नई दिल्ली: अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी अगले हफ्ते भारत आ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक वो 10 अक्टूबर को भारत आ सकते हैं। दरअसल बीती 30 सितंबर को यूएनएससी कमेटी ने मुत्ताकी की प्रस्तावित भारत यात्रा को लेकर बैन हटाया है। मुत्ताकी का नाम यूएनएससी प्रस्ताव 1988 (तालिबान सैंक्शन लिस्ट में शामिल है।
ऐसे में बाहर विदेश जाने के लिए उन्हें इस कमेटी से इजाजत लेनी होती है। बता दें इससे पहले भी इस तरह की अटकलें सामने आ रही थी कि मुत्ताकी अगस्त महीने के आखिर में भारत आ सकते हैं । लेकिन सूत्रों ने बताया कि उस वक्त उनके ट्रैवल बैन के यूएनएससी ने नहीं हटाया था।
दोनों देशों के बीच बढ़ा है इंगेजमेंट
इससे पहले दोनों देशों के बीच बढ़ते संपर्क और इंगेजमेंट के मद्देनजर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मुत्ताकी के बीच बीती 15 मई को फोन पर बातचीत हुई थी। भारतीय विदेश मंत्री की ओर से तालिबान को लेकर ये अपनी तरह की बड़ी इंगेजमेंट थी, जिसे लेकर विदेश मंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट भी साझा की थी। इसी साल जनवरी में विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताकी के बीच मुलाकात को साल 2021 के बाद एक बड़ी डिप्लोमैटिक स्तर की वार्ता की तरह देखा गया।
दुबई में हुई इस बैठक के बाद भारत ने धीरे-धीरे ही सही बिना डिप्लोमैटिक मान्यता दिए, अफगानिस्तान के साथ डिप्लोमैटिक इंगेजमेंट बढ़ाई है। नवंबर 2024 में ज्वाइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब के साथ मुलाकात की थी। उस वक्त वो अफ़ग़ानिस्तान का प्रभार देख रहे थे।
क्या होगा प्रोटोकॉल
मुत्ताकी की ये यात्रा अपने आप में कई मायनों में अलग है। 2021 से अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान सरकार को भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी है। मुत्ताकी वहां के कार्यवाहक विदेश मंत्री हैं, ऐसे में वो किस प्रोटोकॉल के तहत ये दौरा कर रहे हैं, इसे लेकर फिलहाल कोई स्पष्टता नहीं है। ये साफ है कि बगराम एयरबेस के मामले में तालिबान भारत का समर्थन चाहेगा, लेकिन भारत को इस संबंध में बहुत सावधानी से चलना होगा, क्योंकि यूएस के साथ संबंध पहले से ही ट्रैक पर नहीं है।
ऐसे में बाहर विदेश जाने के लिए उन्हें इस कमेटी से इजाजत लेनी होती है। बता दें इससे पहले भी इस तरह की अटकलें सामने आ रही थी कि मुत्ताकी अगस्त महीने के आखिर में भारत आ सकते हैं । लेकिन सूत्रों ने बताया कि उस वक्त उनके ट्रैवल बैन के यूएनएससी ने नहीं हटाया था।
दोनों देशों के बीच बढ़ा है इंगेजमेंट
इससे पहले दोनों देशों के बीच बढ़ते संपर्क और इंगेजमेंट के मद्देनजर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मुत्ताकी के बीच बीती 15 मई को फोन पर बातचीत हुई थी। भारतीय विदेश मंत्री की ओर से तालिबान को लेकर ये अपनी तरह की बड़ी इंगेजमेंट थी, जिसे लेकर विदेश मंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट भी साझा की थी। इसी साल जनवरी में विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताकी के बीच मुलाकात को साल 2021 के बाद एक बड़ी डिप्लोमैटिक स्तर की वार्ता की तरह देखा गया।
दुबई में हुई इस बैठक के बाद भारत ने धीरे-धीरे ही सही बिना डिप्लोमैटिक मान्यता दिए, अफगानिस्तान के साथ डिप्लोमैटिक इंगेजमेंट बढ़ाई है। नवंबर 2024 में ज्वाइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब के साथ मुलाकात की थी। उस वक्त वो अफ़ग़ानिस्तान का प्रभार देख रहे थे।
क्या होगा प्रोटोकॉल
मुत्ताकी की ये यात्रा अपने आप में कई मायनों में अलग है। 2021 से अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान सरकार को भारत सरकार ने मान्यता नहीं दी है। मुत्ताकी वहां के कार्यवाहक विदेश मंत्री हैं, ऐसे में वो किस प्रोटोकॉल के तहत ये दौरा कर रहे हैं, इसे लेकर फिलहाल कोई स्पष्टता नहीं है। ये साफ है कि बगराम एयरबेस के मामले में तालिबान भारत का समर्थन चाहेगा, लेकिन भारत को इस संबंध में बहुत सावधानी से चलना होगा, क्योंकि यूएस के साथ संबंध पहले से ही ट्रैक पर नहीं है।
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