार्च, 1972 के नोटिफिकेशन के अनुसार प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट घोषित किया गया है। यहां करीब 2,000 से अधिक पेड़ हैं, जिनको काटना पड़ेगा। पेड़ों को काटने की परमिशन लेना अपने आप में चुनौती है। इसके अलावा कॉरिडोर की राह में कई जगहों पर निजी भूमि है, जिसका अधिग्रहण करना होगा। साथ ही कॉरिडोर निर्माण के लिए हरियाणा से एनओसी भी लेनी होगी। हरियाणा एनओसी देने के लिए कई बार तैयार तो हो चुका है, लेकिन आजतक एनओसी नहीं दी है।

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