पटना: जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रशांत किशोर की ओर से लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। मंत्री ने इन सभी आरोपों का क्रमवार जवाब भी दिया। मंगल पाण्डेय ने अपनी पत्नी के नाम पर रिश्वत के पैसे से फ्लैट खरीदने के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने भाजपा नेता दिलीप जायसवाल (फिलहाल बिहार बीजेपी अध्यक्ष) से जो राशि लोन के रूप में ली थी, वो करीब पांच साल पहले चेक के माध्यम से वापस कर दी गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये लेन-देन पूरी तरह पारदर्शी और बैंकिंग प्रणाली के तहत हुआ है।
मंगल पाण्डेय पर प्रशांत ने लगाए थे सनसनीखेज आरोपदरअसल, प्रशांत किशोर ने आरोप लगाते हुए कहा था कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से साल 2019 में 25 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। मंगल पाण्डेय ने इन रुपयों का इस्तेमाल कर दिल्ली के द्वारका में पत्नी के नाम पर फ्लैट खरीदा था। इसके बदले में दिलीप जायसवाल के किशनगंज स्थित मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब बिहार के लोग दवा और ऑक्सीजन के लिए परेशान थे, तब यहां के स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली में फ्लैट खरीद रहे थे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के द्वारका में स्वास्थ्य मंत्री ने 86 लाख में ये फ्लैट अपनी पत्नी उर्मिला पाण्डेय के नाम पर खरीदा है, जिसके निबंधन में गवाह के रूप में दिलीप जायसवाल का नाम है। उन्होंने बताया कि इसमें 25 लाख रुपये बतौर रिश्वत 6 अगस्त 2019 को दिलीप जायसवाल के बैंक खाते से 25 लाख रुपये मंगल पाण्डेय के पिता अवधेश पाण्डेय के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। इसके करीब 10 दिन बाद अवधेश पाण्डेय ने ये पैसा अपनी बहू उर्मिला के अकाउंट में भेजा था। उन्होंने आगे कहा कि अगर मंगल पाण्डेय ने अपने मित्र दिलीप जायसवाल से ऋण लिया होता, तो जिक्र 2020 में एफिडेविट में होना चाहिए था।
डीम्ड यूनिवर्सिटी मामले पर मंगल पाण्डेय की सफाईकिशनगंज के एक मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने में मिलीभगत के आरोप पर स्वास्थय मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि ये आरोप भी पूरी तरह से बेबुनियाद है, क्योंकि किसी भी विश्वविद्यालय को मान्यता देने की प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग की कोई भूमिका नहीं होती है।
एंबुलेंस मामले पर भी मंगल पाण्डेय ने दिया बयानएंबुलेंस की खरीद में हेराफेरी के आरोपों पर मंगल पाण्डेय ने कहा कि इसके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है, जिसमें निविदा जारी की जाती है और इच्छुक पक्ष निविदा में भाग लेते हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में जो पक्ष असंतुष्ट थे, वे न्यायालय गए हैं और ये मामला अभी उच्च न्यायालय में लंबित है। स्वास्थ्य मंत्री ने ये भी जानकारी दी कि इस प्रक्रिया में अभी तक किसी प्रकार का कोई भुगतान नहीं किया गया है।
प्रशांत किशोर ने एंबुलेंस खरीद में अनियमितता के आरोप लगाते हुए कहा था कि बिहार में अधिक मूल्यों पर एंबुलेंस की खरीद की गई है। प्रशांत किशोर ने कहा कि फरवरी 2022 में बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने 200 करोड़ रुपये से 1250 एंबुलेंस खरीदने के लिए टेंडर जारी किया था। कुल 466 एंबुलेंस टाइप-सी को बिहार सरकार ने खरीदा। उस समय एक एंबुलेंस की कीमत 19.58 लाख 257 रुपये थी। अब इस साल 22 अप्रैल को प्रति एंबुलेंस 28 लाख 47 हजार 580 रुपये की कीमत से एंबुलेंस खरीदी गई। यही नहीं, टाटा मोटर को तकनीकी तौर पर टेंडर से भी हटा दिया गया।
इनपुट- आईएएनएस
मंगल पाण्डेय पर प्रशांत ने लगाए थे सनसनीखेज आरोपदरअसल, प्रशांत किशोर ने आरोप लगाते हुए कहा था कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से साल 2019 में 25 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। मंगल पाण्डेय ने इन रुपयों का इस्तेमाल कर दिल्ली के द्वारका में पत्नी के नाम पर फ्लैट खरीदा था। इसके बदले में दिलीप जायसवाल के किशनगंज स्थित मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब बिहार के लोग दवा और ऑक्सीजन के लिए परेशान थे, तब यहां के स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली में फ्लैट खरीद रहे थे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के द्वारका में स्वास्थ्य मंत्री ने 86 लाख में ये फ्लैट अपनी पत्नी उर्मिला पाण्डेय के नाम पर खरीदा है, जिसके निबंधन में गवाह के रूप में दिलीप जायसवाल का नाम है। उन्होंने बताया कि इसमें 25 लाख रुपये बतौर रिश्वत 6 अगस्त 2019 को दिलीप जायसवाल के बैंक खाते से 25 लाख रुपये मंगल पाण्डेय के पिता अवधेश पाण्डेय के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। इसके करीब 10 दिन बाद अवधेश पाण्डेय ने ये पैसा अपनी बहू उर्मिला के अकाउंट में भेजा था। उन्होंने आगे कहा कि अगर मंगल पाण्डेय ने अपने मित्र दिलीप जायसवाल से ऋण लिया होता, तो जिक्र 2020 में एफिडेविट में होना चाहिए था।
डीम्ड यूनिवर्सिटी मामले पर मंगल पाण्डेय की सफाईकिशनगंज के एक मेडिकल कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने में मिलीभगत के आरोप पर स्वास्थय मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि ये आरोप भी पूरी तरह से बेबुनियाद है, क्योंकि किसी भी विश्वविद्यालय को मान्यता देने की प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग की कोई भूमिका नहीं होती है।
एंबुलेंस मामले पर भी मंगल पाण्डेय ने दिया बयानएंबुलेंस की खरीद में हेराफेरी के आरोपों पर मंगल पाण्डेय ने कहा कि इसके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है, जिसमें निविदा जारी की जाती है और इच्छुक पक्ष निविदा में भाग लेते हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में जो पक्ष असंतुष्ट थे, वे न्यायालय गए हैं और ये मामला अभी उच्च न्यायालय में लंबित है। स्वास्थ्य मंत्री ने ये भी जानकारी दी कि इस प्रक्रिया में अभी तक किसी प्रकार का कोई भुगतान नहीं किया गया है।
प्रशांत किशोर ने एंबुलेंस खरीद में अनियमितता के आरोप लगाते हुए कहा था कि बिहार में अधिक मूल्यों पर एंबुलेंस की खरीद की गई है। प्रशांत किशोर ने कहा कि फरवरी 2022 में बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने 200 करोड़ रुपये से 1250 एंबुलेंस खरीदने के लिए टेंडर जारी किया था। कुल 466 एंबुलेंस टाइप-सी को बिहार सरकार ने खरीदा। उस समय एक एंबुलेंस की कीमत 19.58 लाख 257 रुपये थी। अब इस साल 22 अप्रैल को प्रति एंबुलेंस 28 लाख 47 हजार 580 रुपये की कीमत से एंबुलेंस खरीदी गई। यही नहीं, टाटा मोटर को तकनीकी तौर पर टेंडर से भी हटा दिया गया।
इनपुट- आईएएनएस
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