नई दिल्लीः दिल्ली के पुराने बाजारों में इन दिनों एक अजीब खामोशी छाई हुई है। जहां हर साल नवंबर-दिसंबर में वेडिंग सीजन के दौरान खरीदारों की भीड़ से गलियां गुलजार रहती थी, वहीं अब कुछ दुकानों के शटर झुके है और कारोबारियों की आंखों में डर झलक रहा है। जबकि कारोबारियों का दावा है कि कन्वर्जन चार्ज से लेकर जीएसटी, इनकम टैक्स, बिजली बिल और ट्रेड लाइसेंस समेत अन्य शुल्क जमा करने के बाद भी उन्हें मिसयूज के नाम से सीलिंग के नोटिस मिल रहे हैं।
सबसे ज्यादा सीलिंग के निशाने पर चांदनी चौक कटरा नील का इलाका है, जहां अब तक 100 से ज्यादा नोटिस दिए गए है। दावा है कि यहां के कारोबारी 30 साल से अधिक समय से दुकान चला रहे हैं। वहीं, सवाल उठ रहा है कि अगर मिसयूज के नाम पर नोटिस मिल रहे है तो क्या दिल्ली के और भी मार्केट में सीलिंग की तलवार लटक रही है।
31 साल से कर रहे कारोबारकटरा नील की कृष्णा गली स्थित कपड़ा कारोबारी राम प्रकाश बंसल को 31 अक्टूबर को नगर निगम की ओर से सीलिंग का नोटिस मिला है। वह बताते है कि 1994 से यहां दुकान चला रहे हैं। समय पर कन्वर्जन चार्ज, ट्रेड लाइसेस शुल्क, जीएसटी समेत अन्य शुल्क जमा करते हैं। बावजूद उन्हें, सीलिंग का नोटिस मिला है। अब वह काफी टेशन में है।
मिक्स लैंड यूज का मतलब क्यामिक्स लैड यूज यानी एक ही इमारत या इलाके में आवासीय (रहने की जगह) और व्यावसायिक (दुकान/ऑफिस) दोनों तरह का इस्तेमाल करना। कारोबारी भगवान बंसल ने बताया कि मिक्स लैंड के मिसयूज के नाम पर नोटिस मिल रहे हैं। इसके पीछे का कारण रेजिडेंशल से कमर्शियल यूज है। जबकि यहां कई दशक से कमर्शिल एक्टिविटी हो रही है।
कन्वर्जन चार्ज के लिए भी भेजे जा रहे नोटिसकटरा नील में 8 दुकानों को सील किया गया था। बाकी दुकाने बंद थी, इसलिए उन्हें सील नहीं किया जा सका। चांदनी चौक नागरिक मंच के महामंत्री प्रवीण शंकर कपूर ने बताया कि कार्रवाई के बाद एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 31 दिसंबर तक इस मामले की सुनवाई अपीलेट ट्रिब्यूनल (अपीलीय अदालत) में होगी। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई नई तारीख भी नहीं लगाई। कपूर ने कहा कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने मामला ट्रिब्यूनल में भेजा है, उससे साफ जाहिर होता है कि सुप्रीम कोर्ट भी यही चाहता है कि इस मामले मे एमसीडी कोई पॉलिसी बनाए, जिससे कारोबारियों को राहत मिल सके।
सबसे ज्यादा सीलिंग के निशाने पर चांदनी चौक कटरा नील का इलाका है, जहां अब तक 100 से ज्यादा नोटिस दिए गए है। दावा है कि यहां के कारोबारी 30 साल से अधिक समय से दुकान चला रहे हैं। वहीं, सवाल उठ रहा है कि अगर मिसयूज के नाम पर नोटिस मिल रहे है तो क्या दिल्ली के और भी मार्केट में सीलिंग की तलवार लटक रही है।
31 साल से कर रहे कारोबारकटरा नील की कृष्णा गली स्थित कपड़ा कारोबारी राम प्रकाश बंसल को 31 अक्टूबर को नगर निगम की ओर से सीलिंग का नोटिस मिला है। वह बताते है कि 1994 से यहां दुकान चला रहे हैं। समय पर कन्वर्जन चार्ज, ट्रेड लाइसेस शुल्क, जीएसटी समेत अन्य शुल्क जमा करते हैं। बावजूद उन्हें, सीलिंग का नोटिस मिला है। अब वह काफी टेशन में है।
मिक्स लैंड यूज का मतलब क्यामिक्स लैड यूज यानी एक ही इमारत या इलाके में आवासीय (रहने की जगह) और व्यावसायिक (दुकान/ऑफिस) दोनों तरह का इस्तेमाल करना। कारोबारी भगवान बंसल ने बताया कि मिक्स लैंड के मिसयूज के नाम पर नोटिस मिल रहे हैं। इसके पीछे का कारण रेजिडेंशल से कमर्शियल यूज है। जबकि यहां कई दशक से कमर्शिल एक्टिविटी हो रही है।
कन्वर्जन चार्ज के लिए भी भेजे जा रहे नोटिसकटरा नील में 8 दुकानों को सील किया गया था। बाकी दुकाने बंद थी, इसलिए उन्हें सील नहीं किया जा सका। चांदनी चौक नागरिक मंच के महामंत्री प्रवीण शंकर कपूर ने बताया कि कार्रवाई के बाद एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 31 दिसंबर तक इस मामले की सुनवाई अपीलेट ट्रिब्यूनल (अपीलीय अदालत) में होगी। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई नई तारीख भी नहीं लगाई। कपूर ने कहा कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने मामला ट्रिब्यूनल में भेजा है, उससे साफ जाहिर होता है कि सुप्रीम कोर्ट भी यही चाहता है कि इस मामले मे एमसीडी कोई पॉलिसी बनाए, जिससे कारोबारियों को राहत मिल सके।





