नई दिल्ली: क्या दिल्ली में किया गया कृत्रिम बारिश का ट्रायल बुरी तरह से फेल हो गया है? ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि हाल ही में राजधानी के अंदर प्रदूषण कम करने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की कोशिश की गई। इसके लिए बकायदा क्लाउस सीडिंग की गई। लेकिन कोशिश के अनुरूप रिजल्ट नजर नहीं आया। इस बीच IIT कानपुर के डायरेक्टर मणींद्र अग्रवाल ने एनडीटीवी को बताया कि ये परीक्षण पूरी तरह से सफल नहीं हुआ, क्योंकि एयरक्राफ्ट के जरिए दागे गए फ्लेयर्स के कारण बारिश नहीं हो सकी।
मणींद्र अग्रवाल ने आगे कहा कि दिल्ली में क्लाउस सीडिंग के लिए दो उड़ानें भरीं गईं। एक दोपहर के समय और दूसरी शाम के समय। इस दौरान कुल 14 फ्लेयर्स दागे गए। फ्लेयर्स दागे जाने के बाद एयरक्राफ्ट मेरठ लौट आया, लेकिन बारिश नहीं हुई है। इसलिए इस परीक्षण को पूरी तरह से सफल नहीं माना जा सकता है।
जानें, किन फ्लेयर्स का किया गया उपयोगबता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में इस परीक्षण के लिए एक सेसना एयरक्राफ्ट का उपयोग किया गया था। इस परीक्षण के दौरान बारिश लाने के लिए नमक और सिल्वर आयोडाइड के फ्लेयर्स लगे थे। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह का परीक्षण किया गया। पिछले हफ्ते बुराड़ी के ऊपर भी ऐसा ही एक परीक्षण किया गया था। दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि मंगलवार को दो परीक्षण किए गए और राजधानी के बाहरी इलाकों को कवर किया गया।
करोल बाग, मयूर विहार को किया शामिलमंत्री सिरसा ने बताया कि दिल्ली में दो क्लाउड सीडिंग परीक्षण किए गए, यह कुल मिलाकर तीसरा था। पहला परीक्षण करने के लिए एयरक्राफ्ट आज सुबह कानपुर से और दूसरा करने के लिए मेरठ से उड़ान भरी गई। परीक्षण में बाहरी दिल्ली के इलाकों को शामिल किया गया। परीक्षणों के दौरान खेकड़ा, बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे इलाके शामिल किए गए। इस प्रक्रिया के दौरान आठ फ्लेयर्स का इस्तेमाल किया गया, जिनमें से प्रत्येक का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम के बीच था।
नमी की कमी के कारण नहीं हुई बारिशक्लाउड सीडिंग परीक्षणों पर दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि आईएमडी की अनुमानित नमी की मात्रा कम, लगभग 10-15 प्रतिशत थी, जो क्लाउड सीडिंग के लिए आदर्श नहीं है। मनिंद्र अग्रवाल ने भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की और कहा कि राजधानी में अच्छे बादल छाए हुए थे, लेकिन नमी की मात्रा बारिश कराने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
मणींद्र अग्रवाल ने आगे कहा कि दिल्ली में क्लाउस सीडिंग के लिए दो उड़ानें भरीं गईं। एक दोपहर के समय और दूसरी शाम के समय। इस दौरान कुल 14 फ्लेयर्स दागे गए। फ्लेयर्स दागे जाने के बाद एयरक्राफ्ट मेरठ लौट आया, लेकिन बारिश नहीं हुई है। इसलिए इस परीक्षण को पूरी तरह से सफल नहीं माना जा सकता है।
जानें, किन फ्लेयर्स का किया गया उपयोगबता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में इस परीक्षण के लिए एक सेसना एयरक्राफ्ट का उपयोग किया गया था। इस परीक्षण के दौरान बारिश लाने के लिए नमक और सिल्वर आयोडाइड के फ्लेयर्स लगे थे। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह का परीक्षण किया गया। पिछले हफ्ते बुराड़ी के ऊपर भी ऐसा ही एक परीक्षण किया गया था। दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि मंगलवार को दो परीक्षण किए गए और राजधानी के बाहरी इलाकों को कवर किया गया।
करोल बाग, मयूर विहार को किया शामिलमंत्री सिरसा ने बताया कि दिल्ली में दो क्लाउड सीडिंग परीक्षण किए गए, यह कुल मिलाकर तीसरा था। पहला परीक्षण करने के लिए एयरक्राफ्ट आज सुबह कानपुर से और दूसरा करने के लिए मेरठ से उड़ान भरी गई। परीक्षण में बाहरी दिल्ली के इलाकों को शामिल किया गया। परीक्षणों के दौरान खेकड़ा, बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे इलाके शामिल किए गए। इस प्रक्रिया के दौरान आठ फ्लेयर्स का इस्तेमाल किया गया, जिनमें से प्रत्येक का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम के बीच था।
नमी की कमी के कारण नहीं हुई बारिशक्लाउड सीडिंग परीक्षणों पर दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि आईएमडी की अनुमानित नमी की मात्रा कम, लगभग 10-15 प्रतिशत थी, जो क्लाउड सीडिंग के लिए आदर्श नहीं है। मनिंद्र अग्रवाल ने भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की और कहा कि राजधानी में अच्छे बादल छाए हुए थे, लेकिन नमी की मात्रा बारिश कराने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
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