भोपाल: अवैध वन्यजीव व्यापार के खिलाफ डीआरआई की नागपुर क्षेत्रीय इकाई ने बड़ी सफलता हासिल की है। मुंबई क्षेत्रीय इकाई के अधीन कार्यरत इस टीम ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक होटल से सिर सहित तेंदुए की खाल जब्त की और तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई विशिष्ट खुफिया सूचना के आधार पर की गई है।
भोपाल के एक होटल में की छापेमारीमुखबिर की सूचना पर डीआरआई अधिकारियों ने भोपाल के एक होटल में छापेमारी की, जहां तीन संदिग्ध व्यक्ति तेंदुए की खाल की ट्रॉफी बेचने की फिराक में थे। तलाशी के दौरान यह दुर्लभ ट्रॉफी बरामद हुई, जिसमें तेंदुए का सिर भी शामिल था।
वन्यजीव अधिनियम के अंतर्गत तेंदुए की खाल, अंगों या ट्रॉफी का व्यापार, बिक्री, खरीद या कब्जा पूरी तरह प्रतिबंधित है। उल्लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान है। जब्त की गई वस्तु और पकड़े गए तीन व्यक्तियों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए वन प्रभाग भोपाल को सौंप दिया गया।
डीआरआई ने लगातार कर रही कार्रवाईयह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी डीआरआई मुंबई की टीम वन्यजीव तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। मई में उज्जैन, महाराष्ट्र में दो तेंदुए की खालें, एक जंगली सूअर और हाथी का दांत जब्त किया गया था।
लगातार अंगों की तस्करी जारीजुलाई में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में बिजली के झटके से बाघ शावक की हत्या के मामले में छह आरोपी पकड़े गए। इस कार्रवाई में नौ बाघ के नाखून, 61 हड्डियां और शावक का आंशिक सड़ा शव बरामद हुआ। अगस्त में ओडिशा के रायगढ़ में दो तेंदुए की खालें जब्त कर चार तस्कर गिरफ्तार किए गए। राज्य वन विभागों, सीमा शुल्क और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय से खुफिया-संचालित ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। भारत की जैव विविधता को अवैध शिकार और अंतर्राष्ट्रीय तस्करी से बचाने में डीआरआई की भूमिका अहम है।
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे नेटवर्क एशिया के अवैध बाजारों से जुड़े होते हैं, जहां वन्यजीव उत्पादों की मांग लगातार बनी हुई है। डीआरआई के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी टीम दिन-रात लगी हुई है। वन्यजीव संरक्षण केवल कानून का पालन नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी संतुलन की रक्षा है। यह कार्रवाई अन्य तस्करों के लिए चेतावनी है कि कानून की पकड़ से कोई बच नहीं सकता।
भोपाल के एक होटल में की छापेमारीमुखबिर की सूचना पर डीआरआई अधिकारियों ने भोपाल के एक होटल में छापेमारी की, जहां तीन संदिग्ध व्यक्ति तेंदुए की खाल की ट्रॉफी बेचने की फिराक में थे। तलाशी के दौरान यह दुर्लभ ट्रॉफी बरामद हुई, जिसमें तेंदुए का सिर भी शामिल था।
वन्यजीव अधिनियम के अंतर्गत तेंदुए की खाल, अंगों या ट्रॉफी का व्यापार, बिक्री, खरीद या कब्जा पूरी तरह प्रतिबंधित है। उल्लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान है। जब्त की गई वस्तु और पकड़े गए तीन व्यक्तियों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए वन प्रभाग भोपाल को सौंप दिया गया।
डीआरआई ने लगातार कर रही कार्रवाईयह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी डीआरआई मुंबई की टीम वन्यजीव तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। मई में उज्जैन, महाराष्ट्र में दो तेंदुए की खालें, एक जंगली सूअर और हाथी का दांत जब्त किया गया था।
लगातार अंगों की तस्करी जारीजुलाई में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में बिजली के झटके से बाघ शावक की हत्या के मामले में छह आरोपी पकड़े गए। इस कार्रवाई में नौ बाघ के नाखून, 61 हड्डियां और शावक का आंशिक सड़ा शव बरामद हुआ। अगस्त में ओडिशा के रायगढ़ में दो तेंदुए की खालें जब्त कर चार तस्कर गिरफ्तार किए गए। राज्य वन विभागों, सीमा शुल्क और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय से खुफिया-संचालित ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। भारत की जैव विविधता को अवैध शिकार और अंतर्राष्ट्रीय तस्करी से बचाने में डीआरआई की भूमिका अहम है।
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे नेटवर्क एशिया के अवैध बाजारों से जुड़े होते हैं, जहां वन्यजीव उत्पादों की मांग लगातार बनी हुई है। डीआरआई के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी टीम दिन-रात लगी हुई है। वन्यजीव संरक्षण केवल कानून का पालन नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी संतुलन की रक्षा है। यह कार्रवाई अन्य तस्करों के लिए चेतावनी है कि कानून की पकड़ से कोई बच नहीं सकता।
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