दारापुर (अमरावती): सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) बीआर गवई ने जूनियर वकीलों को सलाह दी है कि उन्हें कोर्ट में खुद की प्रैक्टिस शुरू करने से पहले अप्रेंटिसशिप (ट्रेनिंग) करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई बिना किसी अनुभव के अदालतों में बहस करना चाहता है और छह महीने में मर्सिडीज़ या बीएमडब्ल्यू कार खरीदना चाहता है, तो उसे अपने इरादे समझने होंगे।
चीफ जस्टिस महाराष्ट्र के अमरावती जिले में अपने पैतृक गांव दारापुर में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। वह केरल और बिहार के राज्यपाल रह चुके अपने पिता आरएस गवई की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित एक स्मृति कार्यक्रम में शामिल होने आए थे।
नए वकीलों के लिए सीजेआई की सलाहन्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सीजेआई नवोदित वकीलों के खास सलाह देते हुए आमजन के घर दरवाजे पर न्याय पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि नए लॉ ग्रेजुएट्स को पद और प्रतिष्ठा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए।
सीजेआई ने सुनाया खास वाकया सीजेआई बीआर गवई ने कहा,'मैंने जूनियर वकीलों को अपने सीनियर्स को सीट नहीं देते देखा है। इसी तरह, एक ऐसा भी मामला था जिसमें जब एक जूनियर वकील को जज ने बर्खास्त कर दिया तो वह वकील अदालत में बेहोश हो गया।' उन्होंने कहा, 'जज और वकील दोनों समान भागीदार हैं। (कानूनी प्राधिकार का प्रतिनिधित्व करने वाली) कुर्सी लोगों की सेवा के लिए होती है, और इससे जुड़ी शक्ति को उनके सिर पर हावी नहीं होने देना चाहिए।'
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने यह भी कहा कि नवंबर में रिटायर होने के बाद वह कोई भी सरकारी पद नहीं लेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं दारापुर, अमरावती और नागपुर में ज्यादा समय बिताने की कोशिश करूंगा।'
चीफ जस्टिस महाराष्ट्र के अमरावती जिले में अपने पैतृक गांव दारापुर में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। वह केरल और बिहार के राज्यपाल रह चुके अपने पिता आरएस गवई की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित एक स्मृति कार्यक्रम में शामिल होने आए थे।
नए वकीलों के लिए सीजेआई की सलाहन्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सीजेआई नवोदित वकीलों के खास सलाह देते हुए आमजन के घर दरवाजे पर न्याय पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि नए लॉ ग्रेजुएट्स को पद और प्रतिष्ठा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए।
सीजेआई ने सुनाया खास वाकया सीजेआई बीआर गवई ने कहा,'मैंने जूनियर वकीलों को अपने सीनियर्स को सीट नहीं देते देखा है। इसी तरह, एक ऐसा भी मामला था जिसमें जब एक जूनियर वकील को जज ने बर्खास्त कर दिया तो वह वकील अदालत में बेहोश हो गया।' उन्होंने कहा, 'जज और वकील दोनों समान भागीदार हैं। (कानूनी प्राधिकार का प्रतिनिधित्व करने वाली) कुर्सी लोगों की सेवा के लिए होती है, और इससे जुड़ी शक्ति को उनके सिर पर हावी नहीं होने देना चाहिए।'
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने यह भी कहा कि नवंबर में रिटायर होने के बाद वह कोई भी सरकारी पद नहीं लेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं दारापुर, अमरावती और नागपुर में ज्यादा समय बिताने की कोशिश करूंगा।'
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