बड़वानी: जिले के राजपुर अनुविभाग के लिम्बई क्षेत्र में दहशत का पर्याय बन चुके एक तेंदुए को पकड़ने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया गया। युद्ध स्तर पर पकड़ने की कोशिश के चलते कल रात उसे गिरफ्त में ले लिया गया। उसे पकड़ने में विफल रहने पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से तीन हाथियों को बुलाये जाने के निर्देश दिये गये थे। उधर तेंदुए के पिंजरे पर चढ़ने का वीडियो वायरल हो गया है।
अब शावक की हो रही तलाश
डीएफओ आशीष बंसोड़ ने बताया कि मादा तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गई। उन्होंने बताया इसके लिए एक रणनीति अपनाई गई। उन्होंने बताया कि पिंजरे को पूरी तरह से कैमोफ्लेज कर दिया गया। उसके बाद तेन्दुए ने कल जिस जानवर को मारा था, उसी जानवर के मांस के टुकड़े पिंजरे तक फैलाए गए। उसे सूंघते हुए वह पिंजरे के अंदर आ गई। उन्होंने बताया कि अब उसके शावक की तलाश की जा रही है। ऑपरेशन के दौरान खंडवा वृत्त की सीसीएफ भी मौजूद थीं।
ड्रोन और कैमरे के अलावा पिंजरे भी लगे
करीब 1 महीने के अंतराल में दो बच्चों को मार डालने वाले तेंदुए को पकड़ने के लिए ड्रोन कैमरे के अलावा पांच पिंजरे भी लगाए गए थे और कैमरा ट्रैप और सीसीटीवी भी स्थापित किए गए थे। बड़वानी के डीएफओ आशीष बनसोड ने बताया था कि मादा तेंदुआ अपने शावकों के साथ घूम रही थी, लेकिन पिंजरे के अंदर नहीं जाते हुए वह पिंजरे के आसपास घूम रही थी।
ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश
उन्होंने बताया कि विभिन्न स्थानों की टीमों के साथ-साथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की भी टीम आई और तेंदुए के गिरफ्त में लेने के प्रयास के साथ-साथ उसे ट्रेंकुलाइज करने का भी प्रयास भी हुए। उन्होंने बताया कि घने खेत होने की स्थिति में तेंदुए के बहुत पास नहीं जाया जा सकता था। बिना पास जाए होरिजेंटल डार्ट लगाने में दिक्कत थी, इसलिए अर्थ मूविंग मशीन के केबिन में बैठकर भी इसकी कोशिश की गई।
फेल हो गई मशीनें
उन्होंने बताया कि अर्थ मूविंग मशीन से दिक्कत यह आ रही थी कि इसकी तेज आवाज आ रही थी और डिफिकल्ट टेरेन में इसे चलने में मुश्किल हो रही थी। मशीन को आगे बढ़ाने के पहले रास्ता बनाना पड़ रहा था। इसके चलते तेंदुआ आउट ऑफ साइट हो जा रहा था। उन्होंने बताया कि इन परेशानियों के चलते सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से तीन हाथियों को बुलाया गया।
ऐसे ऑपरेशन में काम आता है हाथी
हाथी की हाइट, उनकी विजन, सूंघने की क्षमता और जानवरों को घेरने की एक्सपर्टीज के साथ-साथ वे वाइल्डलाइफ से हैबीचुअल होते हैं। और डिफिकल्ट टेरेन में सीधे आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने योजना के बारे में बताया था कि तीन हाथियों में से एक हाथी पर ट्रेंकुलाइज की टीम को भी बिठाया जाएगा ताकि जब वह तेंदुए को घेर ले तो उसे डार्ट मार कर ट्रेंकुलाइज किया जा सके।
टीम से सिर्फ 50 मीटर दूर था तेंदुआ
उन्होंने बताया कि तेंदुआ आसपास ही मंडराते रहा। उन्होंने बताया कि जब वन विभाग की टीम सतपुड़ा रिजर्व फॉरेस्ट का पिंजरा लगाने और डायरेक्शन चेंज करने गई तो 50 मीटर दूर तेंदुआ अपने शावकों के साथ किल (शिकार) को खा रहा था। उन्होंने बताया कि इसके चलते टीम उल्टे पांव ही लौट आई। क्योंकि यदि तेंदुआ डिस्टर्ब होता तो हमला कर सकता था। उसको खाने देना भी जरूरी था, क्योंकि भूखे रहने की स्थिति में तेंदुआ किसी पर भी हमला बोल सकता था। इस बीच तेंदुए का एक एक्सक्लूसिव वीडियो सामने आया है। इसमें वह पिंजरे के आसपास मंडरा रहा है और यहां तक कि ऊपर भी चढ़ गया, लेकिन काफी स्मार्ट होने के चलते अंदर नहीं गया।
अब शावक की हो रही तलाश
डीएफओ आशीष बंसोड़ ने बताया कि मादा तेंदुआ पिंजरे में कैद हो गई। उन्होंने बताया इसके लिए एक रणनीति अपनाई गई। उन्होंने बताया कि पिंजरे को पूरी तरह से कैमोफ्लेज कर दिया गया। उसके बाद तेन्दुए ने कल जिस जानवर को मारा था, उसी जानवर के मांस के टुकड़े पिंजरे तक फैलाए गए। उसे सूंघते हुए वह पिंजरे के अंदर आ गई। उन्होंने बताया कि अब उसके शावक की तलाश की जा रही है। ऑपरेशन के दौरान खंडवा वृत्त की सीसीएफ भी मौजूद थीं।
ड्रोन और कैमरे के अलावा पिंजरे भी लगे
करीब 1 महीने के अंतराल में दो बच्चों को मार डालने वाले तेंदुए को पकड़ने के लिए ड्रोन कैमरे के अलावा पांच पिंजरे भी लगाए गए थे और कैमरा ट्रैप और सीसीटीवी भी स्थापित किए गए थे। बड़वानी के डीएफओ आशीष बनसोड ने बताया था कि मादा तेंदुआ अपने शावकों के साथ घूम रही थी, लेकिन पिंजरे के अंदर नहीं जाते हुए वह पिंजरे के आसपास घूम रही थी।
ट्रेंकुलाइज करने की कोशिश
उन्होंने बताया कि विभिन्न स्थानों की टीमों के साथ-साथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की भी टीम आई और तेंदुए के गिरफ्त में लेने के प्रयास के साथ-साथ उसे ट्रेंकुलाइज करने का भी प्रयास भी हुए। उन्होंने बताया कि घने खेत होने की स्थिति में तेंदुए के बहुत पास नहीं जाया जा सकता था। बिना पास जाए होरिजेंटल डार्ट लगाने में दिक्कत थी, इसलिए अर्थ मूविंग मशीन के केबिन में बैठकर भी इसकी कोशिश की गई।
फेल हो गई मशीनें
उन्होंने बताया कि अर्थ मूविंग मशीन से दिक्कत यह आ रही थी कि इसकी तेज आवाज आ रही थी और डिफिकल्ट टेरेन में इसे चलने में मुश्किल हो रही थी। मशीन को आगे बढ़ाने के पहले रास्ता बनाना पड़ रहा था। इसके चलते तेंदुआ आउट ऑफ साइट हो जा रहा था। उन्होंने बताया कि इन परेशानियों के चलते सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से तीन हाथियों को बुलाया गया।
ऐसे ऑपरेशन में काम आता है हाथी
हाथी की हाइट, उनकी विजन, सूंघने की क्षमता और जानवरों को घेरने की एक्सपर्टीज के साथ-साथ वे वाइल्डलाइफ से हैबीचुअल होते हैं। और डिफिकल्ट टेरेन में सीधे आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने योजना के बारे में बताया था कि तीन हाथियों में से एक हाथी पर ट्रेंकुलाइज की टीम को भी बिठाया जाएगा ताकि जब वह तेंदुए को घेर ले तो उसे डार्ट मार कर ट्रेंकुलाइज किया जा सके।
टीम से सिर्फ 50 मीटर दूर था तेंदुआ
उन्होंने बताया कि तेंदुआ आसपास ही मंडराते रहा। उन्होंने बताया कि जब वन विभाग की टीम सतपुड़ा रिजर्व फॉरेस्ट का पिंजरा लगाने और डायरेक्शन चेंज करने गई तो 50 मीटर दूर तेंदुआ अपने शावकों के साथ किल (शिकार) को खा रहा था। उन्होंने बताया कि इसके चलते टीम उल्टे पांव ही लौट आई। क्योंकि यदि तेंदुआ डिस्टर्ब होता तो हमला कर सकता था। उसको खाने देना भी जरूरी था, क्योंकि भूखे रहने की स्थिति में तेंदुआ किसी पर भी हमला बोल सकता था। इस बीच तेंदुए का एक एक्सक्लूसिव वीडियो सामने आया है। इसमें वह पिंजरे के आसपास मंडरा रहा है और यहां तक कि ऊपर भी चढ़ गया, लेकिन काफी स्मार्ट होने के चलते अंदर नहीं गया।
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