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New US Tariffs: चीन का दर्द बढ़ाने के लिए ट्रंप का 'कांटा' भारत को चुभेगा... यह चेतावनी कैसी?

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नई दिल्‍ली: अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की नीतियां पूरी दुनिया के लिए सिर दर्द बन चुकी हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। उसके निशाने पर चीन है। लेकिन, कीमत सभी को चुकानी पड़ रही है। अब ट्रंप ने चुभाने के लिए एक और 'कांटा' खोज निकाला है। इसकी चुभन सीधे भारत को महसूस होगी। दरअसल, अमेरिका टैरिफ से बचने के लिए माल को दूसरे देशों से घुमाकर भेजने पर नकेल कस रहा है। 31 जुलाई को अमेरिका ने उन सामानों पर 40% टैरिफ की घोषणा की, जिन्हें ट्रांसशिप किया गया माना गया। यह उन देशों पर लगने वाले सामान्य टैरिफ के अलावा है। मूडीज रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि आसियान, भारत और मेक्सिको में ट्रांसशिपमेंट (माल को एक जहाज से दूसरे जहाज पर उतारना) के जोखिम का सामना करने वाले कई सेक्‍टर हैं। इनमें मशीनरी, इलेक्ट्रिकल उपकरण और कंज्यूमर ऑप्टिकल उत्पाद शामिल हैं। सेमीकंडक्टर भी इसमें आते हैं। इन पर अमेरिका ने 40% ट्रांसशिपमेंट टैरिफ लगाया है।

अमेरिका ने देखा है कि कुछ कंपनियां चीन जैसे देशों से माल को सीधे अमेरिका भेजने के बजाय भारत, मेक्सिको या आसियान देशों से होकर भेज रही हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि चीन पर लगे ऊंचे अमेरिकी टैरिफ से बचा जा सके। अमेरिका ने ऐसे 'रास्ता बदलकर' भेजे गए माल पर नया और ऊंचा टैरिफ लगा दिया है। इससे भारत, मेक्सिको और आसियान क्षेत्र की चिप्स, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों को खतरा है। कंपनियों को अब यह साबित करना होगा कि उन्होंने अपने देश (जैसे भारत) में उस कच्चे माल को पर्याप्त रूप से बदल दिया है। अगर वे ऐसा नहीं कर पाएंगी तो उन्हें भारी जुर्माना देना होगा। उनका माल अमेरिका में महंगा हो जाएगा।

चीन का रास्‍ता बंद करना चाहता है अमेर‍िका
मूडीज रेटिंग्स ने अपनी 'ट्रेड एशिया-पैसिफिक' रिपोर्ट में बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल उपकरण, सौर ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और ऑटोमोटिव जैसे सेक्टरों पर अमेरिका की बढ़ती निगरानी के कारण ट्रांसशिपमेंट के उल्लंघन का खतरा बढ़ गया है। मूडीज ने कहा, 'हमारा विश्लेषण बताता है कि आसियान, भारत और मेक्सिको में ट्रांसशिपमेंट रिस्‍क का सामना करने वाले प्रमुख सेक्टरों में मशीनरी, इलेक्ट्रिकल उपकरण और कंज्यूमर ऑप्टिकल उत्पाद शामिल हैं, जिनमें सेमीकंडक्टर भी हैं।'


ट्रांसशिप किए गए उत्पाद मुख्य रूप से तैयार माल के बजाय इंटरमीडिएट इनपुट (सामान बनाने में इस्तेमाल होने वाले पुर्जे) हैं। ट्रांसशिपमेंट एक कानूनी प्रक्रिया है। इसमें माल को हब पर जहाजों और ट्रेनों जैसे वाहनों के बीच बदला जाता है। ऐसा तब किया जाता है जब निर्यात और आयात स्थानों के बीच कोई सीधा रास्ता नहीं होता है। यह प्रक्रिया लॉजिस्टिक्स की योजना बनाने में मदद करती है, लागत कम करती है और वैश्विक सप्लाई चेन को लचीला बनाती है।

हालांकि, मूडीज ने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल माल की उत्पत्ति (ओरिजिन) को छिपाने और टैरिफ से बचने के लिए भी किया जा सकता है। खासकर तब जब अमेरिका-चीन ट्रेड टेंशन अपने शबाब पर है। अमेरिका पूरी तरह से चीन का रास्‍ता बंद करने पर उतारू है। नए टैरिफ के अलावा, ट्रांसशिपमेंट का जिक्र हाल के अमेरिकी व्यापार समझौतों में भी किया गया है।

मूडीज ने दी यह बड़ी चेतावनीमूडीज ने कहा कि ट्रांसशिपमेंट टैरिफ को लेकर स्पष्टता की कमी आसियान देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए जोखिम पैदा करती है। अगर अमेरिका सिर्फ चीन से आयात किए गए माल पर ही फोकस करता है, जिन्हें थोड़ा-बहुत प्रोसेस किया गया है या लेबल बदला गया है और फिर अमेरिका को निर्यात किया गया है तो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर इसका आर्थिक प्रभाव सीमित हो सकता है। लेकिन, मूडीज ने चेतावनी दी कि अगर व्यापक और अधिक दंडात्मक व्याख्या अपनाई जाती है जिसमें किसी भी महत्वपूर्ण चीनी इनपुट वाले माल को भी उल्लंघन माना जाता है तो यह एशिया-पैसिफिक सप्लाई चेन के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक साबित हो सकता है।

मूडीज के अनुसार, ट्रांसशिपमेंट टैरिफ आसियान के निजी क्षेत्र के लिए बड़ी अनुपालन समस्याएं पैदा करेगा। उदाहरण के लिए ज्‍यादा सावधानी और सर्टिफिकेशन की जरूरतें होंगी। निर्यातकों को अमेरिकी दंड से बचने के लिए 'पर्याप्त बदलाव' साबित करने की आवश्यकता होगी।

ट्रांसशिपमेंट क्‍या होता है?अब यह समझ लेना भी महत्वपूर्ण है कि ट्रांसशिपमेंट क्या होता है। दरअसल, यह माल को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का एक तरीका है। जब कोई सीधा रास्ता नहीं होता तो माल को एक जहाज से दूसरे जहाज पर या ट्रेन में बदला जाता है। यह सामानों को जल्दी और सस्ते में पहुंचाने में मदद करता है। लेकिन, कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल करते हैं। वे माल की असली जगह छिपाने के लिए ऐसा करते हैं ताकि उन्हें कम टैक्स देना पड़े।

अमेरिका अब इस पर कड़ी नजर रख रहा है। उसने 40% का नया टैक्स लगाया है। यह उन सामानों पर लगेगा जो दूसरे देशों से होकर अमेरिका आते हैं। अमेरिका का मानना है कि ऐसा करके चीन जैसे देश टैक्स बचा रहे हैं।

मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल सामान, सोलर पैनल और गाड़ियों के पुर्जे जैसे सेक्टरों पर इसका असर ज्यादा पड़ सकता है। भारत भी इस लिस्ट में है। अगर अमेरिका इस नियम को सख्ती से लागू करता है तो भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों पर भी असर पड़ सकता है।

यह नया नियम आसियान देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्हें यह साबित करना होगा कि उनके सामानों में चीनी पुर्जे कम हैं या उन्हें वहां काफी बदला गया है। अगर वे ऐसा नहीं कर पाते तो उन्हें भारी टैक्स देना पड़ सकता है। इससे उनकी सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ेगा। यह स्थिति भारत के लिए भी चिंता का विषय है। भारत को भी अपनी निर्यात नीतियों पर ध्यान देना होगा ताकि अमेरिकी नियमों का पालन किया जा सके और व्यापार पर नकारात्मक असर न पड़े।
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