नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिल्ली में यूके नेशनल डे सेलिब्रेशन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जयशंकर ने अपने खास अंदाज में कार्यक्रम में मौजूद लोगों का दिल जीत लिया। जयशंकर ने अपने स्पीच की शुरुआत मुस्कुरा कर पन्ना पलटते हुए की। इसके बाद उन्होंने मौजूद लोगों को हाथ जोड़कर नमस्कार किया। विदेश मंत्री ने इस मौके पर ब्रिटेन के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों का जिक्र किया।   
   
मुश्किल इतिहास से जबरदस्त पार्टनरशिप तक
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि मुझे यूनाइटेड किंगडम के नेशनल डे के सेलिब्रेशन में शामिल होकर बहुत खुशी हो रही है... पिछले कुछ सालों में, हमारे रिश्ते एक मुश्किल ऐतिहासिक जुड़ाव से एक डायनामिक और आगे देखने वाली पार्टनरशिप में बदल गए हैं। यह साल हमारे आधुनिक रिश्तों के लिए एक खास साल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने मुंबई में पीएम कीर स्टॉर्मर का स्वागत किया, उनके साथ UK का अब तक का सबसे बड़ा ट्रेड डेलिगेशन भी आया था।
   
   
जयशंकर ने कहा कि पीएम मोदी खुद तीन महीने पहले यूके गए थे, जब ऐतिहासिक कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक और ट्रेड एग्रीमेंट साइन हुआ था। उस यात्रा के दौरान, उन्होंने 5 पिलर्स - ग्रोथ, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन; डिफेंस और सिक्योरिटी; क्लाइमेट चेंज और क्लीन एनर्जी; एजुकेशन - पर हमारे रिश्तों को गाइड करने के लिए विजन 2035 भी अपनाया। जयशंकर ने कहा कि हमने पहली बार डिफेंस इंडस्ट्रियल रोडमैप भी अपनाया।
   
ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासी भारतीयों का जिक्र
जयशंकर ने कहा कि आज यह भी एक मौका है कि हम यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले 1.9 मिलियन मजबूत भारतीय डायस्पोरा के अनमोल योगदान को पहचानें। उन्होंने कहा कि वे एक जिंदा पुल हैं और उन्होंने हमारे बीच एक खास रिश्ता बनाने में मदद की है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मैं महामहिम की सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण के प्रति लंबे समय से चली आ रही प्रतिबद्धता को भी याद करना चाहता हूं, ये ऐसे मूल्य हैं जो प्रधानमंत्री के विजन और मिशन LiFE से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं... आज रात, इतने सारे शुभचिंतकों की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि हमारे बीच कितनी गर्मजोशी और आपसी सम्मान है।
   
भारत दौरे पर आए थे ब्रिटिश पीएम
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर इसी महीने भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए थे। इस यात्रा के तहत ब्रिटेन का सबसे बड़ा व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा था। इस दौरान लगभग 1.3 अरब पाउंड के करार हुए थे। स्टॉर्मर ने कहना था कि भारत विश्व मंच पर एक उभरती हुई शक्ति है, जो 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
   
ब्रिटिश पीएम की यात्रा के दौरान भारत-ब्रिटेन शिक्षा संबंधों को बड़ा बढ़ावा मिला। नई शिक्षा नीति के तहत नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर स्थापित करने की मंजूरी मिली। वहीं, भारत और ब्रिटेन के बीच टेक्नोलॉजी और इनोवेशन सेक्टर में चार प्रमुख समझौते हुए।
   
भारत-ब्रिटेन की बीच मुक्त व्यापार समझौता
भारत और ब्रिटेन के बीच दो महीने पहले ही मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है। इस समझौते से दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है। यह समझौता दोनों देशों में हजारों नए रोजगार पैदा करेगा। भारतीय कंपनियों का ब्रिटेन में विस्तार और ब्रिटिश कंपनियों का भारत में निवेश प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा। अधिक बाजार पहुंच से भारत में उत्पादन बढ़ेगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।
   
पीएम मोदी खुद कह चुके हैं कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा देगा और इससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी। इस समझौते से बाजार तक पहुंच बढ़ेगी, शुल्कों में कटौती होगी और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो जाएगा।
  
मुश्किल इतिहास से जबरदस्त पार्टनरशिप तक
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि मुझे यूनाइटेड किंगडम के नेशनल डे के सेलिब्रेशन में शामिल होकर बहुत खुशी हो रही है... पिछले कुछ सालों में, हमारे रिश्ते एक मुश्किल ऐतिहासिक जुड़ाव से एक डायनामिक और आगे देखने वाली पार्टनरशिप में बदल गए हैं। यह साल हमारे आधुनिक रिश्तों के लिए एक खास साल रहा है। उन्होंने कहा कि हमने मुंबई में पीएम कीर स्टॉर्मर का स्वागत किया, उनके साथ UK का अब तक का सबसे बड़ा ट्रेड डेलिगेशन भी आया था।
Speaking at the UK National Day celebrations @UKinIndia in New Delhi.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 31, 2025
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जयशंकर ने कहा कि पीएम मोदी खुद तीन महीने पहले यूके गए थे, जब ऐतिहासिक कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक और ट्रेड एग्रीमेंट साइन हुआ था। उस यात्रा के दौरान, उन्होंने 5 पिलर्स - ग्रोथ, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन; डिफेंस और सिक्योरिटी; क्लाइमेट चेंज और क्लीन एनर्जी; एजुकेशन - पर हमारे रिश्तों को गाइड करने के लिए विजन 2035 भी अपनाया। जयशंकर ने कहा कि हमने पहली बार डिफेंस इंडस्ट्रियल रोडमैप भी अपनाया।
ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासी भारतीयों का जिक्र
जयशंकर ने कहा कि आज यह भी एक मौका है कि हम यूनाइटेड किंगडम में रहने वाले 1.9 मिलियन मजबूत भारतीय डायस्पोरा के अनमोल योगदान को पहचानें। उन्होंने कहा कि वे एक जिंदा पुल हैं और उन्होंने हमारे बीच एक खास रिश्ता बनाने में मदद की है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मैं महामहिम की सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण के प्रति लंबे समय से चली आ रही प्रतिबद्धता को भी याद करना चाहता हूं, ये ऐसे मूल्य हैं जो प्रधानमंत्री के विजन और मिशन LiFE से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं... आज रात, इतने सारे शुभचिंतकों की मौजूदगी इस बात का सबूत है कि हमारे बीच कितनी गर्मजोशी और आपसी सम्मान है।
भारत दौरे पर आए थे ब्रिटिश पीएम
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर इसी महीने भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए थे। इस यात्रा के तहत ब्रिटेन का सबसे बड़ा व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा था। इस दौरान लगभग 1.3 अरब पाउंड के करार हुए थे। स्टॉर्मर ने कहना था कि भारत विश्व मंच पर एक उभरती हुई शक्ति है, जो 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
ब्रिटिश पीएम की यात्रा के दौरान भारत-ब्रिटेन शिक्षा संबंधों को बड़ा बढ़ावा मिला। नई शिक्षा नीति के तहत नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालयों को भारत में अपने परिसर स्थापित करने की मंजूरी मिली। वहीं, भारत और ब्रिटेन के बीच टेक्नोलॉजी और इनोवेशन सेक्टर में चार प्रमुख समझौते हुए।
भारत-ब्रिटेन की बीच मुक्त व्यापार समझौता
भारत और ब्रिटेन के बीच दो महीने पहले ही मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है। इस समझौते से दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है। यह समझौता दोनों देशों में हजारों नए रोजगार पैदा करेगा। भारतीय कंपनियों का ब्रिटेन में विस्तार और ब्रिटिश कंपनियों का भारत में निवेश प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा। अधिक बाजार पहुंच से भारत में उत्पादन बढ़ेगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।
पीएम मोदी खुद कह चुके हैं कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा देगा और इससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी। इस समझौते से बाजार तक पहुंच बढ़ेगी, शुल्कों में कटौती होगी और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो जाएगा।
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