बीजिंग: चीन ने अपने पश्चिम के पहाड़ी इलाकों में रेल-संचालित व्यापार गलियारा बनाया है, जो एशिया और यूरोप के बीच ट्रांसपोर्ट नक्शे को नया रूप दे रहा है। इसके केंद्र में चोंगकिंग है, जो एक बड़ा अंतर्देशीय महानगर है। यह समुद्री नौवहन के लिए तेज गति वाले विकल्प के रूप में काम कर रहा है। चीन का यह प्रयास साल 2023 सेयह स्वेज नहर और मलक्का जलडमरूमध्य की रणनीतिक रुकावटों को दूर करने की कोशिश है। ट्रेनें दक्षिण-पूर्व एशिया से यूरोप तक माल दो हफ्तों से भी कम समय में पहुंचाती हैं, जिससे समुद्री माल ढुलाई की तुलना में शिपिंग समय में 20 दिन तक की कमी आती है।   
   
चीन का यह कदम आर्थिक और भू-राजनीतिक दोनों है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की संवेदनशीलता को देखते हुए इसका प्रमुख घटक आसियान एक्सप्रेस है, जो 2023 में शुरू की गई एक माल रेल सेवा है। यह हनोई को चोंगकिंग से पांच दिनों में जोड़ती है। वहां सेमाल जर्मनी, पोलैंड और यूरोप तक जमीनी गलियारों के जरिए दो हफ्तों से भी कम समय में पहुंचता है। ऐसे में इसे स्वेज नहर जैसी पहल माना जा रहा है, भले ही इसका समुद्र से कोई ताल्लुक नहीं है।
     
जोखिम से बचने की कोशिशसाउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह मार्ग सीमा शुल्क में देरी और वैश्विक बंदरगाहों में बढ़ती हुई आम समस्याओं से बचाता है। रेल शिपिंग उत्सर्जन हवाई माल ढुलाई की तुलना में काफी कम है। साथ ही यह प्रणाली समुद्री डकैती या समुद्री व्यवधानों के जोखिम को कम करती है। चीन के सभी वाहन निर्यात का 25% हिस्सा यहीं से आता है।
     
यह पहल समुद्री नौवहन मार्गों पर निर्भरता कम करने के बीजिंग के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। खासकर उन मार्गों पर जो भू-राजनीतिक तनाव के प्रति संवेदनशील हैं। मलक्का जलडमरूमध्य, स्वेज नहर और होर्मुज जलडमरूमध्य वैश्विक व्यापार का केंद्र हैं लेकिन अमेरिका और सहयोगी देशों की नौसेनाओं की उपस्थिति रणनीतिक जोखिम पैदा करती है।
   
2013 में शुरू हुआ कामयह बदलाव 2013 में शुरू की गई चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के तहत विकसित बुनियादी ढांचे पर आधारित है। हाल के प्रयासों में रणनीतिक स्वायत्तता, पारगमन गलियारों में विविधता लाने और आपूर्ति श्रृंखलाओं को जोखिम मुक्त करने पर जोर दिया गया है। हालांकि इसमें रूस पर निर्भरता है। यूरोप के लिए चीन का अधिकांश मौजूदा रेल माल ढुलाई रूसी क्षेत्र से होकर गुजरता है
   
रेल कई मामलों में समुद्री मार्ग की तुलना में तेज है। हालांकि यह अभी तक सभी गलियारों में लागत-प्रतिस्पर्धी नहीं है। शुरुआती बेल्ट एंड रोड रेल लाइनें कम समुद्री कीमतों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए सरकारी सब्सिडी के तहत संचालित होती थीं। जैसे-जैसे ये सब्सिडी कम हो रही है, ऑपरेटरों को सीमा शुल्क संबंधी बाधा और टैरिफ के चलते मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
   
चीन का यह कदम 'रेल फर्स्ट' मॉडल पर जोर देता है। इससे बंदरगाह की भीड़ कम होती है। यह चीन की व्यापक दोहरी संचलन रणनीति के अनुकूल है, जो वैश्विक एकीकरण को बनाए रखते हुए घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने का प्रयास करती है। लंबी अवधि में चीनी अधिकारी बर्फ के स्तर में गिरावट के साथ आर्कटिक महासागर से ध्रुवीय रेशम मार्ग की संभावना तलाश रहे हैं।
  
चीन का यह कदम आर्थिक और भू-राजनीतिक दोनों है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की संवेदनशीलता को देखते हुए इसका प्रमुख घटक आसियान एक्सप्रेस है, जो 2023 में शुरू की गई एक माल रेल सेवा है। यह हनोई को चोंगकिंग से पांच दिनों में जोड़ती है। वहां सेमाल जर्मनी, पोलैंड और यूरोप तक जमीनी गलियारों के जरिए दो हफ्तों से भी कम समय में पहुंचता है। ऐसे में इसे स्वेज नहर जैसी पहल माना जा रहा है, भले ही इसका समुद्र से कोई ताल्लुक नहीं है।
जोखिम से बचने की कोशिशसाउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह मार्ग सीमा शुल्क में देरी और वैश्विक बंदरगाहों में बढ़ती हुई आम समस्याओं से बचाता है। रेल शिपिंग उत्सर्जन हवाई माल ढुलाई की तुलना में काफी कम है। साथ ही यह प्रणाली समुद्री डकैती या समुद्री व्यवधानों के जोखिम को कम करती है। चीन के सभी वाहन निर्यात का 25% हिस्सा यहीं से आता है।
यह पहल समुद्री नौवहन मार्गों पर निर्भरता कम करने के बीजिंग के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। खासकर उन मार्गों पर जो भू-राजनीतिक तनाव के प्रति संवेदनशील हैं। मलक्का जलडमरूमध्य, स्वेज नहर और होर्मुज जलडमरूमध्य वैश्विक व्यापार का केंद्र हैं लेकिन अमेरिका और सहयोगी देशों की नौसेनाओं की उपस्थिति रणनीतिक जोखिम पैदा करती है।
2013 में शुरू हुआ कामयह बदलाव 2013 में शुरू की गई चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के तहत विकसित बुनियादी ढांचे पर आधारित है। हाल के प्रयासों में रणनीतिक स्वायत्तता, पारगमन गलियारों में विविधता लाने और आपूर्ति श्रृंखलाओं को जोखिम मुक्त करने पर जोर दिया गया है। हालांकि इसमें रूस पर निर्भरता है। यूरोप के लिए चीन का अधिकांश मौजूदा रेल माल ढुलाई रूसी क्षेत्र से होकर गुजरता है
रेल कई मामलों में समुद्री मार्ग की तुलना में तेज है। हालांकि यह अभी तक सभी गलियारों में लागत-प्रतिस्पर्धी नहीं है। शुरुआती बेल्ट एंड रोड रेल लाइनें कम समुद्री कीमतों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए सरकारी सब्सिडी के तहत संचालित होती थीं। जैसे-जैसे ये सब्सिडी कम हो रही है, ऑपरेटरों को सीमा शुल्क संबंधी बाधा और टैरिफ के चलते मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
चीन का यह कदम 'रेल फर्स्ट' मॉडल पर जोर देता है। इससे बंदरगाह की भीड़ कम होती है। यह चीन की व्यापक दोहरी संचलन रणनीति के अनुकूल है, जो वैश्विक एकीकरण को बनाए रखते हुए घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने का प्रयास करती है। लंबी अवधि में चीनी अधिकारी बर्फ के स्तर में गिरावट के साथ आर्कटिक महासागर से ध्रुवीय रेशम मार्ग की संभावना तलाश रहे हैं।
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